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गोरखपुर बाढ़ संकट: लखनऊ हाईवे पर रिसाव से अफरा-तफरी, बुलाई सेना
संजय तिवारी
लखनऊ / गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर पर बाढ़ का संकट आ पड़ा है। महानगर के सभी विद्यालय बंद करा दिए गए हैं। प्रशासन के बुलावे पर सेना को यहाँ मोर्चा संभालना पड़ा है। गोरखपुर से नेपाल जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को बंद कर दिया गया है। गोरखपुर - लखनऊ हाई वे पर भारी रिसाव के कारण आवागमन प्रभावित है।
लखनऊ से जाने वाले वाहनों को बाई पास होकर जाने दिया जा रहा है। शहर के दो दर्ज़न से ज्यादा मुहल्लों में पानी घुस जाने के कारण लोग पलायन को मज़बूर हो गए हैं। इस शहर में डेढ़ दशक के बाद इतनी भयानक स्थिति आयी है। नेपाल से छोड़े गए पानी और लगातार हो रही बारिश की वजह से शहर और आसपास के इलाकों में जलभराव हो गया है। ये हालात तब हैं, जब इस जिले के प्रभारी मंत्री खुद प्रदेश के सिंचाई मंत्री ही हैं, जिन्होंने बार बार यहाँ के आश्वस्त किया था कि बाढ़ से बचाव की तैयारियां दुरुस्त हैं और बांधो को कोई खतरा नहीं है।
यहाँ यह जान लेना आवश्यक होगा, कि गोरखपुर से होकर 6 नदियां बहती हैं। इन नदियों पर 64 बांध बनाए गए हैं। इनमें से 8 ओवर सेंसिटिव हैं तो 9 सेंसिटिव हैं। अगर इनकी ओर ध्यान न दिया गया तो गोरखपुर में बाढ़ के हालात बद से बदतर हो जाएंगे। राप्ती नदी पर बने डोमिनगढ़ बांध में 6 दिन पहले से रिसाव हो रहा था। इसकी जानकारी स्थानीय लोगों और नगर आयुक्त प्रेमप्रकाश सिंह ने भी सिंचाई विभाग को दी थी, लेकिन इस अलर्ट पर ध्यान नहीं दिया गया। इस वजह से राप्ती नदी का दबाव बढ़ने पर रेगुलेटर नंबर एक का जर्जर स्टील का चद्दर टूट गया। रेगुलेटर टूटने से तिवारीपुर इलाके की जफ़र कालोनी के तीन सौ से अधिक घरों में पानी लग गया।
आज यह खबर लिखी जाने तक लखनऊ-गोरखपुर राज मार्ग पर स्थित गौरव पेट्रोल पंप के पास मुख्य सड़क से ही रिसाव शुरू हो चुका जहाँ जिसके चलते इस मार्ग को प्रशासन ने रोक दिया। गोरखपुर के अलावा महराजगंज और सिद्धार्थनगर जिलों में हालत खराब होने की खबर है।
बांध और रेगुलेटर की नहीं हुई मरम्मत
इसके बाद हाबर्ट बांध पर दबाव बढ़ने लगा जिससे यहां जितने भी रेगुलेटर थे सभी में तेजी से रिसाव होने लगा। इससे बांध के किनारे बसे कई मोहल्लों में पानी भर गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि, ''बांधों पर बने रेगुलेटर जर्जर हैं। यह विभाग के इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर जानते थे, लेकिन समय रहते उसकी न तो मरम्मत कराई गई और न ही रेगुलेटर के जर्जर चद्दरों को बदला गया।
मलौनी बांध मचा सकता है तबाही
राप्ती नदी पर बने मलौनी बांध की बात करें तो यह बांध खोराबार के अजवनियां के समीप काफी जर्जर हालत में है। वर्ष 1998 की भीषण बाढ़ में ये बांध कट गया था और शहर के दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र का इलाका पूरा तरह दूब गया था। बावजूद इसके बांध की मरम्मत के नाम पर सिर्फ कागजों में काम हुआ है। यहां के निवासी संतोष कुमार यादव ने कहा कि, ''साहब यह बांध अब थोड़ा भी दबाव नहीं झेल पाएगा। सरकार को इसकी रिपेयरिंग करानी चाहिए।
बंधों की मिटटी खोदकर पाटी गयी
बांध के किनारे रहने वाले लोगो का कहना है कि बांधों की मरम्मत के नाम पर मिट्टी खोदकर उसे प्लेन कर दिया गया है। कुछ जगहों पर बालू की 5 या 10 बोरियां रख दी गई हैं। यह तब है जब नदी में पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। सब केवल खानापूरी कर के छोड़ दिया गया है। अब खराब हुए हैं तो तेजी दिखाई जा रही है।
सीएम को भी दी गयी थी बांध के जर्जर होने की सूचना
बनरहा गांव निवासी अरुण कुमार मुन्ना ने बताया- ''मानीराम-कुदरिहा-बनरहा बांध जर्जर था। इसकी शिकायत भी स्थानीय लोगों ने संबंधित अधिकरियों से की थी, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया। ''इसका एक पत्रक सीएम योगी आदित्यनाथ को भी स्थानीय लोगों ने सौंपा था। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
सिंचाई मंत्री ही हैं गोरखपुर जिले के प्रभारी
यूपी के सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह गोरखपुर जिले के प्रभारी मंत्री हैं। वे प्रत्येक माह कम से कम दो बार गोरखपुर में रहते हैं। एक-दो बार उन्होंने बांध के क्रीम जगहों का निरीक्षण भी किया। जुलाई में उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेस में बांधों के रिसाव के सवाल पर कहा था- ''आल इज वेल। कहीं कोई बांध नहीं कटेगा।
सेना और एनडीआरएफ की टीमें कर रही हैं काम
एनडीआरएफ की तीन टीमें बाढ़ इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। सूत्रों के मुताबिक सेना बुलाए जाने की कवायद जिला प्रशासन ने गुरुवार को शुरू कर दी थी। उसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और पता चला है कि सेना की टुकड़ियों ने आकर मोर्चा भी संभाल लिया है। फिलहाल हालात इस लिए सही है कि पिछले 48 घंटों से इलाके में बारिश नहीं हो रही है। इससे पानी अब इलाकों से छंट रहा है। लेकिन बाढ़ पर दबाव इस कदर है कि सभी सहमे हुए हैं।
बाढ़ को लेकर प्रशासन का रिकॉर्ड
अब तक की कुल बारिश: 465.14 मिमी
बाढ़ से प्रभावित गांवों की संख्या: 105
बाढ़ के पानी में डूबे गांवों की संख्या: 35
बाढ़ से प्रभावित जनसंख्या:2 लाख से ज्यादा
व्यक्तियों की मौत:2
पशु प्रभावित:1202
क्षतिग्रस्त मकान: 5
आबादी प्रभावित:5618.610 हेक्टेयर
खेती लायक भूमि 3189 हेक्टेयर, जबकि बोया गया क्षेत्रफल 44274 हेक्टेयर प्रभावित हुआ है। 76 लाख 52 हजार रुपये की फसल प्रभावित हुई है।
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