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हाईकोर्ट ने सैकड़ों सहायक अध्यापकों को दिया पुरानी पेंशन योजना का लाभ
लखनऊ : हाईकोर्ट ने सैकड़ों सहायक अध्यापकों को पेंशन मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ दिए जाने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। इन सभी अध्यापकों को 2005 के पहले ही मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति मिल गई थी बीटीसी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति वर्ष 2005 के बाद मिल पाई। सरकार ने इन सहायक अध्यापकों की नियुक्ति वर्ष 2005 के बाद की मानते हुए, पुरानी पेंशन योजना के लाभ से वंचित कर दिया था।
यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने सैकड़ों सहायक अध्यापकों की ओर से दाखिल 127 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिकाओं में कहा गया था कि याचीगण बेसिक शिक्षा परिषद के कर्मचारियों के आश्रित थे। 4 सितम्बर 2000 के शासनादेश के तहत उन सभी ने मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था। वर्ष 2005 के पूर्व उन सभी को फिक्स्ड पे पर नियुक्ति दे दी गई। लेकिन सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए उन्हें बीटीसी पूरा करने भेज दिया गया। वर्ष 2005 के बाद उनके बीटीसी पूरा करने पर उन्हें सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति मिलीं। इस बीच अप्रैल 2005 में सरकार ने नई अंशदान पेंशन योजना लागू कर दी और अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया।
याचियों की दलील थी कि उन्हें पुरानी योजना से वंचित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार ने 2000 के शासनादेश के अनुसार याची स्थाई तौर से अप्रशिक्षित अध्यापक के रूप में 2005 से पूर्व ही नियुक्त किए जा चुके थे। लिहाजा उनकी नियुक्ति 2005 के पूर्व की ही मानी जाएगी जिसके चलते याची पेंशन, पीएफ व अन्य सभी सुविधाओं के उसी प्रकार से पाने के हकदार हैं जैसे 1 अप्रैल 2005 के पूर्व नियुक्त हुए अन्य सरकारी कर्मचारियों को मिलती हैं।
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