लोहिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित अवमानना केस में तलब

राम केवी
Published on: 28 March 2019 10:04 PM IST
लोहिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित अवमानना केस में तलब
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लखनऊः इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनउ खंडपीठ ने डा. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित को एक अवमानना मामले में 4 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। कोर्ट ने मामले केा देखने के बाद पाया कि प्रथम दृष्टया दीक्षित के खिलाफ अवमानना का आरेाप साबित पाया जाता है।

यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की बेचं ने राजेश प्रसाद की अेार से 2017 में दायर अवमानना याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया।

याची की अेार से कहा गया कि वह डा. राम मनेाहर लोहिया विश्वविद्यालय से संबद्ध बद्री नारायण सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कालेज , सकरौली , प्रतापगढ़ में बतौर लेक्चरर कार्यरत था।

उसकी सेवायें 4 फरवरी 2017 केा इस आधार पर समाप्त कर दी गयी थी कि वह 21 सितम्बर 2016 से विश्वविद्यालय नहीं आ रहा था। जबकि उसी कालेज के प्रधानाचार्य ने दिसम्बर 2008 से 8 फरवरी 2017 तक कार्यकरने का उसे प्रमाणपत्र दिया था ।

याची ने अपनी सेवायें समाप्त करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने 30 मई 2017 को कुलपति का आदेश दिया था कि वे इस मामले में याची के प्रत्यावेदन पर विचार कर उस पर एक माह के भीतर उचित निर्णय पारित करें।

दो साल से हो रही अदालत की अवमानना

याची का आरोप था कि करीब दो साल होने को है किन्तु आज तक कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।

कोर्ट ने सुनवायी के दौरान पाया कि कुलपति की ओर से प्रतिशपथ पत्र दाखिल कर कहा गया कि उक्त बद्री नारायण सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कालेज , सकरौली , प्रतापगढ़ इलाहाबाद स्टेट युनिवर्सिटी से संबद्ध हो गया था जहां याची से जुडे सभी दस्तावेज अक्टूबर 2016 में ही भेज दिये गये थे।

रिकार्ड से कोर्ट ने पाया कि उक्त तथ्य की जानकारी कुलपति की ओर से याची को नहीं दी गयी और न ही उसके प्रत्यावेदन पर निर्णय लेकर उसे सूचित ही किया गया। केार्ट ने कहा कि ऐसे मे कुलपति के खिलाफ प्रथम दृष्टया अवमानना का मामला बनता है।

कोर्ट ने कुलपति से स्पष्टीकरण के लिए उन्हें 4 अप्रैल को सुनवायी के समय हाजिर रहने का आदेश पारित कर दिया।

राम केवी

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