TRENDING TAGS :
मण्डी शुल्क की छूट सीमा को बढ़ाकर किया गया 10 वर्ष
उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में संशोधन किया गया है। संशोधन किये जाने के बाद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने वाली इकाईयों को पांच वर्ष की मण्डी शुल्क की छूट की सीमा को बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 में संशोधन किया गया है। संशोधन किये जाने के बाद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने वाली इकाईयों को पांच वर्ष की मण्डी शुल्क की छूट की सीमा को बढ़ाकर दस वर्ष किया गया है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की ओर से गुरुवार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि मण्डी शुल्क की पांच वर्ष छूट की सीमा के पश्चात आगामी पांच वर्ष के लिए उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 के तहत एसजीएसटी के लिए प्रतिपूर्ति की निर्धारित सीमा एवं व्यवस्था के अनुसार आगामी पांच वर्ष तक जमा किये गये मण्डी शुल्क की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
ये भी पढ़ें...विधानसभा में बसपा ने उठाया चिकित्सा संस्थानों में खराब पड़े वेंटीलेटर्स का मुद्दा
27 जनवरी को किया गया था वेब पोर्टल का लोकार्पण
जिसका प्राविधान उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा विभागीय बजट से किया जायेगा। उपमुख्यमंत्री की रिपोर्ट के अनुसार उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के अन्तर्गत आनलाइन आवेदन प्राप्त करने हेतु 27 जनवरी 2018 को वेब पोर्टल का लोकार्पण उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा किया गया था।
वेब पोर्टल पर दिनांक 25 जुलाई 2019 तक 238 आनलाईन आवेदन पंजीकृत हुए हैं। जिनमें 1223 करोड़ का पूंजी निवेश एवं 20490 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन की सम्भावना है। 238 आवेदनों में पूंजीगत उपादान के 127, पूंजीगत उपादान (पीएमएसएसवाई) के 18 ब्याज उपादान के 81, रीफर व्हीकिल के 07, बाजार विकास के 01 तथा बैंकेबुल प्रोजेक्ट के 4 आवेदन हैं।
आनलाईन वेब पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों को राज्य सरकार की राज्य स्तरीय इम्पावर्ड समिति (एसएलईसी) द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। अब तक एसएलईसी की चार बैठकें हो चुकी हैं। प्रथम बैठक दिनांक 17 अक्टूबर 2018 में 11 परियोजनाएं (34 करोड़), द्वितीय बैठक 16 जनवारी 2019 में 27 परियोजनाएं (60 करोड़), तृतीय बैठक 26 फरवरी 2019 में 14 परियोजनाएं(64.13 करोड़) तथा चतुर्थ बैठक 23 जुलाई 2019 को 45 परियोजनाओं(218 करोड़) को स्वीकृत किया गया है।
उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 03 दिवसीय न्याय पंचायत स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण जागरूकता शिविर आयोजित कर एक माह कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रशिक्षार्थियों को लघु इकाई (यथा- मसाला, बड़ी, पापड़ तेल, आटा चक्की, दुग्ध से तैयार किये जाने वाले उत्पाद आदि) स्थापित करने हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। योजनानतर्गत परियोजना लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि (प्लान्ट मशीनरी पर) एक लाख का अनुदान दिया जाता है।
ये भी पढ़ें...इंस्टाग्राम बना कमाई का नया अड्डा, सेलेब्रिटी एक फोटो चिपका कमाते हैं करोड़ों
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!