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Lucknow News: ₹8 की ईंट ₹240 में खरीदी! भ्रष्टाचार के 'रेट कार्ड' पर निर्माण अधीक्षक का इस्तीफा
Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय के निर्माण अधीक्षक प्रो. डी.के. सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच इस्तीफा दिया
भ्रष्टाचार के 'रेट कार्ड' पर निर्माण अधीक्षक का इस्तीफा (photo: social media )
Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय के निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच बड़ा बदलाव हुआ है। विभाग के अधीक्षक पद पर तैनात प्रोफेसर डी.के. सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके इस्तीफे का कारण निजी बताया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस्तीफे के पीछे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप बड़ी वजह हैं। विभाग के अंदर लंबे समय से निर्माण कार्यों में गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही थीं, जिनकी जांच अब तेज़ी से की जा रही है।
ईंट और केबल की खरीद पर उठे सवाल
निर्माण विभाग पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि बाजार में जहां एक ईंट की कीमत करीब 8 रुपये है, वहीं विभाग ने उसी ईंट को 240 रुपये में खरीदा। इसके अलावा बिजली के काम में भी गड़बड़ी के आरोप हैं। विभाग ने 931 रुपये प्रति मीटर की दर से केबल खरीदी, जो बाजार मूल्य से कई गुना अधिक बताई जा रही है। इन अनियमितताओं के खुलासे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के आदेश दिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर इस पूरे मामले में गलती कहां हुई और जिम्मेदार कौन है।
जांच के बाद इस्तीफे का दबाव
विश्वविद्यालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में कई अनियमितताएं सामने आईं। इसी के बाद प्रो. डी.के. सिंह पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इसे “निजी कारण” बताकर मामला शांत करने की कोशिश की जा रही है। अब निर्माण अधीक्षक का पद खाली हो गया है, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने तुरंत नया जिम्मेदार तय किया है ताकि निर्माण कार्य प्रभावित न हों।
नई जिम्मेदारी डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी को मिली
खाली हुए निर्माण अधीक्षक पद की जिम्मेदारी प्राच्य संस्कृति विभाग के शिक्षक डॉ. श्यामलेश कुमार तिवारी को सौंपी गई है। इस संबंध में कुलसचिव डॉ. भावना मिश्रा ने आधिकारिक पत्र जारी किया है। उम्मीद की जा रही है कि नई जिम्मेदारी संभालने के बाद डॉ. तिवारी विभाग में पारदर्शिता और व्यवस्था बहाल करने की दिशा में काम करेंगे।
कई काम बिना हुए, फिर भी हुआ भुगतान
मामले में यह भी सामने आया है कि निविदा में सीसी रोड और 200 वर्गफीट के कमरे के निर्माण का जिक्र था। लेकिन आरोप है कि ये दोनों काम ज़मीन पर हुए ही नहीं, फिर भी इनके लिए भुगतान कर दिया गया। यह मामला अब विश्वविद्यालय की जांच समिति के पास है, जो सभी दस्तावेजों और बिलों की जांच कर रही है।
जांच जारी, कार्रवाई की उम्मीद
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों और कर्मचारियों में भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज है। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि जांच के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या इस भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचा जा सकेगा।
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