Lucknow News: बाल निकुंज विद्यालय में "हिंदी दिवस" पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में 613 विजेता हुए सम्मानित

Lucknow News: "हिंदी सुलेख" प्रतियोगिता से सभी शाखाओं से कक्षा व सेक्शन वार 125 प्रथम 125 द्वितीय एवं 125 तृतीय कुल 375 विजेता रहे।

Newstrack          -         Network
Published on: 14 Sept 2023 10:26 PM IST
winners honored in competitions on Hindi Day in Bal Nikunj Vidyalaya
X

winners honored in competitions on Hindi Day in Bal Nikunj Vidyalaya

Lucknow News: राजधानी लखनऊ के सीतापुर रोड मोहिबुल्लापुर में स्थित बाल निकुंज इंटर कॉलेज के सभागार में गुरुवार को "हिंदी दिवस" के अवसर पर प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें सभी शाखाओं में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। "हिंदी सुलेख" प्रतियोगिता से सभी शाखाओं से कक्षा व सेक्शन वार 125 प्रथम 125 द्वितीय एवं 125 तृतीय कुल 375 विजेता रहे। "हिंदी निबंध" प्रतियोगिता के सभी शाखाओं से कुल 112 विजेता, जूनियर और सीनियर वर्ग की "अंतरशाखीय अंताक्षरी" प्रतियोगिता में 120 विजेता तथा अंतरशाखीय "कविता पाठ" के प्राइमरी, जूनियर एवं सीनियर वर्ग से तीन-तीन प्रथम द्वितीय एवं तृतीय विजेताओं को प्रबंध निदेशक हृदय नारायण जायसवाल द्वारा शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

हिंदी दिवस के अवसर पर प्रबंध निदेशक के साथ-साथ कॉलेज कोऑर्डिनेटर सुधीर मिश्रा, सभी शाखाओं के प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य इंचार्जेस एवं हिंदी विषय के सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

हिन्दी दिवस को प्रदेश के साथ-साथ देश दुनियां बड़े धूमधाम से मनाया गया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा हिन्दी दिवस समारोह के अवसर पर 13 व 14 सितम्बर को दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार में पूर्वाह्न 10.30 बजे से किया गया। इस अवसर पर डॉ0 रामबहादुर मिश्र ने कहा- भारतीय बोलियों व भाषा को समृद्ध करने में विदेशी लेखकों, भाषाविदों का भी बहुत योगदान रहा है। भारत में अनेक बोलियाँ व उपबोलियों का समुच्य है। भारत में बोलियों पर जितना कार्य होना चाहिए उतना नहीं हो रहा है। दुनिया में अवधी में सबसे अधिक पढ़े जाने वाले कवि महाकवि तुलसी हैं। बोलियों ने अपने लोक साहित्य के माध्यम से हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। भारतीय संस्कृति पूरे विश्व में व्याप्त है। बोलियों ने व्याकरण को भी अधिक से अधिक शब्दों को देकर परिमार्जित किया। लोक साहित्य लोक भावना से ओत-प्रोत है। बोलियाँ लोकसंस्कृति को बचाने में सहायक होती हैं।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!