महंत परमहंस दास को जबरन उठाना गैरकानूनी: उलेमा

Shivakant Shukla
Published on: 9 Oct 2018 7:55 PM IST
महंत परमहंस दास को जबरन उठाना गैरकानूनी: उलेमा
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सहारनपुर: पिछले दिनों अयोध्या में राम मंदिर निर्माण व प्रधानमंत्री को अयोध्या बुलाने की मांग को लेकर भूखहड़ताल कर रहे महंत परमहंस दास को पुलिस द्वारा रात के अंधेरे में जबरन उठाने व उनके समर्थकों को जेल भेजने पर मजलिस इत्तिहादे मिल्लत ने कड़ा रोष व्यक्त किया है। मजलिस के महासचिव अथर उस्तानी ने कहा कि धर्म गुरुओं के साथ इस तरह का व्यवहार बिल्कुल अनुचित है, चाहे वह किसी भी धर्म के गुरू हों।

स्थानीय कार्यालय पर हुई मजलिस की बैठक में अथर उस्मानी ने कहा कि तपस्वी छावनी के वृद्ध संत परमहंस दास प्रधानमंत्री को अयोध्या बुलाने की मांग को लेकर भूखहड़ताल कर रहे थे। एक सप्ताह तक उनकी किसी ने सुध नहीं ली। बीती रात पुलिस द्वारा वृद्ध संत का जबरन अनशन समाप्त कराया जाना बेहद निंदनीय है।

धर्म गुरू का सम्मान बेहद जरूरी है चाहे वह किसी भी धर्म के क्यों न हो-उस्मानी

अथर उस्मानी ने कहा कि धर्म गुरू का सम्मान बेहद जरूरी है चाहे वह किसी भी धर्म के क्यों न हो। उन्होंने कहा कि महंत परमहंस से वार्ता कर उन्हें समझाया जा सकता था लेकिन सरकार ने यह करना गंवारा नहीं किया और महंत को किसी मुजरिम की तरह देर रात उठवा लिया गया। जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। कहा कि बाबरी मस्जिद-और रामजन्म भूमि को लेकर हमारा मतभेद अपनी जगह है लेकिन किसी भी उलेमा या संत का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती अहमद गोड ने कहा कि मजलिस संत परमहंस दास जी की मांग का समर्थन नहीं करती है बल्कि जिस अभद्र तरीके से उन्हें पुलिस ने उठाया उसकी निंदा करती है। कहा कि संत समाज के आर्शिवाद व समर्थन से ही भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता तक पहुंची है। कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार के मुखिया तो स्वयं एक मंदिर के महंत हैं। ऐसे में सरकारी निर्देशों पर पुलिस द्वारा संत के साथ की गई बदसुलूकी भाजपा का असली चेहरा दर्शाती है। बैठक में कारी तसव्वुर, मूसा चौधरी, अफजाल कुरैशी, सऊद उस्मानी, शुएब सिद्दीकी आदि मौजूद रहे।

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