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Saharanpur News: सहारनपुर में विराट कवि सम्मेलन: देशभक्ति, ओज और हास्य से गूंजा जैन धर्मशाला पंडाल
Saharanpur News: सहारनपुर में जैन महासभा द्वारा आयोजित विराट कवि सम्मेलन में ओज, हास्य और देशभक्ति से सराबोर काव्य प्रस्तुतियाँ हुईं।
Saharanpur Kavi Sammelan ( Image From Social Media )
Saharanpur News : सहारनपुर कविता की उत्पत्ति पीढ़ी से होती है जब हृदय में कोई पीर दिन रात रोती है जब प्रफुल्लित होती है भावों एवं विचारों की एक शब्दमयी कविता शायद उसी को कहते हैं" यह कविता किसी कवि ने नहीं बल्कि सहारनपुर के मंडल युक्त अटल राय ने पढ़कर शुरुआत की उन्होंने बता दिया कि उनके हृदय में भी एक कवि धड़कता है इसके अलावा देशभक्त ओजस्वी शब्दों की वर्णमाला से परिपूर्ण रचनाए दर्शकों को सुनने को मिली सहारनपुर में आयोजित विराट कवि सम्मेलनमें।
श्री दिगंबर जैन गजरथ महोत्सव यात्रा के उपलक्ष में आयोजित रात्रि कार्यक्रमों की श्रृंखला में कवियों ने जहां हास्य व्यंग्य से दर्शकों को खूब वह-वाही लूटी तो वही बोल कवित्री ने खूब गुदगुदाया तो कहीं कवियों ने अपने ओजस्वी कविताओं से दशकों में देश भक्ति का संचार किया, विराट कवि सम्मेलन इतना अधिक सफल रहा सुबह के 4:00 तक दर्शन लगातार वहीं पर जुटे रहे और वंस मोर वंस मोर के साथ करतल ध्वनि से लगातार पंडाल गूंजता रहा।
सहारनपुर जैन धर्मशाला में श्री दिगंबर जैन पंचांन समिति के निर्देशन में श्री दिगंबर जैन सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित विराट कवि सम्मेलन में एक से बढ़कर एक कवि अपनी कविताओं से सभी का मनोरंजन करते रहे और दर्शक झूमते रहे कार्यक्रम का शुभारंभ चित्र अनावरण से श्रीमती सरिता जैन ने किया वही दीप प्रज्वलन अजय जैन अविरल जैन श्रीमती पिंकी जैन ने किया मंच का उद्घाटन टोली गुलाबान के चौधरी अवनीश जैन राजा ने किया वहीं मुख्य अतिथि के तौर पर मंडलायुक्त अटल कुमार और नगर आयुक्त शिबू गिरी पधारे।
मंडला आयुक्त अटल राय ने कहा कि जैन धर्म के सिद्धांत आज वर्तमान समय में प्रासंगिक है जियो और जीने दो और अहिंसा परमो धर्म को यदि सभी अपना लें तो अपराध अराजकता का स्वत: ही दमन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी धर्म में कुछ ना कुछ खास होता है जिसे हमें ग्रहण करने की आवश्यकता होती है यदि हम उनका पालन करें तो केवल दूसरों का ही नहीं अपना जीवन पहले सवार लेंगे। मंडला आयुक्त अटल राय ने अपने व्यक्तियों को कविता के अंदाज में कहां की वह इस कवि सम्मेलन में आकर अपार प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं कविता की उत्पत्ति पीढ़ी से होती है जब हृदय में कोई पीर दिन रात रोती है जब प्रफुल्लित होती है भावों एवं विचारों की एक शब्दमयी सविता शायद उसी को कहते हैं
