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वैक्सीन से नहीं बनी एंटीबॉडी, SII, WHO समेत इन विभागों के अधिकारियों के खिलाफ थाने में शिकायत
राजधानी में टूर एंड ट्रैवेल्स व्यापारी प्रताप चंद्र ने अपने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि 'WHO और ICMR ने कहा था कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद से ही एंटीबॉडी तैयार होने लगेगी, लेकिन मुझमें नहीं बनी।
कोरोना वायरस वैक्सीन (फोटो-सोशल मीडिया)
लखनऊ: राजधानी के एक व्यापारी ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII), वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के ज़िम्मेदार अफ़सरों के ख़िलाफ़ आशियाना थाने में शिकायत पत्र दिया है।
यह एप्लिकेशन टूर एंड ट्रैवेल्स का बिजनेस करने वाले प्रताप चंद्र ने दिया है। प्रताप का आरोप है कि कोविशील्ड की पहली डोज़ लगवाने के बावजूद उनके शरीर में एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई है। साथ ही उन्होंने यह कहा कि यदि उनकी एफआईआर नहीं दर्ज हुई तो वह कोर्ट जाएंगे।
क्या है पूरा मामला?
राजधानी में टूर एंड ट्रैवेल्स व्यापारी प्रताप चंद्र ने अपने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि 'WHO और ICMR ने कहा था कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के बाद से ही एंटीबॉडी तैयार होने लगेगी, लेकिन मुझमें नहीं बनी।
मैं शुद्ध शाकाहारी हूं, इसके बावजूद मुझे आरएनए बेस्ड इंजेक्शन लगा है। आरएनए बेस्ड इंजेक्शन में मां के गर्भ से जो बच्चा पैदा नहीं होता है, उसकी किडनी की 293 सेल्स डाली गई है। ये सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वेबसाइट में खुद लिखा है। ये पूरी दुनिया में बैन है, लेकिन हमारे यहां चल रहा है।'
एप्लिकेशन में शामिल हैं इन लोगों के नाम
प्रताप चंद्र ने अपनी एप्लिकेशन में बताया है कि उन्होंने क्यों सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला, आईसीएमआर के डायरेक्टर बलराम भार्गव, डब्ल्यूएचओ के DG डॉ. टेड्रोस एधोनम गेब्रेसस, स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर अपर्णा उपाध्याय के खिलाफ लखनऊ के आशियाना थाने में एप्लीकेशन दी।
अपनी एप्लिकेशन में प्रताप ने लिखा है कि 'SII ने इस वैक्सीन को बनाया। ICMR, WHO और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने इसका प्रचार किया। इसलिए ये लोग भी दोषी हैं।'
प्लेटलेट्स घट गई, एंटीबॉडी नहीं बनी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, टूर एंड ट्रैवेल्स बिजनेसमैन प्रताप चंद्र का कहना है कि उन्होंने वैक्सीन की पहली डोज़ ली, मग़र उनके अंदर एंटीबॉडी नहीं बनी है। यह उन्हें एंटीबॉडी GT टेस्ट करवाने के बाद पता चला। यही नहीं, प्रताप चंद्र के अंदर यह ख़्याल कैसे आया।
इसके बारे में भी उन्होंने बताया कि '21 मई को मैंने ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस को देखा। इसमें ICMR के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने साफ कहा था कि कोविशील्ड की पहली डोज लेने के बाद से ही शरीर में अच्छी एंटीबॉडी तैयार हो जाती है।
जबकि कोवैक्सिन की दोनों डोज के बाद एंटीबॉडी बनती है। ये देखने के बाद 25 मई को सरकारी लैब में मैंने एंटीबॉडी GT टेस्ट कराया। इसमें मालूम चला कि अभी तक एंटीबॉडी नहीं बनी है। प्लेटलेट्स भी घटकर तीन लाख से डेढ़ लाख तक पहुंच गई थी।'
शासन स्तर पर होगी जांच
प्रताप चंद्र ने अपनी में यह भी कहा है कि 'मेरे साथ धोखा हुआ है। मेरी जान जा सकती थी। इसलिए मैंने हत्या के प्रयास और धोखाधड़ी की धारा लगवाने के लिए एप्लीकेशन दी है।' वहीं, आशियाना थाने के इंस्पेक्टर पुरुषोत्तम गुप्ता ने कहा कि 'मामले की जांच के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क किया गया है। शासन स्तर पर इसकी जांच होगी।'
6 जून को दाखिल करेंगे याचिका
प्रताप ने बताया कि 'मैं अकेला नहीं हूं, जिसमें एंटीबॉडी डेवलप नहीं हुई है। मेरे जैसे कई और लोग भी हैं। इसलिए मैं 6 तारीख को कोर्ट खुलने पर याचिका दायर करूंगा। ये सरकार का काम है कि वह पता करें कि मेरे और मेरे जैसे बहुत से लोगों के साथ क्या हो रहा है? क्यों नहीं मेरे अंदर एंटीबॉडी डेवलप हुई। क्या मुझे जो इंजेक्शन दिया गया था उसमें पानी भरा था?'
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