वाराणसी की चार हस्तियों को मिला पद्म श्री सम्मान,सभी ने कहा-THANK YOU मोदी जी ...

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने भारत रत्न के साथ पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री सम्मानों का एलान कर दिया। सम्मान पाने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की चार हस्तियां भी शामिल हैं, जिन्हें पद्म श्री ने नवाजा गया।

Aditya Mishra
Published on: 26 Jan 2019 12:45 PM IST
वाराणसी की चार हस्तियों को मिला पद्म श्री सम्मान,सभी ने कहा-THANK YOU मोदी जी ...
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वाराणसी: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार ने भारत रत्न के साथ पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री सम्मानों का ऐलान कर दिया। सम्मान पाने वालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की चार हस्तियां भी शामिल हैं, जिन्हें पद्म श्री ने नवाजा गया। इनमें विख्यात लोकगायक हीरा यादव, राजेश्वर आचार्य, बनारस की हस्तकला को ग्लोबल पहचान दिलाने वाले रजनीकांत के अलावा राषट्रीय महिला बास्केटबाल टीम की पूर्व प्रशांति सिंह हैं।

हस्त शिल्पियों को दिलाई पहचान

बनारस की हस्त शिल्प को दुनिया में अलग पहचान दिलाने वाले डॉक्टर रजनीकांत सम्मान पाकर बेहद खुद हैं। उन्होंने कहा कि ये मेरा नहीं बल्कि बनारस के उन हजारों शिल्पियों का सम्मान है जो हाशिए पर जा चुके थे। रजनीकांत ने अपने प्रयासों से अभी तक बनारस के कुल नौ जीआई उत्पादों का पंजीकरण करा चुके हैं। रजनीकांत के अलावा बनारस की एक बेटी प्रशांति सिंह को भी मोदी सरकार ने पद्म श्री देने का फैसला किया है। प्रशांति सिंह राष्ट्रीय महिला बास्केटबाल की पूर्व कप्तान रह चुकी हैं। मौजूदा वक्त में वह दक्षिण कोरिया टीम की कोच के तौर पर जुड़ी हैं। उन्होंने इस सम्मान को अपने परिवार और दोस्तों को सौंपा।

संस्कृति और लोक गायिकी का भी सम्मान

पुरस्कार पाने वाले में बनारस के संगीत के क्षेत्र की दो प्रमुख हस्तियां भी हैं। इनमें बिरहा गायन को अलग मुकाम दिलाने वाले हीरालाल यादव भी शामिल हैं। कहा जाता है कि हीरालाल यादव एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने भोजपुरी की बिरहा गायन को पूरे देश में पहचान दिलाई। हीरा लाल यादव के परिवार में जैसे ही सम्मान पाने की खबर पहुंचीं लोग खुशी से झूम उठे।

परिजनों ने कहा कि पद्म श्री सम्मान देकर मोदी सरकार ने हीरालाल यादव का नहीं बल्कि बिरहा का मान सम्मान बढ़ाया है। सम्मान पाने वालों में प्रसिद्ध संगीतज्ञ डॉक्टर राजेश्वर आचार्य भी शामिल हैं। ध्रुपद गायकी के साथ ही जलतरंग वादन में राजेश्वर आचार्य का कोई सानी नहीं है। उन्होंने इस सम्मान को बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित किया।

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