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गंगा की रफ्तार में कमी के बावजूद छतों पर हो रहा अंतिम संस्कार
लखनऊ: देश के कई हिस्सों में बाढ़ और बारिश ने तबाही मचा रखी है। इस प्राकृतिक आपदा से यूपी भी अछूता नहीं है। वाराणसी में गंगा ने इस कदर विकराल रूप धारण किया है कि वहां के घाटों पर होने वाले अंतिम संस्कार भी रोक देने पड़े हैं। हालात यह है कि अब अंतिम संस्कार घाट के पास के घरों के छतों पर किया जा रहा है। हालांकि राहत की बात यह है कि मंगलवार को गंगा की रफ्तार में कमी आई है। बावजूद इसके अब भी घरों की छतों पर अंतिम संस्कार जारी है। ये जानकारी यूपी सरकार के प्रवक्ता ने दी।
गंगा की रफ्तार थमी
वाराणसी में मंगलवार दोपहर बाद गंगा की रफ्तार में कमी देखी गई है। मंगलवार शाम चार बजे तक गंगा का जलस्तर 72.48 मीटर दर्ज हुआ। यही जलस्तर दोपहर 12 बजे भी रिकार्ड हुआ था। केंद्रीय जल आयोग ने बताया कि चार घंटे से वाराणसी में गंगा का जलस्तर स्थिर है। वहीं फाफामऊ में 86.21 मीटर, मिर्ज़ापुर में 78.37 मीटर, गाजीपुर में 64.95 मीटर, बलिया में 60.33 मीटर जलस्तर रिकार्ड किया गया है।
पुराने मकानों की छतों पर हो रहा अंतिम संस्कार
यूपी सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि बाढ़ की वजह से घाटों पर जलस्तर काफी बढ़ गया है। घाट अंत्येष्टि के लिए उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए घाटों के आसपास की हवेलियों और पुराने मकानों की छतों पर अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। हालांकि इसमें काफी मुश्किलें आ रही हैं।
वाराणसी में अंत्येष्ठि का है महत्व
हिन्दू मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों की मानें तो काशी को देश के सर्वाधिक पवित्र स्थानों में जगह दी गई है। यहां अंतिम संस्कार का अपना ही महत्व है। इसी कारण हजारों लोग यहां अपने सगे-संबंधियों का अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं। उसके बाद अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार यहां अंतिम संस्कार से मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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