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बस्ती: आरक्षण के बाद तेज हुआ सियासी खेल, अब नए चेहरे की तलाश शुरू
पंचायत चुनाव की खातिर सीटवार आरक्षण की स्थिति साफ होने के बाद अब गांव में चुनावी माहौल बनने लगा है। सीटों पर मनमाफिक आरक्षण ना घोषित होने से बिगड़े समीकरण के चलते नेताजी परेशान हैं।
बस्ती: पंचायत चुनाव की खातिर सीटवार आरक्षण की स्थिति साफ होने के बाद अब गांव में चुनावी माहौल बनने लगा है। सीटों पर मनमाफिक आरक्षण ना घोषित होने से बिगड़े समीकरण के चलते नेताजी परेशान हैं। 5 साल ग्राम पंचायत की मुखिया होने के बाद अब बिना लड़े हार जाने की टीस काफी तकलीफ दे रही है।
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समझ में नहीं आ रहा है कि सत्ता की चाभी किस तरह से अपने पास रखी जाए जातीय जातिगत आरक्षण के मकड़जाल में फंस चुके नेता जी को चुनाव ना लड़ पाने की मजबूरी में अपने किसी खास की तलाश में हैं। ऐसे खास जो उन्हें धोखा ना देते हुए 5 साल उनके मनमाफिक काम आंख मूंदकर करता रहे, जिस के प्रतिनिधि के नाम पर बेसिक सत्ता पर काबिज रह सके 5 साल से चुनाव की टकटकी लगाए नए प्रत्याशी को तुम मानो काठ मार गया है। बड़ी उम्मीद थी कि कुर्सी पर मौजूदा प्रधान को इस बार चुनावी अटकर्नी देकर प्रधानी हासिल करेंगे गांव के विकास की पूरी योजनाएं तैयार ।
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एक एक वोट की सेटिंग बना कर रखे थे कई साल से लोगों के बीच में रहकर अच्छा माहौल भी बनाए थे लेकिन सीटों के आरक्षण के चक्कर में सारे अरमान मिट्टी में मिल गए फिर भी 5 साल के इंतजार के बारे में सोच कर ही मायूस हो रहे हैं।
रिपोर्ट: अमृत लाल
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