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पीएल पुनिया ने कहा- न्यायिक आयोग की फाइंडिंग गलत, दलित था रोहित वेमुला
बाराबंकी : इसी साल जनवरी में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आत्महत्या करने वाले रिसर्च स्कॉलर रोहित वेमुला (26 वर्ष) दलित नहीं था। इस बात का खुलासा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से गठित उस जांच पैनल ने किया है जिसे इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
पुनिया ने जांच आयोग पर उठायी उंगली
रोहित वेमुला मामले में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में उसके दलित ना होने की बात सामने आने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद पी.एल पुनिया भड़क गए। उन्होंने कहा, 'जिन मुद्दों को कांग्रेस ने उठाया था उसे दरकिनार कर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। बीजेपी के मंत्री तो शुरू से ही चिल्लाकर कह रहे थे कि वह दलित नहीं ओबीसी है। इसीलिए ऐसा जांच आयोग गठित किया गया, जो उनकी बात पर मुहर लगा सके।'
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पुनिया का दावा वेमुला दलित था
पुनिया ने कहा, गुंटूर के जिला कलेक्टर और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वह दलित था। इस आधार पर न्यायिक आयोग की फाइंडिंग पूरी तरह गलत है।
आयोग ने महत्वपूर्ण बातों को दरकिनार किया
पीएल पुनिया ने कहा, हमने मांग की थी कि रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में जो भी दोषी हों उन्हें चिन्हित कर सजा दी जाए। ताकि भविष्य में ऐसी घटना फिर ना हो। लेकिन इस रिपोर्ट ने मुझे झकझोड़ दिया। पुनिया ने सवालिया लहजे में पूछा, 'यह कौन सा न्यायिक आयोग है जिन्होंने महत्वपूर्ण बातों को छोड़ दिया और वेमुला शिड्यूल कास्ट के नहीं हैं उस पर टिप्पणी दे दी।
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