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फर्ज़ीवाड़े की हदे पार, बिना मान्यता बाट रहे Law की डिग्री, राम स्वरुप कॉलेज के खिलाफ HC में PIL दाखिल
लखनऊ के राम स्वरुप कॉलेज पर बिना मान्यता के कानून की डिग्री देने का आरोप, छात्रों के भविष्य पर संकट, HC में PIL दायर।
Lucknow Ram Swaroop College News: लखनऊ से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। शिक्षा के क्षेत्र में बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जहां छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगा है। श्री राम स्वरुप कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका सौरभ सिंह नामक एक व्यक्ति ने अपने वकीलों सिद्धार्थ शंकर दुबे और अनिमेष उपाध्याय के माध्यम से दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कॉलेज के पास कानून की शिक्षा देने की मान्यता नहीं है, फिर भी वह छात्रों को प्रवेश देकर डिग्रियां बांट रहा है। यह मामला सामने आने के बाद छात्रों और उनके अभिभावकों में गहरी चिंता फैल गई है।
क्या है याचिकाकर्ता का आरोप?
याचिकाकर्ता का कहना है कि कॉलेज के पास विधि शिक्षा (Law Education) की उचित मान्यता नहीं है, इसके बावजूद सैकड़ों छात्रों को प्रवेश दिया गया है। याचिका में इसे न केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया गया है, बल्कि इसे भारतीय संविधान के खिलाफ भी बताया गया है। याचिका में अदालत से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
याचिका में क्या-क्या माँगा गया है?
इस जनहित याचिका में उच्च न्यायालय से कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की मांग की गई है ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके। याचिका में अदालत से मांग की गई है कि:
जांच समिति का गठन: सरकार को इस मामले की गहन जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति (High-Level Enquiry Committee) गठित करने का आदेश दिया जाए।
दाखिले पर रोक: श्री राम स्वरुप कॉलेज को नए छात्रों के दाखिले पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया जाए, जब तक कि उसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से वैध और स्थायी मान्यता नहीं मिल जाती।
सार्वजनिक घोषणा: कॉलेज को अपनी वेबसाइट और प्रवेश सामग्री (admission materials) पर यह स्पष्ट रूप से घोषित करने का निर्देश दिया जाए कि उसकी BCI मान्यता समाप्त हो गई है।
दोषी संस्थानों पर कार्रवाई: उन सभी संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया जाए जो बिना मान्यता के छात्रों को प्रवेश दे रहे हैं।
छात्रों के भविष्य पर संकट
यह मामला उन छात्रों के लिए एक बड़ा झटका है जिन्होंने इस कॉलेज में दाखिला लिया है। उनकी डिग्री की वैधता पर अब एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। अगर कॉलेज के पास सच में कानून की शिक्षा देने की मान्यता नहीं है, तो उन छात्रों का भविष्य खतरे में है जिन्होंने अपनी मेहनत और पैसा लगाकर इस संस्थान में पढ़ाई की है। इस तरह की अनियमितताएं भारत की शिक्षा व्यवस्था में गहरी खामियों को उजागर करती हैं। यह मामला दिखाता है कि कैसे कुछ संस्थान केवल मुनाफा कमाने के लिए छात्रों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस जनहित याचिका के बाद, उम्मीद है कि अदालत इस मामले पर कड़ा रुख अपनाएगी और छात्रों के साथ हुए इस अन्याय पर न्याय सुनिश्चित करेगी। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरमाएगा।
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