दूरसंचार विभाग की खास पहल: मोबाइल धोखाधड़ी से बचने के लिए जारी किए गए जन-जागरूकता पोस्टर

पोस्टरों के माध्यम से आम नागरिकों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक किया गया। इसके साथ ही यह

Virat Sharma
Published on: 4 Sept 2025 6:49 PM IST (Updated on: 4 Sept 2025 8:18 PM IST)
Lucknow News
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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश (पूर्व) दूरसंचार विभाग की ओर से गुरूवार को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अपर महानिदेशक (दूरसंचार) अरुण कुमार वर्मा ने की। इस बैठक का उद्देश्य विभाग की प्रमुख उपलब्धियों, नागरिकों के लिए उठाए गए कदम और जनहितकारी अभियानों के बारे में जानकारी साझा करना था। इस खास बैठक में मोबाइल सिम धोखाधड़ी से बचें और मोबाइल फोन धोखाधड़ी से बचें शीर्षक वाले दो जन-जागरूकता पोस्टरों का विमोचन भी किया गया।

इन पोस्टरों के माध्यम से आम नागरिकों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए जागरूक किया गया। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि दूरसंचार अधिनियम 2023 के तहत जाली दस्तावेजों से सिम कार्ड लेना या जानकारी छुपाना अपराध है। इसी तरह, मोबाइल फोन के IMEI में छेड़छाड़ या अनधिकृत उपयोग को भी गंभीर अपराध माना जाता है, जिसके लिए 3 साल तक की सजा या 50 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

संचार साथी पोर्टल-ऐप का महत्व

इस दौरान अपर महानिदेशक अरुण कुमार वर्मा ने संचार साथी पोर्टल और ऐप का महत्व बताया, जिसे नागरिकों को अपनी सुरक्षा और जानकारी के लिए प्रयोग में लाने की सलाह दी। इस पोर्टल/ऐप पर कई सुविधाएं उपलब्ध हैं।

मोबाइल फोन खोने की रिपोर्टिंग

संदिग्ध धोखाधड़ी और अवांछित वाणिज्यिक संचार (UCC) की रिपोर्टिंग

मोबाइल सिम कार्ड की जानकारी

मोबाइल हैंडसेट के IMEI की सत्यता की जांच

विश्वसनीय संपर्क विवरण



वहीं अपर महानिदेशक अरुण कुमार वर्मा ने नागरिकों से आग्रह किया कि अगर उनका मोबाइल फोन चोरी हो जाए या खो जाए, तो वे पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराएं, दूरसंचार सेवा प्रदाता से नया सिम कार्ड प्राप्त करें और संचार साथी पोर्टल पर सूचना दर्ज करें।

मोबाइल हैंडसेट ब्लॉकिंग और बरामदगी के आंकड़े

अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश (पूर्व) में संचार साथी पोर्टल के माध्यम से अब तक 48 जिलों में 1,91,369 मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक किए गए हैं, जबकि 29,741 मोबाइल हैंडसेट बरामद भी किए गए हैं। यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को मोबाइल हैंडसेट बरामदगी में तीसरे स्थान पर लाता है।

डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफार्म का उपयोग और धोखाधड़ी जोखिम सूचकांक

दूरसंचार विभाग ने अपनी डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए एक डायनामिक धोखाधड़ी जोखिम सूचकांक (FRI) तैयार किया है। यह सूचकांक मोबाइल नंबरों के लिए धोखाधड़ी के जोखिम का संकेतक प्रदान करता है, जिससे लोग पैसे ट्रांसफर करने से पहले संभावित साइबर फ्रॉड के बारे में सजग हो सकते हैं। आरबीआई ने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 30 जून 2025 तक इस प्रणाली को लागू करने का निर्देश दिया है। इस पहल में कई प्रमुख बैंकों जैसे पंजाब नेशनल बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक और Paytm शामिल हैं, जिन्होंने इस प्रणाली को लागू किया है, जिससे लोग साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए सावधान हो सकते हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश में डिजिटल धोखाधड़ी और साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा तंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संचार साथी पोर्टल और ऐप के माध्यम से नागरिकों को सतर्क और सुरक्षित रहने की जानकारी दी जा रही है, जिससे वे बेहतर तरीके से अपने मोबाइल फोन और डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित कर सकें।

Virat Sharma

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Lucknow Reporter

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