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Muzaffarnagar News: दिल्ली कूच का लान, राजधानी में बुलाई गई किसानों की आपातकालीन बैठक
Muzaffarnagar News: दिल्ली बॉर्डर पर पांच मंडलों के किसान दिल्ली के लिए शांतिपूर्ण तरीके से कूच करेंगे और बाकी जो दूर के जनपद हैं वहां के किसान अपने-अपने जिलों में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे।
Muzaffarnagar News: अपनी मांगों को लेकर दिल्ली जाने के लिए बॉर्डर पर अड़े किसानों को अब भारतीय किसान यूनियन ने भी अपना समर्थन दे दिया है। दरसअल, बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हो रही पुलिस की कार्रवाई के बाद मंगलवार को पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों की राजधानी कहे जाने वाले सिसौली गांव में आपातकालीन किसानों की एक पंचायत बुलाई गई थी। पंचायत का नेतृत्व करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत में कल बुधवार को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है।
आपको बता दें कि कल दिल्ली बॉर्डर पर पांच मंडलों के किसान दिल्ली के लिए शांतिपूर्ण तरीके से कूच करेंगे और बाकी जो दूर के जनपद हैं वहां के किसान अपने-अपने जिलों में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेंगे।
पंचायत में लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बताया कि नोएडा के किसान बैठे थे शांति से के तरीके से उन्हें जबरदस्ती जेल में ठूंस दिया। किसानों के सामने यह मजबूरी है। क्या करें किसान आंदोलन शांति के तरीके से आंदोलन के सिवाय और कोई रास्ता है नहीं सुबह की बात करी की भाई सरकार की जिम्मेदारी है। नुकसान नफे की हमारी तो कुछ नहीं बैठकर बात करते सारी बात होती है उन्होंने पूरा देश में कहीं छात्रों का आंदोलन है कहीं मिलिट्री की बात है कहीं पेपर लिक की बात है।
किसान खुश नहीं है
ऐसा कहां की बात है इसी सरकार में सारी आफत है निर्णय लिया गया सुबह चलेंगे वहां पर जीरो पॉइंट पर नोएडा वहां चलने के लिए जो पांच मंडलों से अलग है दूर है वह अपने थानों पर प्रदर्शन करें शांति के तरीके से बस यही है बात है नहीं वह पांच मंडलों से अलग जो पांच मंडल हैं यह इसे जो दूर के हैं जो नहीं आ सकते कल तो वह अपने थानों पर प्रदर्शन करें उसमें क्या गिनती हो सकती है किसान तो किसान है किसानों के दर्द को समझे तो हुए सब अपने काम धंधा छोड़कर इस प्रतिष्ठा को बचाने की सबकी जिम्मेदारी है किसानों के हालात तो आप सभी लोग देख रहे कोई भी किसान खुश नहीं है।
फसलों के दाम सही नहीं मिल रहे
आज की युवा पीढ़ी खेती बाड़ी करने को तैयार नहीं तो कम से कम कहां जाएंगे वे सरकार ने ऐसी नौबत लादी फसलों के दाम नहीं सही मिल रहे कृषि की यह दवाई कृषि के बीज खेती फसलों में पढ़ते हैं बिजली का रेट और जाने क्या-क्या तूफान खड़ा कर दिया। हम तो यही कहें की बैठकर बातचीत तो करो ऐसा कैसी सरकार के जिम्मे क्या है सारी बातें सारी बुराई लेनी यह भारत का सबसे बड़ा संगठन है यह सोच रहे इसको दबा लें और ये तो छोटे संगठन है और कोई बात नहीं संयुक्त किसान मोर्चा बहुत बड़ा एक बहुत बड़ा संगठन है यह बहुत संगठन उसमें मिल रहे अब तो अब तो लड़ाई सब लड़ रहे भारतीय किसान यूनियन की अकेले की लड़ाई नहीं रह गई अब तो सबकी लड़ाई है। यह तो आंदोलन चल ही रहे वही तो है और कौन सा आंदोलन है भाई गाजीपुर वाला ही तो आंदोलन है यह सारे भारत में वही की वही बात है वही शुरुआत है कर दी उन्होंने वही बात।