एग्जिट पोल 2018: ताजा सर्वे के आधार पर MP में बन रही कांग्रेस की सरकार

देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर दिखायी दे रही है।इन पांच राज्यों के चुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।ताजा सर्वे में वोटिंग प्रतिशत (लगभग) कांग्रेस को 41% वोट मिल रहे है वहीं बीजेपी को 33% मतों से संतोष करना पड़ेगा, इसी तरह सपा को 07% और बसपा को 09% मतों का समर्थन हासिल होगा।

Anoop Ojha
Published on: 7 Dec 2018 10:24 PM IST
एग्जिट पोल 2018: ताजा सर्वे के आधार पर MP में बन रही कांग्रेस की सरकार
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नई दिल्ली: देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर दिखायी दे रही है।इन पांच राज्यों के चुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है।ताजा सर्वे में वोटिंग प्रतिशत (लगभग) कांग्रेस को 41% वोट मिल रहे है वहीं बीजेपी को 33% मतों से संतोष करना पड़ेगा, इसी तरह सपा को 07% और बसपा को 09% मतों का समर्थन हासिल होगा। मत हासिल करने में अन्य भी 10% वोट को अपने पाले में खीचेंगे।ताजा सर्वे के आधार पर कहा जा सकता है कि एमपी में कांग्रेस की सरकार बन रही है। कांग्रेस को 132 से 140 सीट और बीजेपी को 75 से 85 सीटे मिलने का अनुमान है।

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इस बार मध्य प्रदेश में मतदान को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। हालांकि कई जगहों से ईवीएम और वीवीपैट मशीनें खराब होने की शिकायतें आईं। इसके बावजूद चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड 75% मतदान हुआ है. 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2008 में 69.52 प्रतिशत, 2003 में 67.41 प्रतिशत, 1998 में 60.21 प्रतिशत, 1993 में 60.17 प्रतिशत वोट डाले गए थे। यानी करीब सात फीसदी अधिक मतदान ने बीजेपी को तीन चौथाई बहुमत दिलाया था। इसके बाद क्रमश करीब दो और तीन फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई और बीजेपी भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सरकार बचाने में कामयाबी रही।

एग्जिट पोल के मुताबिक मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस के बीच नजदीकी मुकाबला दिख रहा है। एनडीटीवी के पोल ऑफ एग्जिट पोल्स के मुताबिक राज्य की 230 सीटों में से भाजपा को 109 सीटें मिलती दिख रही हैं।

एबीपी-लोकनीति-सीएसडीएस अपने सर्वे में मध्य रीजन की 43 सीटों में बीजेपी 30, कांग्रेस 11 और अन्य के खाते में 2 सीटें जाती दिख रही हैं। अभी तक उत्तर और मध्य रीजन में कुल मिलाकर बीजेपी को 42, कांग्रेस को 37, जबकि अन्य को 21 फीसदी सीटें मिलती दिख रही हैं।

इसी तरह आजतक के एग्जिट पोल के अनुसार मध्य प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर है।मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 41 फीसदी और बीजेपी को 40 फीसदी वोट मिल रहे है।वहीं मध्यप्रदेश में अन्य पार्टियां 4 से 11 सीटों पर जीत सकती।

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भाजपा तमाम घोटालों के आरोपों को लेकर निशाने पर है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का आरोप है कि राज्य सरकार ने संघ को नियमों का उल्लंघन कर 500 करोड़ की जमीन एलौट कर दी है। वह यहीं नहीं रुकते वे भाजपा पर व्यापम, अवैध बालू की खुदाई, 2500 करोड़ सिंहस्थ घोटाले, बांध और तालाब घोटाले, मिड डे मील घोटाले आदि के आरोप लगाते हैं। हम इन घोटालों को देखते हैं और भाजपा पर भविष्य में इसके प्रभाव का आंकलन करते हैं।

शुरुआत सबसे बड़े व्यापम घोटाले से करते हैं। व्यापम प्रवेश परीक्षा, दाखिले और प्रवेश का घोटाला था। जो कि मध्य प्रदेश में 2013 में हुआ। इस घोटाले में राजनेता, वरिष्ठ कनिष्ठ अधिकारी, कारोबारी सुनियोजित ढंग से शामिल थे जिसमें अधिकारियों को घूस देकर पेपर लिखवाने, बैठने की व्यवस्था को प्रभावित करने और जाली आनसरशीट की आपूर्ति करवाना शामिल था।

अब बालू घोटाले पर आते हैं। राज्य सरकार ने नर्मदा प्लान में 2012 में बालू के खनन को प्रतिबंधित कर दिया था जबकि तीस फीसदी बालू खनन ही वैध होता था। केवल वैध खनन को ही बैन कर दिया गया। लेकिन 70 फीसदी अवैध खनन जारी रहा। बालू माफिया कानून और नियमों को अपने अनुसार ढाल लेते हैं। इसमें चौहान का भतीजा भी शामिल रहा। इससे वैध डीलरों के लिए संकट खड़ा हुआ।

