राम मंदिर होगा गुलाबीः आकर्षण बढ़ाएंगे मिर्जापुर के बेशकीमती पत्थर, हुई बड़ी तैयारी

श्री रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण के लिए अहरौरा के खनिज पदार्थों गुलाबी पत्थरों की गुणवत्ता की जांच के लिए वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेजा गया है। जांच परीक्षण में सफल होने के बाद ही इस जानकारी के बारे पता चल सकेगा कि अहरौरा के पत्थरों कितने नसीब वाले हैं।

Newstrack
Published on: 21 Dec 2020 11:05 PM IST
राम मंदिर होगा गुलाबीः आकर्षण बढ़ाएंगे मिर्जापुर के बेशकीमती पत्थर, हुई बड़ी तैयारी
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राम मंदिर होगा गुलाबीः आकर्षण बढ़ाएंगे मिर्जापुर के बेशकीमती पत्थर, हुई बड़ी तैयारी

मिर्जापुर: श्री राम मंदिर निर्माण में लगेंगे चुनार क्षेत्र के बेशकीमती गुलाबी पत्थर, राम मंदिर निर्माण में सबसे पहले राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों की खदानों से निकलने वाले खनिजों पर थी। वहां के गुलाबी पत्थर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। ऐसे गुलाबी पत्थरों की चमक और मजबूती खूबसूरती पूरे देश मे कही नही है।

जितना पहाड़पुर के खदानों से निकलने वाले खनिजों पर है, लेकिन राजस्थान राज्य सरकार के रोक के बाद भरतपुर जिला प्रशासन ने खनिज पदार्थों की खुदाई पर रोक लगायी गयी है। जिसके बाद श्री राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने विंध्यक्षेत्र के वादियों के अहरौरा इलाके में पहाड़ो खदानों से निकलने वाली गुलाबी पत्थरों नजर फेरते हुए अहरौरा के वादियों से निकलने वाले गुलाबी खनिज पदार्थों पत्थरों के टुकड़ों को शुरुआती परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है।

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वैज्ञानिक परीक्षण के बाद ही उपयोग किया जाएगा

विंध्यक्षेत्र के अहरौरा पहाड़ी से निकलने वाला गुलाबी पत्थर पूरे देश मे लिए प्रसिद्ध है। यहां के पत्थरों को अनेको प्रदेशो से बड़े बड़े व्यापारी इस अलौकिक पत्थर की मांग के लिए विंध्यक्षेत्र के पहाड़ी इलाके अहरौरा की पहाड़ो पर आते है। श्री रामजन्म भूमि मंदिर निर्माण के लिए अहरौरा के खनिज पदार्थों गुलाबी पत्थरों की गुणवत्ता की जांच के लिए वैज्ञानिक परीक्षण के लिए भेजा गया है। जांच परीक्षण में सफल होने के बाद ही इस जानकारी के बारे पता चल सकेगा कि अहरौरा के पत्थरों कितने नसीब वाले है। जो भगवान के मंदिर में उनकी शोभा बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाएगा। जांच परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद ही मांग की उम्मीद जताई जा रही है।

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साढ़े चार लाख घन फिट गुलाबी पत्थरो से सजेगा

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में देश भर से गुलाबी पत्थरो के बानगी मंगाए जा रहे है। जिसके बाद उनका परीक्षण किया जा रहा है। वही भारी मात्रा में गुलाबी पत्थरो की आवश्यकता बताई जा रही है। मंदिर निर्माण कर लिए राम जन्मभूमि ट्रस्ट को तकरीबन साढे चार लाख घन फीट गुलाबी पत्थरों की आवश्यकता बतायी जा रही है। जिले में एनजीटी की टीम ने बीते सोमवार की देर शाम विंध्यक्षेत्र के खनिज खनन परिक्षेत्र के पत्थर कटर प्लांट के व्यवसायीयों से मुलाकात किया। मुलाकात के बाद एनजीटी की टीम ने भी परीक्षण के लिए बानगी के तौर पर गुलाबी पत्थर अपने साथ लेकर चले गए। ऐसा पहली बार नही है बल्कि पूर्व में भी मंदिर निर्माण ट्रस्ट के लोगों ने भी विंध्यक्षेत्र के वादियों में आकर यहां के गुलाबी खनिज पदार्थों पत्थरों की बानगी परीक्षण के लिए ले गए थे।

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चालीस करोड़ के लगेंगे गुलाबी पत्थर

श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण में विंध्यक्षेत्र के अहरौरा की पहाड़ी के खदानों से गुलाबी पत्थरों के निर्धारित दर के अनुसार तकरीबन चालीस करोड़ रूपये व्यय होने का अनुमान है। कारोबार से जुड़े व्यवसायी लोगों का अनुमान है। शुरुआत में 60 मीटर गहरी नींव से उपरी सतह पर एक हजार दो सौ खंभे पाइलिंग करके तैयार किए जाने की कार्ययोजना है। लगभग ढाई एकड़ क्षेत्र में फैले मंदिर निर्माण क्षेत्र में एक लाख पांच हजार यानी कुल 147 वर्गफीट क्षेत्रफल मे पत्थर के पिलर लगाए जाएंगे। जिसकी आपूर्ति विंध्यक्षेत्र के अहरौरा पहाड़ी के खनिज पदार्थ गुलाबी पत्थरों से किए जाने की संभावना बनी हुई है।

राजा महाराजाओं के महल में लगाये गए है गुलाबी पत्थर

पुराने जमाने मे राजाओं के महल बनाने में उपयोग किया जाता था। विंध्यक्षेत्र के अहरौरा पहाड़ी के खनिज पदार्थ गुलाबी पत्थरो की अक्सर मांग की जाती थी। चुनार के किले में भी अहरौरा के वादियों से वहां की पहाड़ियों से निकलने वाले खनिज पदार्थों के रूप में गुलाबी बेशकीमती पत्थरों को वहां की सज सज्जा में लगाया गया है।

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विंध्यक्षेत्र के पथरी इलाके अहरौरा के बेशकीमती गुलाबी पत्थरों की चमक कभी कम नही होती है। सैकड़ो वर्ष पूर्व बनाए गए चुनार के किले में इन्ही गुलाबी पत्थरो का उपयोग किया गया है। जिसको आज भी देख कर कोई यह नही कह सकता कि इन पत्थरों की चमक चली गयी है। विंध्यक्षेत्र की दैविक शक्ति यहां पर बसे हर एक कण को बहुत सुंदर और कभी बदरंग नही होने के साथ साथ अपनी सुंदरता नही खोता है। पुराने जमाने मे किले की दिवारो और राज महलों के निर्माण में इसकी भूमिका अहम रही है।

रिपोर्ट: बृजेन्द्र दुबे

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