मुन्ना बजरंगी के हत्या की सीबीआई जांच की मांग, सरकार से जवाब तल‍ब

sudhanshu
Published on: 28 Sept 2018 7:56 PM IST
मुन्ना बजरंगी के हत्या की सीबीआई जांच की मांग, सरकार से जवाब तल‍ब
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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में कैदी द्वारा गोली मारकर की गयी हत्या की सीबीआई जांच की मांग में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से शुक्रवार को विस्तृत जवाब मांगा है। अब इस याचिका की सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति डी.के सिंह की खण्डपीठ ने मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह की याचिका पर दिया है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता ओ.पी सिंह का कहना है कि पुलिस ने गोली व पिस्टल बरामद किया है। फोरेन्सिक जांच में पिस्टल से फायर हुआ ही नहीं है। जिस पिस्टल से फायर हुआ, उसे अभी तक बरामद नहीं किया जा सका है। पुलिस केस को कमजोर कर रही है। ऐसे में हत्या की निष्पक्ष जांच करायी जाए।

कोर्ट की अन्‍य खबरें:

बेसिक स्कूलों में आनलाइन प्रवेश की हो व्यवस्था, सचिव से हलफनामा तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सचिव बेसिक शिक्षा उत्‍तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि वह आवेदन में त्रुटि के कारण किसी भी छात्र का प्रवेश करने से इन्कार न होने दे।

कोर्ट ने कहा है कि वह स्कूलों में आनलाइन प्रवेश की व्यवस्था करें ताकि आवेदन की त्रुटियां सुधारी जा सकें। कोर्ट ने कृत कार्यवाही के ब्यौरे के साथ हलफनामा मांगा है। अब याचिका की सुनवाई आठ अक्टूबर को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोंसले तथा न्यायमूर्ति अजय भनोट की खण्डपीठ ने ललितपुर के केहर सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। ललितपुर के बी.एस.ए ने कोर्ट से पूरक हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा ताकि वह कोर्ट को बता सके कि बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों पर क्या कार्यवाही की गयी है और उनकी सूची कोर्ट में पेश कर सके। कोर्ट ने जानना चाहा है कि गैर मान्यता के चल रहे स्कूलों के बच्चों को किन स्कूलों में शिफ्ट किया गया है। स्कूलों व बच्चों की संख्या सहित नाम बताये स्कूलों पर कार्यवाही की जाए।

टीजीटी गणित के अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का आदेश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीजीटी मैथ 2010 के संशोधित परिणाम में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि संशोधित परिणाम के जो अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गये हैं मगर पूर्व के चयन के आधार पर नौकरी कर रहे हैं इनको सेवा से निकाला नहीं जायेगा। कोर्ट ने कहा है कि चयनित अध्यापकों के लिए पद नहीं है तो मैनेजमेंट के विद्यालयों में अलग से यह सृजित किये जायें। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा ने अनिल कुमार पटेल और कई अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची के अधिवकता सीमांत सिंह ने बताया कि टीजीटी मैथ के कुछ प्रश्नों को लेकर आपत्ति दाखिल की गयी थी। कोर्ट के आदेश पर विशेषष की राय ली गयी। विशेषज्ञ की राय में आपत्ति सही पायी गयी। इस पर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने परिणाम संशोधित कर दिया जिसमें पूर्व में चयनित कई अभ्यर्थी चयन सूची से बाहर हो गए। बाहर किये गये अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के फैसले को विशेष अपील में चुनौती दी थी। खण्डपीठ ने एकलपीठ का आदेश रद्द कर मामला फिर से सुनवाई के लिए वापस भेज दिया।

ग्राम पंचायत अधिकारी का तबादला करने का सीडीओ को अधिकार

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मऊआइमा के ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के मेजा में सीडीओ के आदेश से किये गये तबादले को वैध करार दिया है और कहा है कि याची के मामले में पंचायत राज एक्ट लागू नहीं होगा। सीडीओ ही ऐसे तबादले का सक्षम अधिकारी होगा। कोर्ट ने तबादले के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने इमरान अहमद की याचिका पर दिया है। याचिका पर राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता श्रवण दुबे ने प्रतिवाद किया। याची का कहना था कि वह ग्राम विकास अधिकारी पंचायत विकास अधिकारी नियमावली 1999 से शासित है। इसलिए सक्षम अधिकारी राज्य सरकार है। इसलिए सीडीओ व वीडीओ द्वारा उसका तबादला करना विधि विरुद्ध है। किन्तु कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि याची के मामले में पंचायत राज एक्ट लागू नहीं होता। सीडीओ ही नियुक्ति अधिकारी है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

