Maha Kumbh 2025: महाशिवरात्रि पर संगम तटों पर जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड़, नेपाल से भी आए श्रद्धालु

Maha Kumbh 2025: इस मेले ने न केवल भारत के चारों कोनों से लोगों को आकर्षित किया, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु आए। चार किशोरों ने अपने चाचा डोमी साहनी के साथ महाशिवरात्रि पर पवित्र डुबकी लगाई।

Newstrack          -         Network
Published on: 26 Feb 2025 12:09 PM IST
Maha Kumbh 2025: महाशिवरात्रि पर संगम तटों पर जुटने लगी श्रद्धालुओं की भीड़, नेपाल से भी आए श्रद्धालु
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Maha Kumbh 2025  (photo: social media )

Maha Kumbh 2025: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में झांझों की मधुर झंकार, पवित्र मंत्रोच्चार और भारत के विविध रंग एक-दूसरे में घुलमिल गए। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने इस पवित्र संगम स्थल पर डुबकी लगाकर महाकुम्भ के अंतिम दिन को यादगार बनाया। आखिरी शुभ स्नान होने के कारण, मध्यरात्रि से ही संगम के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। कुछ ने 'ब्रह्म मुहूर्त' में स्नान के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार किया, तो कई ने निर्धारित समय से पहले ही स्नान कर लिया।

पश्चिम बंगाल से आए चार दोस्तों की संगम यात्रा

इन श्रद्धालुओं में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से आए चार दोस्त भी शामिल थे, जिन्होंने एकसमान चटख पीले धोती पहनकर स्नान के लिए घाट की ओर कदम बढ़ाया। आकाश पाल (एमएनसी कर्मचारी), अभिजीत चक्रवर्ती (कंटेंट राइटर), राजा सोनवानी (फार्मास्युटिकल क्षेत्र में कार्यरत) और अभिषेक पाल (वकील) अलग-अलग पेशे से हैं, लेकिन महाशिवरात्रि को महाकुम्भ में मनाने की चाह ने उन्हें एकजुट किया। आकाश पाल ने बताया, "हम दोस्त हैं और पश्चिम बंगाल से प्रयागराज तक कार से आए। जहां वाहन की अनुमति खत्म हुई, वहां से पैदल चलकर संगम पहुंचे। इस अद्भुत समागम का हिस्सा बनना और खास तौर पर इस शुभ दिन पर, बेहद रोमांचक है।" चारों ने गंगा जल ले जाने के लिए भगवा रंग के कंटेनर भी साथ रखे थे। इनके अलावा, दुर्गापुर और कूचबिहार जैसे स्थानों से भी बंगाल के श्रद्धालु पहुंचे।

नेपाल से श्रद्धालुओं का उत्साह

इस मेले ने न केवल भारत के चारों कोनों से लोगों को आकर्षित किया, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल से भी श्रद्धालु आए। चार किशोरों मनीष मंडल, रब्बज मंडल, अर्जुन मंडल और दीपक साहनी ने अपने चाचा डोमी साहनी के साथ महाशिवरात्रि पर पवित्र डुबकी लगाई। सभी ने भगवान शिव की थीम वाली एकसमान ट्यूनिक पहनी थी और तीन युवाओं ने 'महाकाल' लिखा गमछा भी ओढ़ रखा था। साहनी ने बताया, "हम नेपाल के जनकपुर से हैं, जो माता सीता से जुड़ा स्थान है। हमारा शहर जाह्नवी मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। स्नान के बाद हम अयोध्या में भगवान राम के दर्शन के लिए जाएंगे।" यह समूह जनकपुर से जयनगर तक गया, फिर भारतीय रेलवे की ट्रेन से प्रयागराज पहुंचा।

144 वर्षों के फैक्टर ने बढ़ाया उत्साह

कई श्रद्धालुओं ने कहा कि वे इस महाकुम्भ में '144 वर्षों' के फैक्टर से आकर्षित हुए, जिसके चलते उन्होंने हर हाल में यहां आने का निर्णय लिया। कोई भी इस दुर्लभ क्षण का साक्षी बनने से खुद को रोक नहीं पाया। इसके लिए कर्नाटक, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने देश की लंबाई-चौड़ाई को कवर किया।

Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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