5 वर्ष से कागज पर ही चल रहा राजकीय हाईस्कूल ऐलहा

पिछले एक दशक के अंदर बुन्देलखण्ड में बनाये गए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत हर स्कूल ,कालेज के भवनों में जमकर लूट की गई। विभागीय लापरवाही का आलम तो ये रहा की आधे अधूरे भवनों की दशा सुधारने के बजाए कागजो में खानापूर्ति करने के उद्देश्य से कक्षाएं भी संचालित कर दी गईं।

Harsh Pandey
Published on: 17 Dec 2019 8:19 PM IST
5 वर्ष से कागज पर ही चल रहा राजकीय हाईस्कूल ऐलहा
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चित्रकूट, अनुज हनुमत: देश के सौ आकांक्षी जिलों में से एक चित्रकूट में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर जिम्मेदार ही ठगने का काम कर रहे हैं। किसी ने सच ही कहा है कि समाज वही आगे बढ़ता है जहां शिक्षा का प्रसार अधिक होता है। लेकिन बुन्देलखण्ड के कुछ इलाकों में शिक्षा के प्रसार के लिए बनाए गए मंदिरों के निर्माण में ही धांधली हुई है।

पिछले एक दशक के अंदर बुन्देलखण्ड में बनाये गए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत हर स्कूल ,कालेज के भवनों में जमकर लूट की गई। विभागीय लापरवाही का आलम तो ये रहा की आधे अधूरे भवनों की दशा सुधारने के बजाए कागजो में खानापूर्ति करने के उद्देश्य से कक्षाएं भी संचालित कर दी गईं।

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मानिकपुर विकासखण्ड...

यहां सम्बद्ध शिक्षक की मौज देखिये की उसने पांच वर्ष बिना शिक्षणेत्तर कार्यो में संलग्न हुए ही वेतन उठाया। ये पूरा मामला है मानिकपुर विकासखण्ड के अंतर्गत ऐलहा गांव जहां राजकीय हाईस्कूल प्रस्तावित हुआ। भवन का निर्माण भी शुरू हुआ लेकिन भारी भरकम बजट भी बनाने वाली कम्पनी को कम पड़ गया।

आलम ये रहा है कि भवन आज तक अधूरे पड़े हैं जो धीरे धीरे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं । यही बेसिक शिक्षा विभाग के दो इंग्लिश मीडियम मॉडल स्कूल भी हैं जो 1 से लेकर 8 तक हैं। यहां से उत्तीर्ण हुये बच्चो के लिए ही इस हाईस्कूल का निर्माण शुरू हुआ । लेकिन आज तक स्कूल पूर्ण रूप से चालू ही नही हो पाया। जानकारी के अनुसार राजकीय इंटर कालेज घुरेटनपुर के शिक्षक अरविंद केसरी यहां से अटैच किये गए।

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कागजों पर चल रहा स्कूल कालेज...

एक और जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 से लेकर अब तक विद्यालय कागजो पर बेसिक शिक्षा विभाग के ही एक भवन में चालू है लेकिन न तो इकलौते शिक्षक ही आते हैं और न ही इक्का दुक्का एडमिशन किये गए विद्यार्थी। यहां दो तस्वीरे निकलकर सामने आती हैं। पहली ये की लाखो रुपये की लागत से बनाया गया विद्यालय तैयार ही नहीं हो पाया और दूसरा यह की जिस शिक्षक को सत्र शुरू करके कक्षाएं संचालित करने की जिम्मेदारी मिली उसने भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी से कन्नी काट ली।

ये विद्यालय आस पास के क्षेत्र में माध्यमिक शिक्षा के प्रसार का अग्रणी केंद्र बन सकता है क्योंकि यहां से सैकड़ो बच्चे दूर कई मील चलकर स्कूल जाते हैं।

सवाल ये है कि आखिर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसरों की आंखों से ये दृश्य क्यों छिपा रहा? ख़या जानबूझकर कम्पनी और ठेकेदार को बचाने का काम किया जा रहा है? उस शिक्षक को इतने वर्षो से वेतन दिया ही क्यों जा रहा है जो अपने कार्य को कर ही नही रहा। इतने लंबे अंतराल के बीच जिन छात्रों का भविष्य संवर सकता था उसका जिम्मेदार कौन?

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इस विद्यालय में जानकारी के अनुसार मौजूदा समय मे दर्जनभर विद्यार्थियों का एडमिशन है लेकिन पढाई नियमित न होने के कारण उनका भविष्य संकट में है। अगर जल्द ही अधूरे भवन का निर्माण नहीं हुआ तो भवन पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो जायेगा। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी इस मामले पर उक्त कम्पनी और ठेकेदार पर क्या कार्यवाही करते हैं ?

क्या कहते हैं जिम्मेदार...

बलीराजराम सिंह, डीआईओएस ने कहा है कि मामला हमारे संज्ञान में है। इस विद्यालय के बाकी बचे भवन निर्माण में आ रही अड़चनों को सुलझा लिया गया है और हमने बाकी का धन भी अवमुक्त कर दिया है। जल्द ही इस भवन का बचा हुआ कार्य पूरा करें ऐसा ठेकेदार और कम्पनी को सख्त निर्देश दिए गया है।

शिक्षक की कार्यशैली के विषय मे पूरी जांच की जाएगी, फिलहाल हमने शिक्षक से पूरे मामले पर स्पस्टीकरण मांगा है।

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संयुक्त निदेशक ने हताया...

संजय यादव, संयुक्त निदेशक, चित्रकूटधाम मण्डल ने बताया कि आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है। फिलहाल अगर ऐसा है तो ये बहुत ही चिंता का विषय है। मैंने डीआईओएस से बात करके जल्द से जल्द इस मामले पर पूरी रिपोर्ट भेंजने को कहा है। कोशिश रहेगी कि बाकी का अधूरा कार्य जल्द ही पूरा हो और जल्द ही कक्षाएं नियमित रूल से संचालित हों।

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