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अंसल प्रापर्टीज केस: जवाब से HC असहमत, प्रमुख सचिव आवास और शहरी नियोजन तलब
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास और शहरी नियोजन को गाजियाबाद में अंसल प्रापर्टीज इन्फ्रास्टंक्चर को डेवलपर का लाइसेंस देने के रिकार्ड के साथ दस नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को प्रमुख सचिव की कोर्ट में मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीश की खंडपीठ ने गाजियाबाद के धुंधेरा गांव की निवासी देवकी सहित सैकड़ों याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया।
लाइसेंस की वैधानिकता पर सवाल
कोर्ट ने प्राइवेट डेवलपर कंपनियों का लाइसेंस देने की वैधानिकता पर सवाल उठाया और सचिव से हलफनामा मांगा। लेकिन हलफनामा नायब तहसीलदार ने दाखिल किया। हलफनामे में पूरा ब्यौरा न देने पर कोर्ट ने सचिव को हलफनामे के साथ हाजिर होने को कहा।
कोर्ट नहीं हुई संतुष्ट
प्रमुख सचिव के प्रदेश से बाहर होने के कारण समय मांगा गया। कनिष्ठ अभियंता रिकार्ड के साथ हाजिर थे लेकिन कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई। नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव को रिकार्ड व संबंधित शासनादेशों के साथ हाजिर होने का आदेश दिया।
कोर्ट कई मुद्दों पर असहमत
कोर्ट ने कहा कानून 2008 में आया और अंसल कंपनी को 2005 में लाइसेंस दे दिया गया। यह कंपनी 'ए' क्लास डेवलपर के रूप में पंजीकृत नहीं थी। जीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से बाद में पंजीकृत किया गया। कंपनी के पास 90 एकड़ जमीन थी। 7306 एकड़ अन्य कंपनियों की जमीन भी दिखाकर लाइसेंस मांगा। इसमें 80 कंपनियां शामिल हैं। नार्म पूरा न होने के बावजूद डेवलपर का लाइसेंस दिया गया। यह भी सवाल है कि क्या सरकार अधिग्रहीत जमीन प्राइवेट डेवलपर को दे सकती है।
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