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मोदी से मंत्री-अफसरों ने बुलवाया झूठ, नगला फतेला में कहां है बिजली?
हाथरसः आम तौर पर अफसरशाही के बारे में माना जाता है कि वे अपनी गर्दन बचाने के लिए सरकार तक गलत जानकारी पहुंचाते हैं, लेकिन पीएम मोदी तक को गलत जानकारी दे दी जाए तो और क्या कहा जा सकता है। मामला हाथरस की सासनी तहसील के नगला फतेला गांव का है। पीएम ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में इस गांव का नाम लिया और कहा कि आजादी के 70 साल बाद यहां बिजली पहुंची है। हकीकत ये है कि गांव में तो अंधेरा छाया रहता है। बिजली गांव से 200 मीटर दूर है।
ग्राम प्रधान योगेश ने उन तस्वीरों को भी गांव का नहीं बताया, जो पीएमओ ने ट्वीट किए हैं। इन तस्वीरों में गांव के लोग एक मकान में टीवी पर पीएम का राष्ट्र के नाम संबोधन देख रहे हैं। योगेश के मुताबिक 15 अगस्त के मौके पर गांव में ऐसा कोई कार्यक्रम हुआ ही नहीं। जहां एक साथ लोगों ने जुटकर पीएम का भाषण सुना हो।
पीएमओ ने ये तस्वीर नगला फतेला की बताकर ट्वीट की थी
पीएम ने क्या कहा था?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में नगला फतेला का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली से इस गांव तक तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है, लेकिन इस गांव में बिजली आने में 70 साल लग गए। बता दें कि ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने भी स्वतंत्रता दिवस पर अपने एक ट्वीट में दावा किया है कि नगला फतेला तक बिजली पहुंच गई है। तो ये भी क्यों न मान लिया जाए कि ऊर्जा मंत्री ने भी पीएम को गलत जानकारी दी।
पीएमओ की ट्वीट फोटो के मुताबिक नगला फतेला में लोग टीवी पर पीएम का भाषण सुन रहे थे
हकीकत क्या है?
प्रधानमंत्री और ऊर्जा मंत्री को ये जानकर हैरानी होगी कि गांव में बिजली अभी नहीं पहुंची है। गांव से 200 मीटर दूर तक एक साल पहले खंभे लग गए। तार भी खिंच गया, लेकिन खंबे गांव के भीतर तक नहीं पहुंचे। जब खंबे ही नहीं लगे तो तार भी नहीं लगा और तार नहीं तो भला ग्रामीणों के घरों में बिजली पहुंचे कैसे। यहां के ग्रामीण इस इंतजार में हैं कि कब उनका गांव रोशन हो। सवाल ये है कि पीएम तक गलत जानकारी पहुंचाने वाले अफसर कौन हैं? आखिर देश के सबसे बड़े कार्यकारी तक को गलत जानकारी देने की उन्होंने हिमाकत कैसे की? क्या इन अफसरों को किसी का डर नहीं रह गया है?
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीणों का कहना है कि पीएम ने जो दावा किया, सच्चाई उसके बिल्कुल उलट है। बिजली न होने से उन्हें पहले जैसी ही दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। ग्रामीण अपने ट्यूबवेलों से 150 से 200 मीटर तक केबिल खींचकर उन्हें चला रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने बिजली विभाग के अफसरों को लिखकर दिया है, लेकिन सुनवाई होती नहीं। बिजली भी दो से तीन घंटे के लिए ही आती है।
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