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Indigenous Programs : मास्टर सलीम के 'जुगनी', 'दमा दम मस्त कलंदर', और 'छाप तिलक' जैसे गीतों ने देशज में मचाया धमाल
Indigenous Programs : अवध की शाम शुक्रवार 22 नवम्बर को पंजाबी रंग में तब रंगी जब पंजाब के लोकगायक मास्टर सलीम ने अपने सुरों का जलवा बिखेरा।
Indigenous Programs : अवध की शाम शुक्रवार 22 नवम्बर को पंजाबी रंग में तब रंगी जब पंजाब के लोकगायक मास्टर सलीम ने अपने सुरों का जलवा बिखेरा है। मौक़ा था सोनचिरैया फाउंडेशन के द्वारा आयोजित चौथे देशज कार्यक्रम का। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम में इस बार सिर्फ लोकरंग नहीं बिखरे बल्कि 2025 में शुरू हो रहे महाकुम्भ के भव्य आयोजन का ट्रेलर भी देखने को मिला।
कार्यक्रम की शुरुआत मालवा के मटकी लोकनृत्य से हुआ। इसमें हीरामणि वर्मा, खुशी चौहान बाबूलाल देवड़ा, सीमा कुशवाहा सहित कई कलाकारों ने पारम्परिक परिधान और छाता लेकर 'सायबा म्हारो लाइ करण फूल झुमको' जैसे गीतों पर मनमोहक प्रस्तुति दी। इस पारम्परिक लोकनृत्य में मध्य प्रदेश में शादी ब्याह के उत्साह को प्रदर्शित किया गया। इसके बाद मालिनी अवस्थी ने पाई डंडा कला के बारे में बताया। उन्होंने दर्शकों की डिमांड पर 'मंगल भवन अमंगलहारी' चौपाई से शुरुआत करते हुए मानस की चौपाइयों पर एक विशेष प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने दर्शकों को भी चौपाइयां गाने का अवसर दिया। इसी प्रस्तुति के दौरान मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का आगमन हुआ।
उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री के सलाहाकार अवनीश अवस्थी, सोनचिरैया की अध्यक्षा डॉ. विद्या विन्दु सिंह, भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह भी उपस्थित रहीं। इसके बाद मुख्य अतिथि और बाकी अतिथियों को संस्था की अध्यक्षा पद्मश्री विद्याविंदु सिंह और लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने पुष्पगुच्छ अंगवस्त्र और असम की पारम्परिक झांपी देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर महाकुम्भ पर एक स्मारिका का विमोचन पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने किया।
संस्कृति मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह भक्त बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनको महाकुंभ में डुबकी लगाने का अवसर मिलता है। उन्होंने पद्मश्री मालिनी अवस्थी के विषय में कहा कि मालिनी अवस्थी प्रदेश की धरोहर हैं। मालिनी अवस्थी, सोनचिरैया के माध्यम से ना सिर्फ संस्कृति को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि लोककथाओं को इतिहास ग्रंथों से निकालकर बाहर भी ला रही हैं। वास्तव में यह सनातन संस्कृति को आगे ले जाने का महती कार्य कर रही हैं। संस्कृति मंत्री ने प्रयागराज में साल 2025 में होने वाले महाकुम्भ के लिए लोगों को आमंत्रित करते हुए कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आगामी महाकुंभ भारत की सशक्त आस्था का ही नहीं स्वागत सत्कार की भी सशक्त झांकी पेश करेगा।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में मैत्रेयी पहाड़ी के निर्देशन में दो दिन में होने वाली प्रस्तुतियों की एक झलक 20 मिनट की विशेष प्रस्तुति में दिखाई गई। इस प्रस्तुति की शुरुआत कथक और उड़ीसा के छउ नृत्य के मिश्रित नृत्य के द्वारा हुई जिसमें कलाकारों ने शिव स्तुति 'गिरीशं गणेशं गले नीलकण्ठं' पर प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में समुद्र मंथन की कथा को दिखाया गया। इन कलाकारों के पीछे हरियाणा के कलाकारों ने भी फाग नृत्य की प्रस्तुति दी।
इसकी ख़ास बात यह रही कि कथक के बोलों पर सभी लोकनृत्य प्रस्तुत किये गए। इसके बाद सभी कलाकारों ने लोकगायिका मालिनी अवस्थी के साथ उनके नए गीत 'चलो चले कुम्भ चले' पर प्रस्तुति दी। जिसमें बांदा के पाई डंडा के कलाकार, असम के भाओना नृत्य के कलाकारों ने भी प्रस्तुति में भाग लेते हुए कुम्भ चलने के प्रति उत्साह को प्रदर्शित किया। इस प्रस्तुति ने एक ही मंच पर हर प्रदेश के रंग के साथ महाकुम्भ के आगमन और उसके लिए पूरे भारत के उत्साह का भी प्रतिनिधित्व किया।
इसके बाद केरल के कलाकारों ने गरूड़न परवा की प्रस्तुति दी। केरल के भद्रकाली मंदिर में होने वाले इस नृत्य में गरुण की कथा को दिखाया गया जिसमें गरुण ने देवी काली को प्रसन्न करने के लिए एक अनुष्ठानिक नृत्य प्रस्तुत किया। इसके उपरांत हरियाणा की फाग नृत्य किया गया। इस नृत्य में कृषक समुदाय के फसल कटाई का जश्न का जोश दिखा। कलाकारों ने 'मैं नई नवेली आए फागण में' के माध्यम से नई दुल्हन और उसके सास के संवाद को दिखाया। संध्या के आकर्षण रहे। मास्टर सलीम के “जुगनी”, “दमा दम मस्त कलंदर”, और “छाप तिलक” जैसे गीतों ने देशज में धमाल मचाया।
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