सेन्ट्रल बोर्ड आफ एजुकेशन अजमेर नयी दिल्ली की डिग्री मान्य नहीं, जांच और कार्यवाही का निर्देश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव मानव संसाधन विकास मंत्रालय नयी दिल्ली को सेंट्रल बोर्ड आफ एजुकेशन अजमेर नयी दिल्ली की जांच करने का निर्देश दिया है और कहा है कि नियमानुसार कार्यवाही करे। इस बोर्ड की वैध मान्यता नहीं है और डिग्रियां देकर वह छात्रों को गुमराह कर रहा है। इस डिग्री के आधार पर उ.प्र. पुलिस कांस्टेबल भर्ती में शामिल करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुरेन्द्र एवं 24 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता श्रवण दुबे ने प्रतिवाद किया। याची का कहना है कि बोर्ड मान्यता प्राप्त है किन्तु वह मान्यता का प्रमाण पत्र पेश नहीं कर सके। कोर्ट ने बिना मान्यता के चल रहे बोर्ड की डिग्री को सही नहीं माना और सचिव को इसकी जांच करने का निर्देश दिया है तथा कानून के तहत कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।

विद्युत विभाग कर्मी की जन्मतिथि दुरूस्त करने का निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिशासी अभियंता पारीक्षा पावर प्लांट झांसी को याची की जन्मतिथि विवाद को 8 हफ्ते में तय करने का एक और मौका दिया है और कहा है कि इसके बावजूद यदि वह याची के प्रत्यावेदन को निर्णीत नहीं करते तो याची को उनके खिलाफ दोबारा अवमानना याचिका दाखिल करने की छूट होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता ने पर्वत लाल की अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ओम प्रकाश सिंह ने बहस की। इनका कहना था कि कोर्ट ने विपक्षी आशुतोष सिंह अधिशासी अभियंता को याची की सर्विस रिकार्ड गलत जन्मतिथि को दुरूस्त करने के प्रत्यावेदन को एक माह में निर्णीत करने का आदेश दिया था। जिसका पालन न करने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी। याची का कहना है कि सेवा पंजिका में उसकी जन्मतिथि 2 अप्रैल 1958 दर्ज है जबकि ईपीएफ, परिचय पत्र जो कि विभाग में जारी किया है, उस पर दो फरवरी 1962 जन्मतिथि दर्ज है। कोर्ट ने सही जन्मतिथि दर्ज करने का आदेश दिया था।

मानववध के आरोपी की सजा को कोर्ट ने माना पर्याप्त

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद करछना निवासी रामहित को मारपीट व संदोष मानववध के आरोप में भुगती गयी सजा को पर्याप्त मानते हुए दस हजार रूपये जुर्माने पर बरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपराध साबित करने में पूरी तरह से सफल नहीं रहा। अपीलार्थी चार साल की कैद पूरी कर चुका है। जिसे कोर्ट ने पर्याप्त माना और कहा कि अन्य आरोपियों की मौत हो चुकी है। 39 साल बाद 80 साल की उम्र में एक मात्र बचे आरोपी को अधिक सजा देना औचित्यहीन है।

यह आदेश न्यायमूर्ति हर्ष कुमार ने राम ललक पाण्डेय की अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर वरिष्ठ अधिवक्ता वी.सी.मिश्र व उमाशंकर मिश्र ने बहस की। मालूम हो कि आरोपी रामललक के गन्ने के खेत में रामरोज की भैस घुस गयी जिस पर दोनों पक्षों में मारपीट हुई। चार लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई। मारपीट से घायल रामरोज की मौत हो गयी। सत्र न्यायालय ने चार साल की कैद व जुर्माना लगाया। 27 अगस्त 1979 की घटना पर सजा को हाईकोर्ट में अपील हुई थी। 39 साल बाद कोर्ट ने सजा भुगतने को ही पर्याप्त मानते हुए रिहा करने को कहा है।

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