भाजपा 2024 मिशन की तैयारी में, क्या अखिलेश-जयंत चौधरी की जोड़ी तोड़ सकेगी ?

Meerut News: मिशन 2024 के मद्देनजर एक बार फिर भाजपा की नजरें चौधरी जयंत सिंह पर लगी है। वहीं राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का साथ छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।

Sushil Kumar
Report Sushil KumarPublished By Deepak Kumar
Published on: 17 March 2022 9:39 PM IST
BJP preparing election 2024
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BJP preparing election 2024 

BJP Election 2024: मिशन 2024 (Mission 2024) के मद्देनजर एक बार फिर भाजपा की नजरें चौधरी जयंत सिंह (Chaudhary Jayant Singh) पर लगी है। हालांकि यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) खासकर वेस्ट यूपी (West UP) में राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) को मनमुताबिक सीट नहीं मिलने के बाद भी राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह फिलहाल सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का साथ छोड़ने के मूड में नही दिख रहे हैं।

दरअसल, भाजपा (BJP) के पास फिलहाल जमीनी जाट नेता नहीं है। सत्यपाल सिंह और संजीव बालियान जैसे जाट नेता हैं मगर उनका जाटों में कोई खास असर नहीं है। ताजा विधानसभा चुनाव इसको साबित करने के लिए काफी है। जाट बाहुल्य इलाकों में अगर भाजपा कही जीती भी है तो वहां जीत का अंतर काफी कम है। 29 ऐसी सीटें थीं, जहां हार-जीत का अंतर 2,000 से भी कम रहा। इनमें सबसे ज्यादा 19 सीटें भाजपा ने जीतीं, जबकि समाजवादी पार्टी को 9 जगह सफलता मिली। कांग्रेस के खाते में एक सीट गई।

राष्ट्रीय लोकदल के असर वाले पश्चिमी यूपी

राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) के असर वाले पश्चिमी यूपी की बात करें तो धामपुर सीट (Dhampur seat) पर भाजपा (BJP) के अशोक राणा (Ashok Rana) ने 203 वोटों से जीत हासिल की। वहीं, बिलासपुर सीट (Bilaspur seat) पर राज्यमंत्री बलदेव सिंह (Minister of State Baldev Singh) 307 वोटों से जीते। नकुड़ में भाजपा (BJP) के मुकेश चौधरी ने सपा गठबन्धन उम्मीदवार डॉ. धर्म सिंह सैनी (SP alliance candidate Dr. Dharam Singh Saini) को मात्र 315 मतों से हराया। इसी तरह बड़ौत में बीजेपी के कृष्‍ण पाल मलिक (Krishan Pal Malik of BJP) ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के जयवीर को मात्र 315 वोटों से हराया। इसके अलावा बागपत, बिजनौर, बिलासपुर, मुरादाबाद नगर, में भी जीत का अंतर दो हजार से कम रहा।

2024 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए महत्वपूर्ण

ऐसे में जबकि 2024 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए वह चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाह रही है। इसके लिए भाजपा (BJP) की कोशिश एक बार फिर से जयंत चौधरी (Chaudhary Jayant Singh) का साथ लेने की है। बता दें कि 2022 के चुनाव से पहले भी जयंत (Chaudhary Jayant Singh) को अपने पाले में लाने की भाजपा (BJP) की तरफ से काफी कोशिशें की गई थी। हालांकि जयंत (Chaudhary Jayant Singh) ने भाजपा का ऑफर खुले आम ठुकरा दिया था। हालांकि चुनाव नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे हैं, लेकिन भाजपा (BJP) यह बात भी समझ रही है कि यूपी में उसके लिए चुनौती बढ़ी है। 2024 का लोकसभा चुनाव उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। इसलिए उसकी कोशिश एक बार फिर से जयंत चौधरी (Chaudhary Jayant Singh) का साथ लेने की है। यही वजह है कि चुनाव के दौरान भी चुनाव के बाद भी जयंत चौधरी के खिलाफ भाजपा के किसी बड़े नेता के बयान सामने नहीं आये हैं।

उधर, सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी (Chaudhary Jayant Singh) की पार्टी के वरिष्ठ नेता सपा के साथ 2024 के लिए दोस्ती बरकरार रखने के पक्ष में नही है। ऐसे नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को सपा (SP) से गठबंधन करने का खास फायदा नहीं हुआ। ऐसे नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन के बाद उपजी नाराजगी, सजातीय वोटों के बड़े हिस्से के साथ आने और मुस्लिमों का समर्थन मिलने के बाद जीरो से आठ सीटों पर पार्टी जरूर पहुंच गई है । लेकिन चुनाव लड़ी 33 सीटों में से 25 सीटों पर हारने का मतलब साफ है कि सपा के साथ दोस्ती उम्मीद के मुताबिक फायदे का सौदा नही रही है।

रालोद ने 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था

दरअसल, रालोद इस बार समाजवादी पार्टी गठबंधन कर 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से 25 पर उसे हार मिली है। इनमें चौधरी परिवार के गढ़ बागपत जिले की दो सीटें भी शामिल हैं। जिन आठ सीटों पर जीत मिली उनमें भी तीन पर सपा नेता रालोद के सिंबल पर लड़े। रालोद को आठ सीटें मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिले से मिली हैं। पश्चिमी यूपी के सहारनपुर, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतम बुध नगर, मथुरा, अलीगढ़, बिजनौर और आगरा में रालोद को एक भी सीट नहीं मिली। रालोद के गढ़ और चौधरी परिवार की लोकसभा सीट के रूप में जानी जाने वाली बागपत लोकसभा सीट की तीन विधानसभा सीटों में से भी दो बागपत और बड़ौत हार गई हैं। सिर्फ छपरौली जीती। अब देखना यही है कि भाजपा की जयंत को अपने पाले में लाने की ताजा कोशिशें सफल हो पाती है या नही।

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