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Mainpuri Lok Sabha: मैनपुरी में यादव वोट को लेकर घमासान... कौन किसपर भारी, जानिए किसकी राह हुई आसान
Lok Sabha Election 2024: इस लोकसभा चुनाव में सपा के गढ़ में बसपा यादव वोट में सेंध करने की तैयारी कर चुकी है। मैनपुरी में बसपा और भाजपा यादव समाज की वोट को प्रभावित कर सेंधमारी करने में जुटी हैं।
Mainpuri Lok Sabha: लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण की राजनीति अपने चरम पर है। जातीय समीकरण का असर उत्तर प्रदेश के मैनीपुरी लोकसभा सीट में भी दिखने लगा है। सपा के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में यादव वोटर्स में फूट पड़ने की आशंका है। सपा उम्मीदवार डिंपल यादव को कड़ी टक्कर देने के लिए बसपा ने भी यादव वोट पर सेंध करने कर दी है। जिसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा। आईए जानते हैं यादव समाज की वोट ही अब सपा के लिए टेंशन क्यों बढ़ा रही है...
मैनपुरी में सपा की जीत आसान नहीं
लोकसभा चुनाव में इस बार राजनीतिक जातीय समीकरण में भी कई फेरबदल देखने को मिल रहे हैं। कोई भी जातीय समाज किसी एक दल के पक्ष में खड़ा होगा, यह कहना आसाना नही है। यहां हम बात कर रहे हैं मैनपुरी लोकसभा सीट की, जो उत्तर प्रदेश की हॉट सीट बनी हुई है। यूं तो मैनपुरी समाजवादी पार्टी का गढ़ है और यहां यादव समाज सपा का बड़ा समर्थक माना जाता है। पिछले 28 सालों से मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा का ही कब्जा है। यहीं नहीं, यहां आठ बार मुलायम सिंह यादव के परिवार के सदस्य ही सांसद रहे हैं। मुलायम सिंह के निधन के बाद साल 2022 में मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर डिंपल यादव सांसद बनी। लेकिन इस बार मैनपुरी सीट पर सपा की जीत आसान नहीं मानी जा रही है।
मैनपुरी में यादव वोट पर बसपा की नजर
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर यादव समाज अहम भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि सभी चुनावी दलों की नजरें यादव वोट पर टिकी हुई हैं। सपा ने मैनपुरी सीट से दोबार डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। डिंपल यादव ने साल 2022 में बड़े अंतर से जीत भी हासिल की थी। लेकिन इस बार सपा के गढ़ में बसपा यादव वोट में सेंध करने की तैयारी कर चुकी है। बसपा ने यादव समाज की वोट को आकर्षित करने के लिए इस सीट पर शिवप्रसाद यादव को उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले बसपा ने मैनपुरी सीट से गुलशन शाक्य का नाम घोषित किया था। लेकिन बाद में यादव वोटरों की संख्या को देखते हुए मंगलवार को बसपा ने गुलशन शाक्य की टिकट काटकर शिवप्रसाद यादव को दे दिया। जिसके बाद यहां अब यादव समाज की वोट बंटने की आशंका बढ़ गई है।
भाजपा पर बढ़ा यादव समाज का भरोसा
उधर, भाजपा ने भी सपा की टेंशन बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश की 80 सीटों का दावा करने वाली बीजेपी ने भी मैनपुरी लोकसभा सीट पर रुख कर लिया है। हालांकि यहां बीजेपी ने मैनपुरी के स्थानीय जयवीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। लेकिन यादव वोट को प्रभावित करने के लिए भाजपा ने बड़ी चाल चली। जयवीर सिंह के नामांकन के समय भाजपा ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को बुलाया था। जिसका कारण यादव समाज को भाजपा की तरफ मोड़ना था। इसी के साथ कुछ यादव नेता सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु रह चुके चौधरी नत्थू सिंह के पौत्र धीरज यादव भी भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं। भाजपा करहल और जसवंत नगर से भी यादव समाज के नेताओं को बुलाने की कोशिश में जुटी है। इससे सपा के लिए मुश्किलें और भी बढ़ती जा रही हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी बसपा और भाजपा की इस चाल से अंजान नहीं है। सपा ने मैनपुरी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है।
क्यों बढ़ रही मैनपुरी में बसपा-भाजपा की रुचि
मैनपुरी में दो तरह का समाज वोटों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इनमें यादव और शाक्य समाज शामिल है। मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17.87 लाख है। इनमें चार लाख मतदाता यादव समाज के हैं और ढाई लाख मतदाता शाक्य समाज से आते हैं। इस तरह से इस सीट पर मतदान पूरी तरह से यादव समाज की वोट पर ही निर्भर करता है। यही वजह है कि बसपा और भाजपा यहां सपा का खेल बिगा़ड़ने की कोशिश में जुटे हैं। अगर बसपा और भाजपा मैनपुरी सीट पर यादव समाज की वोटों को विभाजित करने में सफल होती है, तो यहां सपा प्रत्याशी डिंपल यादव की जीत हार निश्चित है। इसी के साथ मैनपुरी में सपा का सालों का दबदबा भी खत्म हो जाएगा।
इन लोकसभा सीटों में भी बंटेगा यादव वोट
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी सीट के अलावा दो अन्य लोकसभी सीटों पर भी यादव समाज की वोट पर असर पड़ने वाला है। इन सीटों पर भाजपा को फायदा मिल सकता है। एटा में भी भाजपा यादव मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है। एटा में कुल 2.75 लाख यादव मतदाता हैं। यहां किसी भी दल ने यादव समाज से प्रत्याशी नहीं उतारा है। एटा से भाजपा की ओर से राजवीर सिंह तीसरी बार उम्मीदवार चुने गए हैं। सपा इस सीट पर देवेश शाक्य को टिकट देकर यादव समाज को नाराज कर दिया है। दूसरी लोकसभा सीट फिरोजाबाद है, जहां कुल 18.87 लाख मतदाताओं में चार लाख यादव मतदाता हैं। यहां भाजपा ने सपा के खास रिश्तेदार हरिओम यादव को अपने पाले में कर यादव वोट हासिल करने की तैयारी पहले ही कर ली थी।