शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का निधन, शोक की लहर, इस बीमारी से थे पीड़ित

मौलाना कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिब्तैन नूरी ने उनके निधन की पुष्टि की है। मौलाना आंतों के कैंसर से पीड़ित थे। बीते दिनों सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया के चलते एरा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराए थे जहां उन्होंने मंगलवार रात 10 बजे अंतिम सांस ली।

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Published on: 24 Nov 2020 11:06 PM IST
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का निधन, शोक की लहर, इस बीमारी से थे पीड़ित
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मौलाना आंतों के कैंसर से पीड़ित थे। बीते दिनों सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया के चलते एरा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराए थे

लखनऊ: वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक का मंगलवार को निधन हो गया है। कल्बे सादिक को निमोनिया हो गया था जिसकी वजह से उनकी तबियत बिगड़ गई थी और वह सांस लेने में दिक्कत समेत कई बीमारियों की शिकायत के चलते लंबे अरसे से एरा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती थे।

मौलाना कल्बे सादिक के बेटे कल्बे सिब्तैन नूरी ने उनके निधन की पुष्टि की है। मौलाना आंतों के कैंसर से पीड़ित थे। बीते दिनों सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया के चलते एरा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराए थे जहां उन्होंने मंगलवार रात 10 बजे अंतिम सांस ली।

सीएम योगी ने जताया दुख

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

राजनाथ सिंह ने जताया दुख

धर्म गुरु मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि भारत के जाने माने शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक का निधन बेहद दुःखद है। वे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे और हमेशा समाज में भाईचारे को मज़बूत करने पर बल दिया। वे एक नेक और अज़ीम शख़्सियत थे। मैं उनके परिवार और चाहने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ।



बता दें कि मौलाना कल्बे सादिक हिंदुस्तान के मशहूर इल्मी मजहबी खानदान खानदान ए इज्तेहाद के मशहूर मारूफ आलिम थे। जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी मिल्लत की तालीमी पसमन्दगी दूर करने के लिए खपा दी। हर तकरीर और हर मजलिस में अशिक्षा के खिलाफ लड़ने के लिए लोगों को प्रेरित किया।

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उन्होंने केवल जुबान से ही यह काम नहीं किया बल्कि इसके लिए कई काम भी किए। उन्होंने वर्ष 1984 में तौहीदुल मुस्लेमीन ट्रस्ट कायम किया जिसकी मदद से न जाने कितने बच्चे बच्चियां पढ़ कर कामयाब जिंदगी गुजार रहे हैं।

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लखनऊ में अंग्रेजी माध्यम का यूनिटी काॅलेज कायम किया और दूसरी पाली में बिल्कुल मुफ्त शिक्षा के लिये मिशन स्कूल बनाया। तकनीकी कोर्सेज के लिये इंडस्ट्रियल स्कूल बनाया और लखनऊ के काजमैन में एक चैरिटेबल अस्पताल भी स्थापित किया और हिन्दू-मुस्लिम व शिया-सुन्नी एकता के लिये हमेशा कोशिश की और हर धर्म व फिरके में इज्जत और शोहरत हासिल की। उन्हे सादगी , अखलाक, खिदमत और लोगों के हमदर्द के तौर पर जाना जाता है।

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