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BBA University: अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ समापन, देश-विदेश के विशेषज्ञों ने किया प्रतिभाग
BBA University: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापम शुक्रवार को हुआ। आयोजन सचिव डॉ. जीवन सिंह ने बताया कि इस कांफ्रेंस में देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
BBA University: अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का हुआ समापन, देश-विदेश के विशेषज्ञों ने किया प्रतिभाग: Photo- Newstrack
BBA University: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापम शुक्रवार को हुआ। आयोजन सचिव डॉ. जीवन सिंह ने बताया कि इस कांफ्रेंस में देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। अपशिष्ट पुनर्चक्रण एवं पर्यावरण प्रौद्योगिकी विषयक कांफ्रेंस में कई विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिया।
कार्बोनेसियस सामग्रियों के बारे में बताया
दक्षिण कोरिया की क्वांगोन यूनिवर्सिटी के प्रो. जगन्नाथ रेड्डी ने सतत पर्यावरणीय उपचार के लिए कार्यात्मक ग्रेफाइटिक कार्बन-आधारित सामग्री विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने जलीय घोलों से विभिन्न प्रदूषकों और तेलों को हटाने में इन संशोधित कार्बोनेसियस सामग्रियों के अनुप्रयोग की जानकारी दी। अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के डॉ. अजय नागपुरे ने कहा कि तीन उच्च से मध्य-सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले पड़ोसी इलाकों में अवैध रूप से डंप किए गए अधिक निष्क्रिय पाए गए।
अपशिष्ट प्रबंधन से सुरक्षित होगा पर्यावरण
डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस विक्टर बाबू ने बताया कि अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से पर्यावरण को काफी हद तक सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि यह लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण को भी रोकता है। आईक्यूएसी डायरेक्टर प्रो. राम चंद्रा ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन से कचरे को सुरक्षित तरीके से हटाकर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। प्रो. नवीन कुमार अरोरा ने कहा कि सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करना होगा। जिससे भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को देखते हुए वर्तमान मांगों को पूरा किया जा सके। प्रो. शिखा ने अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया।
नैनो अधिशोषक में होती है उत्प्रेरक क्षमता
सीएसआईआर-सीमैप की डॉ. पूजा खरे ने कहा कि बायोचार में उच्च जल-धारण क्षमता होती है और इसका उपयोग पानी से प्रदूषकों को हटाने के लिए भी किया जा सकता है। बीएचयू के प्रो. योगेश चन्द्र शर्मा ने बताया कि दूषित अपशिष्ट जल से धातु हटाने में नैनो टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नैनो अधिशोषक में उच्च सतह क्षेत्र, उच्च अधिशोषण क्षमता और उत्प्रेरक क्षमता होती है।
विजेताओं को दिया गया पुरस्कार
बीबीएयू की पीआरओ डॉ. रचना गंगवार ने बताया कि आयोजन समिति की ओर से सर्वश्रेष्ठ पेपर व पोस्टर प्रस्तुतिकरण पुरस्कार, युवा वैज्ञानिक व युवा महिला वैज्ञानिक पुरस्कार भी दिया गया। इस मौके पर विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अन्य विश्वविद्यालय के प्रतिभागी, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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