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ATS ASP के कथित ख़ुदकुशी से उठ रहे कई सवाल, जांबाज अफसर की मौत से 'दहशतज़दा खामोशी'
लखनऊ: एटीएस में तैनात एडिशनल एसपी राजेश साहनी मौत मामले में पुलिस की थ्योरी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस के आला अफसर राजेश साहनी की मौत की वजह भले ही ख़ुदकुशी बता रहे हैं, लेकिन परिस्थितिजनक साक्ष्य पुलिस के दावों पर संदेह खड़े कर रहे हैं। जांबाज पुलिस अफसर के तौर पहचान रखने वाले राजेश साहनी के साथियों को भी यह यक़ीन नहीं हो रहा, कि उन्होंने ख़ुदकुशी कर ली है।
सवाल यह भी उठ रहा है, कि आखिर छुट्टी पर होने के बावजूद वह ऑफिस आए क्यों? और जब उनको गोली लगी तो लम्बे समय तक डॉक्टरों की टीम उन तक क्यों नहीं पहुंची? या फिर उन्हें हॉस्पिटल तक क्यों नहीं ले जाया जा सका? यही नहीं मौके पर पहुंचे पीपीएस अफसरों को अंदर जाने से रोका गया। ख़ास बात यह भी, जब राजेश साहनी की कथित ख़ुदकुशी की खबर आई तब उनका भरोसेमंद गनर और ड्राईवर दोनों नहीं थे। ऐसे में मामला और संदिग्ध हो जाता है।
मिनट-दर-मिनट घटनाक्रम:
-राजेश साहनी की मौत की टाईम लाईन भी यह बताती है कि कहीं न कहीं कुछ न कुछ गोलमाल है।
-2 बजकर 56 मिनट पर एडीजी क़ानून व्यवस्था आनन्द कुमार ने बताया कि 12.45 बजे एएसपी एटीएस राजेश साहनी ने ख़ुदकुशी की।
-1 बजकर 28 मिनट पर newstrack.com की टीम एटीएस दफ्तर पहुंची।
-1 बजकर 45 मिनट पर एडीजी ज़ोन राजीव कृष्णा मौके पर पहुंचे। तब तक उनका शव उनके कमरे में ही पड़ा था।
-जबकि किसी भी दुर्घटना के बाद पीड़ित तक डॉक्टरों की टीम पहुंचनी चाहिए। पीड़ित को फौरन हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ।

