रामलला कमाते हैं दिन के ₹1000, सरकार बढ़ा सकती है सैलरी

अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने विवादित भूमि का मालिकाना हक राम जन्मभूमि न्यास को दिया है, वहीं मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में किसी और जगह 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।

Harsh Pandey
Published on: 12 Nov 2019 9:52 PM IST
रामलला कमाते हैं दिन के ₹1000, सरकार बढ़ा सकती है सैलरी
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नई दिल्ली: अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला दिया है।

कोर्ट ने विवादित भूमि का मालिकाना हक राम जन्मभूमि न्यास को दिया है, वहीं मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में किसी और जगह 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।

इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा है, कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा और वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी है

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आज हम बात करते हैं रामलला की... क्या आप को मालूम है भगवान राम के साथ उनके तीनों भाई (भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न) को सरकार से सैलरी मिलती है।

अयोध्या में रामलला...

बताया जाता है कि अभी भी रामलला जन्मस्थान(अयोध्या) पर एक टेंट में विराजमान हैं। वहां साथ में लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमायें भी हैं।

बढ़ाई गई पेमेन्ट...

राम जन्मभूमि अयोध्या में स्थापित इस मंदिर में रामलला व उनके भाइयों को सरकार से मिलने वाले पेमेंट में बढ़ोतरी की गई है। बता दें कि प्रतिमाओं को प्रतिदिन नहलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। चन्दन और पुष्पहारों से की जाने वाली इस पूजा प्रक्रिया में कुल 16 चीजों का प्रयोग किया जाता है।

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मंदिर में यह है व्यवस्था...

पूजारी के मुताबिक, रामलला के मंदिर में एक कूलर और ब्लोअर भी लगा है, जिसे मौसम के अनुसार चलाया जाता है।

इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष रामनवमी के अवसर पर सभी प्रतिमाओं के लिए नए कपड़े ख़रीदे जाते हैं। आपको बता दें कि कुल मिला कर देखें तो रामलला के लिए पूरी व्यवस्था करने में प्रतिदिन 1000 रुपए का ख़र्च आता है।

बता दें कि पिछले कई वर्षों से मंदिर के कर्मचारी और पुजारी पेमेंट बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ महिने पहले ही रामलला की पेमेंट राशि को 26,200 रुपए से बढ़ा कर 30,000 रुपए कर दिया।

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मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास...

आप यह जान कर हैरान रह जायेंगे कि मात्र 3,800 रुपए की यह बढ़ोतरी 1992 के बाद पिछले 27 सालों बाद हुई है। आपको बता दें कि यह बढ़ोतरी अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास के वेतन में भी 1,000 रुपए का इजाफा किया गया है। अब उन्हें प्रति महीने 13,000 रुपए मिलेंगे। वह 1992 से ही इस पद पर हैं।

मुख्य पुजारी ने बताया...

रामलला के मुख्य पुजारी ने कहा कि अब रामलला की पूजा प्रक्रिया और बेहतर तरीके से हो पाएगी। मंदिर में अन्य 8 कर्मचारियों की सैलरी 7,500 रुपए से 10,000 रुपए के बीच है। उनकी सैलरी में भी 500 रुपए का इजाफा किया गया है।

महंत दास ने कहा कि पेमेंट बढ़ाए जाने से रामलला मंदिर के लिए प्रसाद, भोजन, पानी, बिजली की व्यवस्था सही से हो पाएगी।

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असके साथ ही उन्होंने बताया कि पहले मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं थी और कई बार उन्हें अपनी जेब से रुपए लगाने पड़ते थे।

साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पास पूजा व अन्य प्रक्रिया के लिए सामान ख़रीदने के लिए फण्ड नहीं होते हैं। महंत ने बताया कि उन्हें राशन की दुकानों, माली और मिठाई वगैरह में भी रुपए ख़र्च करने पड़ते हैं।

सरकार से की मांग...

महंत सत्येंद्र दास ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि रामलला व अन्य प्रतिमाओं के लिए साल में 4 बार नए कपड़े ख़रीदे जाने चाहिए, लेकिन ऐसा वर्ष में एक बार सिर्फ़ रामनवमी के अवसर पर ही होता है।

विहिप के प्रवक्ता ने कहा...

विश्व हिन्दू परिषद के स्थानीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि बहुत सारे श्रद्धालु अब रामलला को कपड़े चढ़ा रहे हैं, जिससे अब पुजारियों के लिए काम आसान हो गया है।

महीने में लाखों का दान...

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आपको बता दें कि आकड़े बताते हैं कि मंदिर को प्रत्येक महीने 6 लाख रुपए दान में मिलता है, जो सरकार द्वारा संचालित बैंक खाते में जाते हैं। मंदिर रोज सुबह 7 बजे खोला जाता है और 11 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 11 बजे के बाद रामलला को भोग लगाया जाता है। दोपहर 2 बजे से 6 बजे तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बंद रहता है और फिर इसे शाम 8 बजे तक के लिए खोला जाता है और पूजा होती है।

सोशल मीडिया पर श्रद्धालुओं ने माँग करते हुए कहा कि जब मंदिर को मिलने वाले दान का प्रबंधन सरकार के हाथों में है तो रामलला की पूजा और व्यवस्था के लिए इतने कम रुपए क्यों दिए जाते हैं?

सवाल यह भी है कि जब मंदिर को दान में प्रति महीने 6 लाख रुपए मिलते हैं तो इसे रामलला और मंदिर की व्यवस्था में ख़र्च क्यों नहीं किया जाता? एक सवाल और भी सामने आता है कि अब कब रामलला और उनके भाईयों की सैलरी कब बढ़ेगी।

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