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1500 करोड़ का सिमहस्त घोटाला उस समय हुआ जब राज्य सरकार सिमहस्त कुंभ का आयोजन उज्जैन में 2016 में करा रही थी। विपक्ष के उपनेता बाला बच्चन ने इस घोटाले पर हुए खर्च के संबंध में पेश अपनी रिपोर्ट मई 2016 में दी थी। श्री यादव कहते हैं कि सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने लोकसभा को सूचित किया है कि उज्जैन सिमहस्त में 4471 करोड़ से अधिक खर्च किये गए।

अंत में मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर बात करते हैं। मध्य प्रदेश में 26 लाख से अधिक किसानों ने सहकारी बैंकों से 13 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 11 हजार किसानों ने पिछले नौ सालों में आत्महत्या की है। यह आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं।जबकि मध्य प्रदेश में 20 प्रतिशत कृषि विकास दर पिछले कुछ सालों में दर्ज की गई है। यह एक विश्व रिकार्ड लग सकता है लेकिन किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के हालात के चलते ये आंकड़े बेकार हो जात हैं।

हालांकि चौहान सरकार कह रही है कि राज्य में विरोध की कोई लहर नहीं है लेकिन हाल के नगरीय चुनाव के नतीजे चौहान सरकार के माथे पर बल डालने के लिए काफी हैं। रागोगढ़ नगर निकाय के चुनाव में 24 सीटों में से कांग्रेस 20 सीटें ले गई थी। जबकि भाजपा को केवल चार मिली थीं। चित्रकूट में कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी 14133 मतों से जीती थीं, पिछले 14 सालों में पार्टी की यह सबसे बड़े अंतर से जीत है। राज्य में 14 सालों से शासन कर रही भाजपा चित्रकूट सीट केवल एक बार 2008 में जीती थी वह भी 722 मतों के अंतर से। 2013 में भाजपा इस सीट को कांग्रेस से 10970 मतों के अंतर से हारी थी।

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मप्र नगर परिषद चुनाव 2018 के नतीजे 20 जनवरी 2018 को घोषित हुए थे। इसमें कुल 20 नगर निकायों के चुनाव व दस जिलों में उपचुनाव हुए थे। हालांकि भाजपा अपनी 13 सीटें बचाने में कामयाब रही थी और कांग्रेस सात सीटों पर काबिज हुई थी कांग्रेस की दिन प्रति दिन बढ़ती ताकत को देखते हुए यह नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी थे।

शिवराज सिंह चौहान को अब कांग्रेस के खतरे को समझना चाहिए। लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस की एक नई शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया युवाओं में खासा लोकप्रिय हैं। अरुण यादव भाजपा सरकार को निशाने पर लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अजय सिंह का महाकौशल बघेलखंड और बुंदेलखंड में खासा प्रभाव है। इन नेताओं की एकजुटता ही चुनाव में कांग्रेस की जीत की कुंजी होगी।

भाजपा हिंदुत्व और हिंदू पार्टी के रूप में जानी जाती है। जनसंख्या का विभाजन भाजपा को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। बहुसंख्य हिंदू आबादी के चलते ही वह साल दर साल जीतती चली आ रही है।

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एबीपी-लोकनीति-सीएसडीएस अपने सर्वे में मध्य रीजन की 43 सीटों में बीजेपी 30, कांग्रेस 11 और अन्य के खाते में 2 सीटें जाती दिख रही हैं। अभी तक उत्तर और मध्य रीजन में कुल मिलाकर बीजेपी को 42, कांग्रेस को 37, जबकि अन्य को 21 फीसदी सीटें मिलती दिख रही हैं।

इसी तरह आजतक के एग्जिट पोल के अनुसार मध्य प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर है।मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 41 फीसदी और बीजेपी को 40 फीसदी वोट मिल रहे है।वहीं मध्यप्रदेश में अन्य पार्टियां 4 से 11 सीटों पर जीत सकती।

इस बार मध्य प्रदेश में मतदान को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। हालांकि कई जगहों से ईवीएम और वीवीपैट मशीनें खराब होने की शिकायतें आईं। इसके बावजूद चुनाव आयोग के मुताबिक मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड 75% मतदान हुआ है। 2013 के विधानसभा चुनाव में 72.13 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2008 में 69.52 प्रतिशत, 2003 में 67.41 प्रतिशत, 1998 में 60.21 प्रतिशत, 1993 में 60.17 प्रतिशत वोट डाले गए थे।यानी करीब सात फीसदी अधिक मतदान ने बीजेपी को तीन चौथाई बहुमत दिलाया था। इसके बाद क्रमश करीब दो और तीन फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई और बीजेपी भारी बहुमत से चुनाव जीत कर सरकार बचाने में कामयाबी रही।

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मध्य प्रदेश में यह देखना रोचक होगा कि क्या भाजपा 2018 में भी राज्य में जीत का इतिहास रचने में सफल हो पाती है या 15 साल के बाद कांग्रेस वापसी करती है। वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। राज्य के लोग नई सरकार बनाने के लिए 230 सीटों पर वोट डालेंगे। चुनाव इस महीने के अंत में होने हैं।

