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बिना प्राथमिक जांच अब नहीं बर्खास्त किए जाएंगे पुलिसकर्मी, कोर्ट के निर्देश पर शासनादेश जारी
हाईकोर्ट ने पूर्व में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि प्रदेश में पुलिस वालों की बर्खास्तगी के संबध में बनी नियमावली का पालन किए बिना ही पुलिसकर्मी किस नियम के तहत हटाए जा रहे हैं।
लखनऊ: हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद राज्य सरकार ने अधीनस्थ रैंक के पुलिसकर्मियों के लिए शासनादेश जारी किया है कि अब बिना प्रारंभिक जांच के पुलिसकर्मियों की बर्खास्तगी या रैंक में कटौती नहीं की जाएगी। बिना प्रारम्भिक जांच के बर्खास्तगी के कई मामले सामने आने के बाद लखनऊ बेंच के तलब करने पर प्रमुख सचिव गृह ने यह जानकारी दी।
शासनादेश जारी
राज्य सरकार ने इस संबंध में 10 अप्रैल को शासनदेश जारी कर दिया है।
जस्टिस राजन रॉय की पीठ ने सिपाही रितेश कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने पूछा था कि प्रदेश में पुलिस वालों की बर्खास्तगी के संबध में बनी नियमावली का पालन किए बिना ही पुलिसकर्मी किस नियम के तहत हटाए जा रहे हैं।
कोर्ट ने कहा था कि परिस्थितियों को देखते हुए अब समय आ गया है कि इस प्रथा को हमेशा के लिए खत्म किया जाए।
कोर्ट ने उक्त टिप्पणी के साथ 11 अप्रैल को प्रमुख सचिव, गृह को तलब किया था।
कोर्ट ने दिये थे निर्देश
याची ने कहा था कि उसे सेवा में बर्खास्त करने से पूर्व अधीनस्थ रैंक के पुलिस अधिकारी (सजा व अपील) नियम- 1991 के अनिवार्य प्रावधानों विशेष तौर पर रूल 8(2)(बी) का पालन नही किया गया।
इस पर न्यायालय ने याची के मामले में उसके बर्खास्तगी सम्बंधी आदेश को निरस्त करते हुए, निर्देश दिए कि याची को निलम्बित रखते हुए, प्रावधानों विशेष तौर पर रूल 8(2)(बी) का पालन करते हुए कार्यवाही की जाए।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि याची पर लगे आरोप के तथ्यों पर इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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