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अब जागा स्वास्थ्य महकमा! सवाल वही, डेंगू फॉगिंग मशीनें खरीदने का अब क्या फायदा?
अमित यादव
लखनऊ: संक्रामक बीमारियों से निपटने के लिए सीएमओ द्वारा 24 फॉगिंग मशीनों को एक हफ्ते में खरीदने का प्रस्ताव है। लेकिन सवाल यह है, कि यह मशीनें पहले क्यों नहीं खरीदी गईं?
सरकार की ओर से राजधानी के अस्पतालों को विभिन्न मदों में 8 करोड़ रुपए का बजट मिला है। इसमें सीएमओ डॉ. जीएस वाजपेयी को 24 फॉगिंग मशीनें खरीदने की जिम्मेदारी मिली है। सीएमओ द्वारा सप्ताह भर में 24 फॉगिंग मशीनें खरीदा जाना है। एक तो सरकार की ओर से बजट में देर की गई, उसके बाद स्वास्थ्य विभाग मशीनें खरीदने में लापरवाही बरत रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर जब बरसात का मौसम पूरे सबाब पर है तो अब उपकरणों के जरिए संक्रामक बीमारियों पर कितना नियंत्रण पाया जा सकता है।
छिड़काव कार्य धीमा पड़ा
डेंगू और मलेरिया से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम एक साथ काम कर रहे हैं। राजधानी के अलग-अलग स्थानों पर रोजाना सीएमओ की टीम वेक्टर जनित रोगों से बचने के लिए छिड़काव कर रही है। जहां पर मच्छरों के लार्वा, गंदगी, कूड़ा आदि मिल रहे हैं, उन्हें नोटिस दिया जा रहा है। लेकिन उपकरणों की कमी के चलते छिड़काव करने की गति धीमी है। ऐसे में संक्रामक बीमारियों को नियंत्रित करना संभव नहीं है। इस बारे में टीम के सदस्यों का कहना है कि 'रोजाना हम आमलोगों को जागरूक कर रहे हैं। लेकिन उपकरणों की कमी रहने से छिड़काव का कार्य धीरे चल रहा है।'
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24 फॉगिंग मशीनें कर रही छिड़काव
राजधानी के 110 वार्डों में छिड़काव का कार्य 24 मशीनें कर रही हैं। नगर निगम ने छिड़काव के लिए स्वास्थ्य विभाग को 32 मशीनें दी थीं। लेकिन इनमें से केवल 24 मशीनें ही वर्तमान में काम कर रही हैं। 8 मशीनें अभी खराब चल रही हैं। ऐसे में छिड़काव की गुणवत्ता प्रभावित होने की संभावना है।
राजधानी में अब तक डेंगू के 30 मरीज
शहर में डेंगू धीरे-धीरे अपना पैर पसार रहा है। डेंगू पीड़ितों का आंकड़ा 30 से अधिक हो गया है। इसके अलावा डेंगू से अब तक दो मरीजों की जान जा चुकी है। केजीएमयू ने स्वास्थ्य विभाग को भेजी रिपोर्ट में अब तक 30 से अधिक लोगों को डेंगू होने की पुष्टि की है।
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