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इलाहाबाद HC में उप लोकायुक्त पद की नियुक्ति की वैधता को चुनौती, सुनवाई 8 को
इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति पर चल रहे विवाद के शांत होने के बाद अब उप लोकायुक्त की नियुक्ति विवाद के घेरे में आ गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शंभू सिंह यादव की उप लोकायुक्त पद पर की गई नियुक्ति को याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसल और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की बेंच ने इस याचिका पर प्रदेश सरकार से संक्षिप्त हलफनामा मांगा है और नियुक्ति प्रक्रिया संबंधी रिकॉर्ड 8 सितंबर को प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह इस कारण जरूरी है जिससे अगली तारीख पर इस केस का निपटारा किया जा सके।
याचिका हाईकोर्ट के वकील अनूप बरनवाल ने दाखिल की है। वकील का कहना है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम के अंतर्गत उप लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के लिए शंभू सिंह यादव योग्यता नहीं रखते हैं। वकील अनूप बरनवाल ने याचिका में कहा है कि शंभू सिंह यादव वर्तमान सपा सरकार में मुख्यमंत्री के करीबी रहे हैं और इस कारण उन्हें उप लोकायुक्त पर नियुक्त किया गया है। याची का कहना है कि उत्तर प्रदेश लोकायुक्त कानून की धारा 4 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीश लोकायुक्त नियुक्त हो सकते हैं। राजनीतिक व्यवसायी और प्रोफेशनल व्यक्ति इस पद पर नियुक्ति पाने के अयोग्य हैं।
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लोकायुक्त और उप लोकायुक्त हाईकोर्ट के जज के समान पेंशन और भत्ते पाने के हकदार हैं। धारा 6 के तहत नियुक्ति के बाद महाभियोग द्वारा ही इन्हें पद से हटाया जा सकता है। दोनों आयुक्त न्यायिक कार्यवाही करते हैं और शिकायत झूठी पाए जाने पर शिकायतकर्ता को दंड देने का भी अधिकार है। इन्हें संचित निधि से वेतन दिया जाता है। सरकार ने प्रशासनिक रिफॉर्म आयोग की 14 अक्टूबर 2016 की रिपोर्ट में कहा है कि लोकायुक्त का कार्य न्यायिक होगा। ऐसे में सीएम कार्यालय में विशेष सचिव को उपलोकायुक्त नियुक्त किया जाना अधिनियम के उपबंधों के विपरीत है। सीनियर आईएएस ऑफिसर रहे शंभू सिंह यादव उप लोकायुक्त पद पर नियुक्ति की योग्यता नहीं रखते हैं।
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