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खेती किसानी में पुरुषों का वर्चस्व, महिला हितैषी टेक्नोलॉजी जरूरी
लखनऊ : खेती किसानी में उपयोग होने वाली ज्यादातर तकनीकें पुरूष प्रधान हैं। उधर छोटी जोतें अलाभकारी होती हैं। नतीजतन कमाई के लिए पुरूष शहर की तरफ पलायन करते हैं। इसलिए महिला हितैषी तकनीक के विकास और महिला किसानों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की देश में जरूरत है। किसानों की आयु दोगुना करने के लिए गठित पांच सदस्यीय राज्यपालों की समिति ने जिला स्तर पर ‘कृषक शिकायत निवारण सेल‘ के स्थापना की भी संस्तुति की है।
समिति ने दिए हैं यह प्रमुख सुझाव
कृषि विकास योजना के तहत केंद्रीय सहायता के बारे में सुझाव
केन्द्र एवं राज्यांश 60ः40 के स्थान पर 90ः10 का अनुपात करने का सुझाव
छोटी जोतों को लाभकारी बनाने का सुझाव।
इसके लागू होने से यूपी, केरल, प.बंगाल, त्रिपुरा, उड़ीसा के किसानों को राहत मिलेगी।
मनरेगा को कृषि क्षेत्र की लाभकारी गतिविधियों से जोड़ा जाए।
मूल्य निर्धारण प्रक्रिया फसल चक्र के अनुसार निर्धारित करने पर जोर।
नई फसलों जैसे-ग्वार, अरण्डी, मसाले (अदरक, लहसुन, हल्दी) और सुगन्धित एवं औषधि की फसलों को मूल्य निर्धारण के अन्तर्गत लाने का सुझाव।
‘अनुबन्ध खेती‘ पर समग्र रूप में विचार करने का सुझाव।
भूमि, जल, बीज, उर्वरक, ऊर्जा, बाजार आदि के सरलीकरण की जरूरत।
सौर और पवन ऊर्जा को ग्रिड सप्लाई से जोड़ने का सुझाव।
आंगनबाड़ी को आधुनिक बनाने के लिए ‘काॅर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फण्ड’ का सदुपयोग करने का सुझाव
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यूपी गवर्नर की अगुवाई में गठित समिति ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट
यूपी के गवर्नर राम नाइक की अगुवाई में पांच सदस्यीय राज्यपालों की समिति गठित की गई थी। नाईक के नेतृत्व में समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी। इसमें वरिष्ठतम राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन आंध्र प्रदेश व तेलंगाना, कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शामिल हैं। बता दें कि 4 और 5 जून को राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन से पूर्व एक औपचारिक बैठक में 3 जून को ‘अप्रोच टू एग्रीकल्चर-ए होलिस्टिक ओवरव्यू’ विषय पर सुझाव देने के लिए समिति का गठन किया गया था।
22 प्रदेशों के राज्यपाल व उपराज्यपालों के सुझाव शामिल
राष्ट्रपति को प्रस्तुत 48 पृष्ठीय रिपोर्ट में समिति ने अन्य 22 प्रदेशों के राज्यपाल/उप राज्यपालों के सुझावों को शामिल करते हुए 21 मुख्य संस्तुतियाँ की हैं। रिपोर्ट में खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, जल सुरक्षा और पर्यावरण सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दों को शामिल किया गया है। चुनौतियों का आंकलन करते हुए अहम सुझाव दिए गए हैं। कुछ राज्यों के सुझावों विशेष रूप से जहां रोपित फसलों के अन्तर्गत ज्यादा क्षेत्रफल है, वहां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम की दर 5 प्रतिशत से घटाकर फसलों की भांति 2.5 प्रतिशत किये जाने पर विचार किये जाने का सुझाव भी दिया गया है।
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