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Muzaffarnagar News: ईद और जुमे की नमाज पर काली पट्टी प्रकरण मे ज़मानत का सिलसिला शुरू
Muzaffarnagar News : मुस्लिम पर्सनला बोर्ड के आह्वान पर अलविदा जुमा और ईद की नमाज के दौरान उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में कुछ मुस्लिम लोगों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराते हुए नमाज अदा की थी।
ईद और जुमे की नमाज पर काली पट्टी प्रकरण मे ज़मानत का सिलसिला शुरू (social media)
Muzaffarnagar News: मुस्लिम पर्सनला बोर्ड के आह्वान पर अलविदा जुमा और ईद की नमाज के दौरान उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में कुछ मुस्लिम लोगों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज कराते हुए नमाज अदा की थी। जिस पर पुलिस प्रशासन के द्वारा धारा 130 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत सैकड़ो लोगों को नोटिस जारी किए गए थे। इन नोटिस में कहां गया था कि यह लोग दबंग झगड़ालू और अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जो वक्फ़ संशोधन बिल की गलत धारणा पेश कर अफवाह फैलाकर समाज के भोले भाले लोगों को बहला फुसलाकर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं भविष्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर यह जमानती मुचलके पाबंद कराए गए हैं।
2 लाख के मुतालको पर अपनी जमानत
आपको बता दे की इन नोटिस में कुछ लोगो को जमानत कराने के लिए 16 अप्रैल की तारीख दी गई थी जिस पर आज दर्जन भर लोगों ने नगर मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश होकर 2 लाख के मुतालको पर अपनी जमानत कराई है। जमानत करने आए इन लोगों में कुछ लोगों का कहना था कि उन्होंने मुस्लिम पर्सनला बोर्ड के आह्वान पर शांतिपूर्ण तरीके से काली पट्टी बांधकर नमाज अदा की थी तो वही बहुत से लोगों का कहना था कि हमने कोई काली पट्टी नहीं बांधी थी उसके बाद भी हमें यह नोटिस मिले हैं बावजूद इसके प्रशासन का सम्मान करते हुए आज हमने अपनी जमानत कराई है।
काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया था
इस दौरान जहां इन लोगों के अधिवक्ता अमजद चौधरी ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि यह 107/16 का मामला है और इसमें अपनी जमानत कराने के लिए लोग आए थे। यहां पर और उनकी जमानत हो चुकी है यह जो वक्फ कानून आया था उसके विरोध में दर्ज कराने के लिए काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया था उसे प्रदर्शन को करने के बाद में प्रशासन ने उनके ऊपर यह कार्रवाई की है जो निंदनीय है अभी कुछ लोग आए थे और भी कुछ लोग आने वाले हैं लगभग 300 या 300 से ज्यादा लोग इसमे हैं। इसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है लेकिन यह विधि विरुद्ध है और यह आर्टिकल 14 15 और 19 सभी का उल्लंघन है अगर यह लोग जमानत नहीं करते तो दोबारा नोटिस जाएगा।
नोटिस लेकर मुझे प्रशासन से कोई इस तरह की शिकायत नहीं
पीड़ित नौशाद पहलवान की मानें तो मैंने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया, मैं तो यहां 107/16 के तहत अपनी जमानत कराने आया हूं। दो पुलिसकर्मी कानून के दायरे में यह नोटिस लेकर मेरे पास आए थे, इसलिए मुझे प्रशासन से ऐसी कोई शिकायत नहीं है। हम कानून का पालन करते हैं और इसी के तहत हम इंस्पेक्टर या एसएसपी साहब से नहीं मिले। हम तो यहां अपनी जमानत कराने आए हैं। अब यह कानून का काम है, ऐसा करने के पीछे उनकी क्या सोच थी? आप उन लोगों से पता कीजिए कि हमें विरोध करने की क्या जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट से जो भी आदेश आएगा, हमारी सरकार जो चाहेगी, हम हर तरह से सरकार का साथ देंगे। हां, सरकार जो भी करेगी, हम हर तरह से सरकार के साथ हैं और इसमें मामला सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाईकोर्ट में भी गया है। कोर्ट से जो भी आदेश आएगा, हम उनका हर तरह से साथ देंगे। नहीं, मैंने काली पट्टी नहीं बांधी। जिन्होंने बांधी है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। स्टाफ ने ही बताया कि हमारे खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी, क्योंकि हम भी जिम्मेदार लोग हैं। इसके पीछे कारण यह है कि हमारा मानना है कि देखिए यहां हर तरह के लोग हैं। पता नहीं किसने राजनीति की द्वेषता में हमारा नाम लिखवा दिया। लेकिन जो भी हो हमें इसमें प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है। नहीं मेरे ऊपर आज से पहले कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
'हमें कानून का पालन करना है'
मुजफ्फरनगर में तो बहुत लोग हैं लेकिन मेरे हिसाब से मेरे वार्ड में 10-15 लोग हैं जो मेरी जानकारी में हैं। देखिए जिसने भी काली पट्टी बांधी है वो गलत है। हमें कानून का पालन करना है। हम इस देश के वासी हैं। हमारा देश ही यहां का कानून है। अगर कानून के दायरे में काम होगा तो हम हर तरह से कानून का समर्थन करेंगे, शांतिपूर्वक तरीके से और जो भी आदेश हमारे सुप्रीम कोर्ट या किसी और कोर्ट से आएंगे हम उनका पूरी तरह से पालन करेंगे और जनता को भी समझाएंगे कि हम हर तरह से कानून का समर्थन करेंगे।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से ऐलान हुआ था
पट्टी बांधकर खुद को सुरक्षित रखने वाले मोहम्मद सिबली कहते हैं कि हमारे पास बांड थे, इसलिए हम यहां मजिस्ट्रेट के पास आए और यहां अपनी जमानत दाखिल की। ये बांड वो काली पट्टियां थीं जो अलविदा जुम्मा के दिन बांधी जाती हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने घोषणा की थी कि जुम्मा के दिन काली पट्टियां बांधनी चाहिए। ये बांड उसके केस में बनाए गए थे। हां, हमने काली पट्टी इसलिए बांधी थी क्योंकि ये मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की घोषणा थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की घोषणा थी कि इस वक्फ बोर्ड केस में काली पट्टी बांधकर हमें चुपचाप अपना विरोध दर्ज कराना है। इसलिए हमने काली पट्टी बांधी और चुपचाप नमाज के लिए मस्जिद में आए और वापस चले गए। उसके बाद उन्होंने हमारे बांड हमें भेज दिए। हमें इस बारे में कुछ नहीं कहना है। अब हम यहां मजिस्ट्रेट के पास आए हैं और हमें अपनी जमानत मिल गई है।