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TABOO के चलते नहीं होता AUTISTIC बच्चे का विकास, देश में डेढ़ करोड़ मरीज
वाराणसी: ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों को न तो समय से काउंसलिंग मिलती है और न ही उनकी देखभाल हो पाती है। ऐसा समाज में इन बच्चों को लेकर फैली गलतफहमियों के चलते होता है। ऑटिज्म से प्रभावित बच्चा सोसाइटी में फैले इस 'टैबू' के चलते समाज से पूरी तरह कट जाता है।
इसी मुद्दे पर लोगों जागरूक करने के मकसद से रविवार को शहीद उद्यान पार्क, सिगरा में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। 'वर्ल्ड ऑटिज्म डे' के एक दिन बाद इस कार्यक्रम के आयोजन का मकसद छुट्टी वाले दिन लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी था।
रैली के दौरान बच्चे
कुछ ही बच्चे की होती है काउंसलिंग
इस कार्यक्रम के आयोजक सनबीम एजुकेशनल ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हर्ष मधिक ने बताया कि लोगों को ऑटिज्म से प्रभावित बच्चे को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। जानकारी के आभाव में ऐसे बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों को बाहर नहीं निकलने देते या फिर समाज के सामने लाने में हिचकिचाते हैं। इससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। वाराणसी जैसे शहर जहां सैकड़ों की संख्या में बच्चे ऑटिज्म के शिकार हैं, उनमें से महज दस-बीस के पेरेंट्स ही उन्हें काउंसलिंग के लिए लाते हैं।
फ्लैश लैश मॉब डांस और स्ट्रीट प्ले से किया जागरूक
इस कार्यक्रम में सनबीम वरूणा के स्टूडेंट्स ने फ्लैश मॉब डांस डांस कर लोगों को जागरूक किया। तो वहीं सनबीम लहरतारा के स्टूडेंट्स ने एक स्ट्रीट प्ले के जरिए ऑटिज्म के शिकार बच्चों का दर्द लोगों के सामने रखा। इसके बाद बच्चों की एक रैली निकली गई।
ऑटिज्म न्यूरो डेवलपमेंट डिसेबिलिटी है
इस मौके पर बोलते हुए ग्रुप के डायरेक्टर दीपक मधोक ने बताया कि ऑटिज्म एक न्यूरो डेवलपमेंट डिसेबिलिटी है।
ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के लक्षण
-ऑटिज्म से प्रभावित बच्चे को बोलचाल में, सोशल रिलेशंस बनाने और नई चीजों को सीखने में परेशानी होती है।
-साथ ही वह कई एक्टिविटीज को बार-बार करता रहता है।
-इसके लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं।
-यह बीमारी 68 में एक बच्चे में होती है।
-भारत में करीब डेढ़ करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।
इन बच्चों के साथ ऐसे आएं पेश
-ऐसे बच्चों की सराहना करनी चाहिए।
-उन्हें किसी भी काम में विश्वास दिलाना चाहिए ताकि उनके अंदर का मेंटल ब्लॉक दूर किया जा सके।
दीपक मधोक ने ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के पेरेंट्स को अल्बर्ट आइन्स्टीन का उदाहरण देते हुए समझाया कि ऐसे बच्चों ने भी दुनिया में खूब नाम रोशन किया है।
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