बरेली: अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई जिला जेल खत्म, नई जेल में शिफ्ट हुए कैदी

अंग्रजों के जमाने की जेल क्रिसमस के दिन यानि रविवार (25 दिसंबर) को खत्म हो गई। साल 1842 में बनी जिला जेल के कैदी रविवार को आजाद भारत में बनी नई जेल में शिफ्ट हो गए।

tiwarishalini
Published on: 25 Dec 2016 7:27 PM IST
बरेली: अंग्रेजों के जमाने में बनाई गई जिला जेल खत्म, नई जेल में शिफ्ट हुए कैदी
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बरेली: अंग्रजों के जमाने की जेल क्रिसमस के दिन यानि रविवार (25 दिसंबर) को खत्म हो गई। साल 1842 में बनी जिला जेल के कैदी रविवार को आजाद भारत में बनी नई जेल में शिफ्ट हो गए।

क्यों लिया गया यह फैसला ?

-पुरानी जेल का नया गेट साल 1928 में बनाया गया था।

-पुरानी जेल जब बनी थी, तब इतने अपराध नहीं होते थे।

-समय के साथ अपराध बढ़े, बंदियों की संख्या बढ़ी, लेकिन जेल की क्षमता कम हो गई।

-वर्तमान में पुरानी जेल में क्षमता से दो गुने बंदी थे।

-इस वजह से सरकार को शहर से बाहर नई जेल बनानी पड़ी।

कड़ी सुरक्षा में हुई शिफ्टिंग

-क्रिसमस के दिन सुबह 10 बजे से नौ वाहनों में पुरानी जेल के 24 सौ बंदी भुता रोड स्थित नई जेल में ले जाए गए।

-जेल में बंद मौजूदा बंदियों में कई दुर्दांत अपराधी भी हैं।

-इसके मद्देनजर भारी संख्या में पीएसी बल की तैनाती के अलावा मजिस्ट्रेट भी तैनात किए गए।

-संबंधित थानों और चौकियों पर भी बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।

स्वास्थ्य पर पड़ रहा था विपरीत प्रभाव

-पुरानी जिला जेल में 23 बैरक हैं।

-इनमें 1,221 बंदी रखने की क्षमता है।

-जेल में लंबे समय से क्षमता से दोगुने बंदी रखे जा रहे थे।

-इससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था।

-भुता रोड़ पर नई जेल बन चुकी है।

-इसमें सौ से ज्यादा बैरकें बनाई गई हैं।

-इन बैरकों में 3,558 बंदी रखने की क्षमता हैं।

डीएम ने दी थी हरी झंडी

-डीएम पंकज यादव ने पुरानी जेल के बंदियों को नई जेल में शिफ्ट करने को हरी झंडी दे दी।

-शनिवार को उन्होनें अपने कैंप कार्यालय पर एसएसपी जोगेंद्र कुमार से पुरानी जेल के बंदियों को नई जेल में शिफ्ट करने की तैयारियों की समीक्षा की थी।

-प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को कड़ी सुरक्षा में बंदी शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए।

पुरानी जेल में बनेगा पार्क

-पुरानी जेल की जमीन में बरेली विकास प्राधिकरण ने 60 लाख की लागत से डॉ. राम मनोहर लोहिया पार्क बनाने का प्रस्ताव भेजा है।

-शासन से अभी इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली है।

-इस मामले में बीडीए से लोहिया पार्क बनाने के लिए कम बजट का संशोधित प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया।

-अगर शासन से प्रस्ताव को स्वीकृति मिली तो पुरानी जेल की जमीन पर लोहिया पार्क बनेगा।

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