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फर्जी मार्कशीट व उपाधि पर रोकथाम के लिए ठोस कदम की आवश्यकता: राज्यपाल
राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता में रविवार को राजभवन में आयोजित कुलपति सम्मेलन में विश्वविद्यालयों में वित्तीय संसाधन के संबंध में राज्यपाल ने तीन सदस्यीय कुलपतियों की समिति गठित की है, जिसमें कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तथा कुलपति, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर सदस्य होंगे जो अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत करेंगे।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राज्य विश्वविद्यालय राम नाईक ने कहा है कि फर्जी मार्कशीट और फर्जी उपाधियों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फर्जी अंक तालिका व उपाधि जैसे विषय किसी हालत में बर्दाश्त नहीं किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इससे जहां एक ओर विश्वविद्यालय की बदनामी होती है वहीं प्रदेश की छवि भी धूमिल होती है।
राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता में रविवार को राजभवन में आयोजित कुलपति सम्मेलन में विश्वविद्यालयों में वित्तीय संसाधन के संबंध में राज्यपाल ने तीन सदस्यीय कुलपतियों की समिति गठित की है, जिसमें कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तथा कुलपति, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर सदस्य होंगे जो अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत करेंगे।
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राज्यपाल उक्त रिपोर्ट को अपने सुझावों सहित शासन को संदर्भित करेंगे। इसके अलावा एक और समिति का गठन किया गया है, जिसमे कुलपति, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ तथा कुलपति, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ सदस्य होंगे। यह समिति पीएचडी पूरी करने की तिथि के संबंध में विभिन्न विश्वविद्यालयों में स्थापित अलग-अलग व्यवस्थाओं में एकरूपता लाने के लिये सुझाव देगी।
कुलपति सम्मेलन में पहुंचे सभी राज्य विश्वविद्यालय के कुलपतियों को संबोधित करते हुये कुलाधिपति राम नाईक ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति योग्य ढंग से हो और इसमे जो बाधाएं हैं उसे दूर किया जाये। केन्द्र सरकार ने जो शिक्षा नीति घोषित की है उस पर भी विचार किया जाना चाहिए। स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों को लेकर यह देखने की आवश्यकता है कि वे समाज के लिये कितने उपयोगी हैं। कुलपति शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने पर काम करे जिससे कि यूपी के विश्वविद्यालय देश के टाप 100 विश्वविद्यालयों में शामिल हो सकें। उन्होंने शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा पटरी पर आ गयी है। उच्च शिक्षा में मौलिक परिवर्तन हुये हंै। चार वर्ष में सभी सत्र नियमित हुये हैं। नाईक ने वर्ष 2014-15 में 40 प्रतिशत छात्राओं का बढ़कर 56 प्रतिशत पहुंचने पर खुशी जाहिर करते हुये कहा कि शैक्षिक सत्र 2018-19 में सम्पन्न हुये दीक्षान्त समारोह में 66 प्रतिशत पदक छात्राओं के पक्ष में गये हैं। महिला सशक्तीकरण का यह एक शुभ संदेश है। नकलविहीन परीक्षा कराने की दृष्टि से उठाये गये कदम सराहनीय थे। निःसन्देह इससे छात्रों की संख्या में कमी अवश्य आयी है, पर यह परिवर्तन लोगों के समझ में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की उपलब्धियाँ समाज के सामने आनी चाहिए।
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कुलपति सम्मेलन में ई-लर्निंग, सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार शैक्षिक दिवस, प्रवेश, परीक्षाफल, शिक्षकों की उपलब्धता, आधारभूत सुविधाएं, ई-लाईब्रेरी, अभिलेखों की डिजिटाइजेशन आदि पर भी चर्चा हुई जिसमें कुलपतियों ने भी अपने-अपने विचार रखे।
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