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सेना के लिए खराब क्वालिटी का ऊन खरीदने पर लाल इमली के पूर्व महाप्रबंधक को मिली कैद
लखनऊ : सीबीआई के विशेष जज एमपी चौधरी ने आर्डिनेंस क्लाथिंग फैक्ट्री में सप्लाई के लिए एक साजिश के तहत जानबुझकर खराब क्वालिटी का ऊन क्रय किए जाने के मामले में लाल ईमली व धारीवाल के पूर्व महाप्रबंधक एससी महाजन को साढ़े तीन साल की सजा व एक लाख के जुर्माने से दंडित किया है। साथ ही ऊन की सप्लाई करने वाली कंपनी के निदेशक आशिक रमेश चद्र शाह को भी चार साल व एक लाख 20 हजार के जुर्माने से दंडित किया है।
सीबीआई के विशेष जज एमपी चौधरी ने दोनों कंपनी मेसर्स देवी निटिंग लिमिटेड व आशिक वूलेन मिल्स लिमिटेड, मुंबई को भी जुर्माने से दंडित किया है। उन्होंने इन दोनों कम्पनियों पर 25 लाख का जुर्माना ठोंका है। कहा है कि जुर्माने की यह धनराशि इन दोनों कम्पनियों से सामूहिक अथवा अलग अलग इनकी सम्पतियां से वसूली जाएगी।
14 जनवरी, 2005 को सीबीआई ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी। विवेचना के दौरान मालुम हुआ कि छः मई, 2005 को ब्रिटीश इंडिया कारपोरेशन (बीआईसी) ने अंगोला खाकी शेड के लिए टेंडर निकाला था। बीआईसी को अंगोला खाकी शेड (ऊन) शाहजहांपुर में आर्डिनेंस क्लाथिंग फैक्ट्री को देना था। टेंडर में सबसे कम बोली लगाने वाली कम्पनी मेसर्स देवी निटिंग को 40 मीट्रिक टन ऊन की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया गया। कम्पनी ने पहले चरण में 20 मीट्रिक टन ऊन के तैयार होने की सूचना बीआईसी को दी। बीआईसी ने माल मंगाने से पहले क्वालिटी कंट्र्रोल विभाग को नमूने की जांच के लिए कहा। तीनों लैब की जांच में माल की गुणवत्ता सही पाई गई। लेकिन जब माल को बुनाई के लिए भेजा गया, तो उसमें गुणवत्ता संबधी अनेक शिकायत सामने आई। जिसमें हेयरीनेस, खराब आकार, धागे की कमजोरी, धूल तथा छोर की अस्पष्टता आदि थी। यह भी पाया गया कि ऊन में माइक्रान निर्धारित मानक से अधिक है।
इन शिकायतों के बावजूद बीआईसी की लालईमली व धारीवाल के तत्कालीन महाप्रबंधक एमसी महाजन इन कम्पनियों से कई लाट में माल की आपूर्ति कराते रहे। खराब गुणवत्ता की वजह से 31 हजार 372.60 किग्रा में सिर्फ 48 किग्रा ऊन का ही उपयोग हुआ और शेष ऊन बगैर इस्तेमाल के स्टोर में पड़ा रहा। जिसके चलते बीआईसी को एक करोड़ 29 लाख 19 हजार 625 रुपए का नुकसान हुआ।
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