-2 बजकर 07 मिनट पर फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची।
-2 बजकर 10 मिनट पर राजेश साहनी की मौत की खबर सुन मौक़े पर पहुंचे पीपीएस अफसरों उस जगह नहीं जाने दिया गया, जहां उनकी डेड बॉडी थी।
-आईजी एटीएस असीम अरुण खुद पीपीएस अफसरों को अन्दर जाने से रोकते नज़र आए।
-2 बजकर 11 मिनट पर पीपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार मिश्रा को भी अन्दर जाने से आईजी एटीएस ने रोक दिया।
-आईजी एटीएस ने अजय मिश्रा को अन्दर जाने से रोका और फिर इंस्पेक्टर एटीएस मोहन वर्मा से अजय मिश्रा की डिटेल नोट करने को कहा।
-3 बजकर 2 मिनट पर लोहिया हॉस्पिटल से डॉक्टरों की टीम को लेकर इंस्पेक्टर विभूति खंड बृजेश राय एटीएस दफ़्तर पहुंचे।
-हालांकि, पहले ही पुलिस अफसरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
-ख़ास बात यह भी है कि राजेश साहनी का भरोसेमंद गार्ड और ड्राइवर दोनों नहीं थे।
-राजेश साहनी की गाड़ी कॉन्स्टेबल मनोज कुमार चलाता था और पिस्टल भी उसी से मंगाने की बात कही जा रही है।
-साहनी की मौत के बाद से मनोज कुमार कहां है इसकी खबर किसी को नहीं है।
-राजेश की ख़ुदकुशी की खबर पुलिस महकमा स्तब्ध है।
-कथित ख़ुदकुशी के बाद से ही पीपीएस अफसरों का जमवाड़ा लगा है।
-राजेश साहनी के साथ काम करने वाले अफसरों ने माना राजेश नहीं कर सकते ख़ुदकुशी।
इन महत्वपूर्ण घटनाओं की जांच साहनी के हाथ
-कई महत्वपूर्ण घटनाओं की जांच कर रहे थे राजेश साहनी।
-बिहार बोध गया ब्लास्ट केस की जांच भी राजेश साहनी ने की थी, इस पर हाल ही में आया है फैसला।
-काकोरी खुरासना मॉड्यूल का किया था खुलासा। सैफुल्लाह मारा गया था मुठभेड़ में।
-एटीएस के अफसर कथित ख़ुदकुशी के बाद मामले के पारिवारिक विवाद से जोड़ने की कोशिश की।
कुछ अनसुलझे, लेकिन बड़े सवाल
-बड़ा सवाल आखिर गोली लगने के बाद राजेश साहनी को फ़ौरन चिकित्सीय सुविधा क्यों नहीं उपलब्ध कराई गई?
-सवाल यह भी उठ रहा है कि छुट्टी पर होने के बाद भी राजेश साहनी ऑफिस क्यों पहुंचे या उन्हें ऑफिस क्यों बुलाया गया?
क्या दबाव में थे साहनी?
यूपी एटीएस ने मिलेट्री इंटेलिजेंस यूनिट के साथ ज्वॉइंट आपरेशन में रमेश सिंह को गिरफ़्तार किया था। इस मामले में 164 के बयान यानि मजिस्ट्रेट के सामने बयान को लेकर राजेश साहनी की वरिष्ठ अधिकारियों से बहस हुई थी। बताया तो यहाँ तक जा रहा है, कि इस मामले में उन पर दबाव इतना अधिक था, कि वह पिछले तीन दिनों से बेहद परेशान थे।
यही नही राजेश साहनी के एक सहयोगी ने बताया कि एटीएस में इतने लंबे समय तक काम करने के बाद पहली बार राजेश साहनी ने दो दिन पहले ही अपने दो मातहतों को फटकार लगाई थी। राजेश साहनी के एक बैचमेट अफ़सर ने बताया कि ग़लत को सही और सही को गलत करने का दबाव वो बर्दाश्त नही कर सके और उन्हें एटीएस से निकलने भी नही दिया गया जिस की वजह से इस जांबाज़ अफ़सर की जान चली गई।
ये कहा यूपी पुलिस के पूर्व मुखिया ने
यूपी पुलिस के मुखिया रहे विक्रम सिंह के साथ राजेश साहनी बतौर डीए-टू-डीजी ढाई वर्ष तक रहे। विक्रम सिंह कहते हैं कि उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि राजेश जैसा जांबाज और खुशमिजाज अफसर ने ख़ुदकुशी कर ली। उन्होंने कहा, कि 'कई अफसरों के मुकाबले राजेश का परफॉर्मेंस बेहतर रहता था। उन्होंने कहा, कि अब ये वक़्त आ गया है कि पुलिस अफसरों को सोचना चाहिए कि आखिर वो कौन सा प्रेशर और गलत-सही करने का दबाव एक इतने होनहार अफसर को ख़ुदकुशी करने को मजबूर कर गया।'
ज़ी न्यूज़ से शुरू किया था करियर
राजेश साहनी लम्बे समय तक कुशीनगर में तैनात रहे थे। वहां के व्हाट्सएप ग्रुप में 'वह आत्महत्या नहीं कर सकते' जैसा मैसेज वायरल हो रहे हैं। ज्ञात हो, कि साहनी ने अपना करियर ज़ी न्यूज़ से शुरू किया था। वहां वह असाइंनमेंट देखते थे। उन दिनों ज़ी न्यूज़ सम्पादक रहे विनोद कापरी ने लिखा है।


नवभारत टाइम्स के सम्पादक सुधीर मिश्रा ने भी लिखा है।

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