भाजपा तमाम घोटालों के आरोपों को लेकर निशाने पर है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का आरोप है कि राज्य सरकार ने संघ को नियमों का उल्लंघन कर 500 करोड़ की जमीन एलौट कर दी है। वह यहीं नहीं रुकते वे भाजपा पर व्यापम, अवैध बालू की खुदाई, 2500 करोड़ सिंहस्थ घोटाले, बांध और तालाब घोटाले, मिड डे मील घोटाले आदि के आरोप लगाते हैं। हम इन घोटालों को देखते हैं और भाजपा पर भविष्य में इसके प्रभाव का आंकलन करते हैं।

शुरुआत सबसे बड़े व्यापम घोटाले से करते हैं। व्यापम प्रवेश परीक्षा, दाखिले और प्रवेश का घोटाला था। जो कि मध्य प्रदेश में 2013 में हुआ। इस घोटाले में राजनेता, वरिष्ठ कनिष्ठ अधिकारी, कारोबारी सुनियोजित ढंग से शामिल थे जिसमें अधिकारियों को घूस देकर पेपर लिखवाने, बैठने की व्यवस्था को प्रभावित करने और जाली आनसरशीट की आपूर्ति करवाना शामिल था।

अब बालू घोटाले पर आते हैं। राज्य सरकार ने नर्मदा प्लान में 2012 में बालू के खनन को प्रतिबंधित कर दिया था जबकि तीस फीसदी बालू खनन ही वैध होता था। केवल वैध खनन को ही बैन कर दिया गया। लेकिन 70 फीसदी अवैध खनन जारी रहा। बालू माफिया कानून और नियमों को अपने अनुसार ढाल लेते हैं। इसमें चौहान का भतीजा भी शामिल रहा। इससे वैध डीलरों के लिए संकट खड़ा हुआ।

1500 करोड़ का सिमहस्त घोटाला उस समय हुआ जब राज्य सरकार सिमहस्त कुंभ का आयोजन उज्जैन में 2016 में करा रही थी। विपक्ष के उपनेता बाला बच्चन ने इस घोटाले पर हुए खर्च के संबंध में पेश अपनी रिपोर्ट मई 2016 में दी थी। श्री यादव कहते हैं कि सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने लोकसभा को सूचित किया है कि उज्जैन सिमहस्त में 4471 करोड़ से अधिक खर्च किये गए।

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अंत में मध्य प्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर बात करते हैं। मध्य प्रदेश में 26 लाख से अधिक किसानों ने सहकारी बैंकों से 13 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 11 हजार किसानों ने पिछले नौ सालों में आत्महत्या की है। यह आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं।जबकि मध्य प्रदेश में 20 प्रतिशत कृषि विकास दर पिछले कुछ सालों में दर्ज की गई है। यह एक विश्व रिकार्ड लग सकता है लेकिन किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के हालात के चलते ये आंकड़े बेकार हो जात हैं।

हालांकि चौहान सरकार कह रही है कि राज्य में विरोध की कोई लहर नहीं है लेकिन हाल के नगरीय चुनाव के नतीजे चौहान सरकार के माथे पर बल डालने के लिए काफी हैं। रागोगढ़ नगर निकाय के चुनाव में 24 सीटों में से कांग्रेस 20 सीटें ले गई थी। जबकि भाजपा को केवल चार मिली थीं। चित्रकूट में कांग्रेस प्रत्याशी नीलांशु चतुर्वेदी 14133 मतों से जीती थीं, पिछले 14 सालों में पार्टी की यह सबसे बड़े अंतर से जीत है। राज्य में 14 सालों से शासन कर रही भाजपा चित्रकूट सीट केवल एक बार 2008 में जीती थी वह भी 722 मतों के अंतर से। 2013 में भाजपा इस सीट को कांग्रेस से 10970 मतों के अंतर से हारी थी।

मप्र नगर परिषद चुनाव 2018 के नतीजे 20 जनवरी 2018 को घोषित हुए थे। इसमें कुल 20 नगर निकायों के चुनाव व दस जिलों में उपचुनाव हुए थे। हालांकि भाजपा अपनी 13 सीटें बचाने में कामयाब रही थी और कांग्रेस सात सीटों पर काबिज हुई थी कांग्रेस की दिन प्रति दिन बढ़ती ताकत को देखते हुए यह नतीजे भाजपा के लिए खतरे की घंटी थे।

शिवराज सिंह चौहान को अब कांग्रेस के खतरे को समझना चाहिए। लंबे अंतराल के बाद कांग्रेस की एक नई शुरुआत हो चुकी है। कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया युवाओं में खासा लोकप्रिय हैं। अरुण यादव भाजपा सरकार को निशाने पर लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। अजय सिंह का महाकौशल बघेलखंड और बुंदेलखंड में खासा प्रभाव है। इन नेताओं की एकजुटता ही चुनाव में कांग्रेस की जीत की कुंजी होगी।

भाजपा हिंदुत्व और हिंदू पार्टी के रूप में जानी जाती है। जनसंख्या का विभाजन भाजपा को विजयी बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है। बहुसंख्य हिंदू आबादी के चलते ही वह साल दर साल जीतती चली आ रही है।

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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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