कविता'मंडल युग के मुखाविंद नई कविता की सरिता प्रवाहित होते देख सभी ने उत्साह पूर्वक करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया नगरायुक्त शिपू गिरी ने कहा कि जैन धर्म उन्हें बचपन से ही आकर्षित करता रहा है उनकी सरलता सहजता और धर्म के प्रति समर्पण उन्हें बेहद अच्छा लगता है जैन धर्म में जो नियम और सिद्धांत बताए गए हैं यदि भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताए गए उन सिद्धांतों का जीवन में सभी पालन कर ले अपने जीवन में उतार ले तो निश्चित रूप से जीवन बेहतर हो जाएगा एक नियम ही जीवन को बदल देता है और आज हम यहां पर जैन कवि सम्मेलन में उपस्थित होकर कविताओं का आनंद लेने के लिए आए हैं। जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा कि यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है कि आज मंडलायुक्त और नगरायुक्त दोनों ही विराट कवि सम्मेलन के मंच पर आसीन है और देश भर से आए कवियों को सुनने के लिए यहां पर हजारों की संख्या में दर्शन ललायित है। हमारी यहां 6 दिवसीय वार्षिक गजरथ महोत्सव यात्रा निकलती है
जब 17 फीट ऊंचे स्वर्ण मंण्डित रथ पर सवार होकर नगर के भ्रमण के दौरान सभी श्रद्धालु उनके दर्शन करते हैं यह हमारे बड़े सौभाग्य की बात है इस श्रृंखला में यह मंच केवल जैन धर्म के प्रतिभाओं को ही नहीं अन्य धर्म की प्रतिभाओं को भी समक्ष लाने का कार्य करता है यह हमारे लिए वाकई बड़े सौभाग्य की बात है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर अमित जैन बिन्नी, आरएसएस के विभागकार्यवाहक अरविंद जी और कवींद्र जी पार्षद गौरव जैन नीरज शर्मा मयंक गर्ग उपसभापति,मुकेश दीक्षित, विपिन सलूजा, अनुज जैन पधारे। कार्यक्रम के अध्यक्ष महावीर जैन, स्वागत अध्यक्ष अविनाश जैन नाटी अर्णव जैन मुख्य संयोजक अनिल जैन मयंक जैन रहे वही विशिष्ठ अतिथि के तौर पर विजय कुमार नवीन कुमार जैन टोली शोरमियान के चौधरी राकेश कुमार जैन जैन समाज केकोषाध्यक्ष अरुण जैन रहे।
विराट कवि सम्मेलन में जहां धार्मिक कविताएं और धर्म के ऊपर मंडरा रहे संकट को बताया तो वही शौर्य राष्ट्रभक्त ओतपोत कविताओं के माध्यम से वीर रस जन जन में नजर आया।कवियों ने हास्य कविताओं के माध्यम से सभी को खूब हंसाया तो तो व्यंग्नता से दर्शकों की अंतरात्मा को झझकोरा। विराट कवि सम्मेलन के मंच का संचालन कर रहे क्रांति कवि सौरभ सुमन ने अपनी कविताओं के माध्यम से दशकों में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला भड़का दी।
उन्होंने कहा "राष्ट्रभक्ति के प्रश्नों से तुम भले नाम हटवा देना मेरे जिस्म के टुकड़े चीलो कौवों को बटवा देना मैं कहता हूं एक बार कश्मीर भी दे दो योगी को आंतकवाद यदि बच्चे तो मुझको इंचो में कटवा देना" वही बोल कवित्री सानवी जननी सभी से खूब आशीर्वाद लिया और खूब तालियां बटोरी बाल कवित्री ने कहा सरिता के जैसे बहते जज्बात मानवी के झरने की मीठी धारा अल्फाज सानवी के छांह भेंगे जहां में अंदाज सानवी के जीवन को है सजाने सुसाज सानवी के'। वही दिल्ली से आए कभी विनोद पाल ने कहा सुंदर स्वप्न सलोने चुनना बेर ख्वाब को मत चुनना खो दे जो पहचान तुम्हारी उसे नकाब को मत चुनना मेरी यह पंक्तियां सदा ही याद रखना तुम बच्ची हो रवि सूर्य दिनकर को चुना आफताब को मत चुनना' सुन कर सभी का मन मोह लिया
