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गरीब बच्चों को निःशुल्क इलाज न मिलने पर हाईकोर्ट ने पूछा, क्या कदम उठाए
इस पर कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि जब असाध्य रोगों के निःशुल्क उपचार से सम्बंधित योजनाएं हैं तो उन्होंने इलाज के लिए संस्थान को अब तक बजट क्यों नहीं उपलब्ध कराया।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गम्भीर दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त गरीब बच्चों को निःशुल्क उपचार न मुहैया कराए जाने पर केंद्र व राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसे बच्चों को इलाज मुहैया कराए जाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गये हैं। कोर्ट ने 13 मई को मामले में दोनों सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है।
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यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा व जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने मास्टर विवेक कुमार व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचियों की ओर से कहा गया कि वे गम्भीर कोशिकीय बीमारी से ग्रस्त हैं जिसके इलाज में प्रत्येक बच्चे पर 72-72 लाख रुपये का खर्च आना है। उनके माता-पिता पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं इसलिए वे उनका इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं।
याचियों का कहना था कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली को पत्र लिखा था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। हालांकि मुख्यमंत्री कोष से प्रत्येक बच्चे को तीन-तीन लाख रुपये की राशि इलाज में मदद के तौर पर मिली थी। लेकिन अब तक मुख्यमंत्री कोष से मिली रकम इलाज में खर्च हो चुकी है लिहाजा उन्हें पुनः मदद की दरकार है।
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इस पर कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि जब असाध्य रोगों के निःशुल्क उपचार से सम्बंधित योजनाएं हैं तो उन्होंने इलाज के लिए संस्थान को अब तक बजट क्यों नहीं उपलब्ध कराया। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर दोनों सरकारों से इस सम्बंध में उठा एगए कदमों का ब्यौरा तलब किया है।
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