Lucknow: बाइक पर पीछे बैठने वाले सिर्फ एक फीसदी लोग लगाते हैं हेल्मेट...KGMU के अध्ययन में सामने आई ये बातें

Lucknow News: अध्ययन में पता चलता है कि बाइक के पीछे बैठने वालों की बात करें तो शहर और ग्रामीण इलाकों में एक फीसदी ही हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं।

Abhishek Mishra
Published on: 18 Oct 2024 4:00 AM GMT
Lucknow: बाइक पर पीछे बैठने वाले सिर्फ एक फीसदी लोग लगाते हैं हेल्मेट...KGMU के अध्ययन में सामने आई ये बातें
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Lucknow News: राजधानी के अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले घायल मुफ्त एम्बुलेंस सेवा के बावजूद निजी गाड़ियों से पहुंच रहे हैं। कई घायल इलाज के लिए ई-रिक्शा, टैंपो या ऑटो से केजीएमयू स्थित ट्रामा सेंटर पहुंच रहे हैं। बाइक पर पीछे बैठने वाले तो हेलमेट ही नहीं पहन रहे हैं। इनकी संख्या महज एक फीसदी है। केजीएमयू के ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्ययन में यह बातें सामने आई हैं।

अध्ययन में सामने आए यह आंकड़े

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के ट्रॉमा सर्जरी विभाग की ओर से अध्ययन किया गया है। जिसमें पता चला है कि मुफ्त ऐंबुलेंस सुविधा के वावजूद सड़क हादसे के करीव 60 फीसदी मरीज निजी वाहन, ई-रिक्शा, टैंपो या ऑटो से ट्रॉमा सेंटर पहुंचते हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से ट्रॉमा सेंटर आने वाले 80 फीसदी ऐसे गंभीर मरीज होते हैं जिन्हें प्राथमिक चिकित्सा के नाम पर केवल आईवी लगाकर केजीएमयू, पीजीआई या लोहिया समेत हायर सेंटर पर भेज दिया जा रहा है।

40% युवा नहीं लगाते हेलमेट

ट्रॉमा सर्जरी विभाग द्वारा किए गए अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार 60% लोग हेल्मेट नहीं लगा रहे हैं जबकि 30% कार चालक ही सीट बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, शहरी क्षेत्र में बाइक चलाने वाले केवल 40% युवा और ग्रामीण क्षेत्र में बाइक चलाने वाले महज 15% लोग ही हेल्मेट पहनते हैं। वहीं अध्ययन में पता चलता है कि बाइक के पीछे बैठने वालों की बात करें तो शहर और ग्रामीण इलाकों में एक फीसदी ही हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं।

जान गंवाने वाले अधिकतर 17 से 30 साल के युवा

केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज प्रोफेसर डॉ. प्रेमराज सिंह का कहना है कि केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में यूपी के अलावा देशभर से गंभीर मामले आते हैं। इसमें 40 फीसदी सड़क हादसे के घायल होते हैं। सड़क हादसे में भी दो पहिया वाहन चलाने वाले सबसे ज्यादा आते हैं। इनमें कई घायल ऐसे भी होते हैं जिन्होंने यदि हेलमेट पहना होता तो उन्हें इतनी गंभीर चोटें नहीं आती या उनकी मौत न होती। उन्होंने बताया कि सड़क हादसे में जान गंवाने वालों में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इनमें से ज्यादातर 17 से 30 साल उम्र वाले युवा होते हैं।

Abhishek Mishra

Abhishek Mishra

Correspondent

मेरा नाम अभिषेक मिश्रा है। मैं लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। मैंने हिंदुस्तान हिंदी अखबार में एक साल तक कंटेंट क्रिएशन के लिए इंटर्नशिप की है। इसके साथ मैं ब्लॉगर नेटवर्किंग साइट पर भी ब्लॉग्स लिखता हूं।

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