उन्होंने लव जेहाद पर जबरदस्त प्रहार किया। वही मध्य प्रदेश उज्जैन से आए हिमांशु शर्मा बवंडर ने कहा एसी की ठंडक ना दे बूढ़े बरगद की छांव तो दे दो कंक्रीटो के जंगल ना दे बचपन वाला गांव ही दे दो जर जोरू जमीन यह तो सब फूजूल है मुझे मेरी मां के जन्नत वाले पाओ तो दे दो सुन कर मन की मेहता को बेहद ही सुंदर शब्दों में बयां किया। वीर रस के सूत्रधार कहे जाने वाले डॉ मोहित संगमनेर अपने अंदाज में कुछ यूं कविता पढ़ी' सम्मान की माला है कोई हथकड़ी नहीं बेकार वह साधना है जो वक्त पर लड़ी नहीं हम शब्द के साधन कविता है जां हमारी पर कोई भी कविता यहां वतन से बड़ीनहीं' एक से बढ़कर एक वीर रस की कविताएं सुना कर दर्शकों का मौन मोह लिया और खूब तालियांबटोरी।
गीतकार दिनेश रघुवंशी ने कुछ इस अंदाज में अपनी बात कही की वंस मोर वंस मोर का कर दर्शक भाव विभोर हो गये उन्होंने कहा भर घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा तेरे हाथों की नरर्माहट कहीं नहीं मिलती अम्मा मैं तन पर लादे फिरता हूं दुशाले रेशम लेकिन तेरी गोद से गर्माहट कहीं नहीं मिलती अम्मा'। श्रृंगार रस की कवियत्री पद्मिनी शर्मा ने कुछ यूं अपने शब्दों को बयां किया उन्होंने कहा भारत की संस्कृति परम पुनीता बचा लो कर्मों की अदालत में अपनी गीता बचा लो मंदिर तो धूमधाम से बना लिया मगर कलयुग के रेवानो से अपनी सीता को बचा लो"। गीतकार स्वयं श्रीवास्तव ने अपनी रचना सुन कर सभी से खूब वाही वाही लूटी उन्होंने कहा मुश्किल भी संभालना ही पड़ा घर के वास्ते फिर घर से ही निकालना ही पड़ा घर के वास्ते मजबूरी का नाम हमने धौंक रख लिया हर ठोंक बदला ही पड़ा घर के वास्ते'।
इसके अलावा श्रृंगार रस से परिपूर्ण कविताएं सुन कर शशि श्रेया ने सभी की तालियां बटोरी एक से बढ़कर एक कविताओं के श्रवण से दर्शक पंडाल में सुबह 4:00 तक जमे रहे कवियों को जाना था इसीलिए वह मुश्किल 4:00 बजे कवि सम्मेलन को समाप्त करना पड़ा दर्शन वंस मोर वंस मोर कहते रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से जैन समाज के अध्यक्ष और समिति के संरक्षक राजेश कुमार जैन जैन समाज के संरक्षक और भाजपा के पूर्व महानगरअध्यक्ष राकेश जैन महामंत्री संजीव
जैन उपाध्यक्ष विपिनजैन कोषाध्यक्ष अरुण जैन गजरथ महोत्सव के मुख्य संयोजक विनोद जैन चौधरी अनुज जैन, अजीत जैन अविनाश राजा अनिल जैन मंटू संदीप जैन राकेश जैन डॉ एके जैन ललित जैन, अजय जैन आदित्य जैन पंकज जैन नितिन जैन विभोर जैन अशोक जैन मनोज जैन ऋषभ जैन मानसिंह जैन अमित जैन विवेक जैन सचिन जैन निखिल जैन रजत जैन अतुल जैन मयूर जैन विशाल जैन प्रवीन जैन श्रवण जैन आशीष जैन दीपक जैन ट जैन रवि जैन सुशील जैन डॉ सुमित जैन अक्षत जैन मुख्य रूप से उपस्थितरहे कार्यक्रम को सफल बनाने में समिति के अध्यक्ष विनय जैन महामंत्री आयुष जैन राजा मुख्य सलाहकार दीपक जैन पुनीत जैन गौरव जैन आचमंनजैन सिद्धार्थ जैन अंकित जैन मोहित जैन आयुष जैन अमित जैन मोहित जैन सनी जैन आदि का विशेष सहयोगरहा
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