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किसानों से बातचीत की नाकामी पर अखिलेश का व्यंग्य, बताया बीजेपी का नया जुमला
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ बार-बार वार्ता फेल होने को लेकर भाजपा पर करारा व्यंग्य किया है.
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ बार-बार वार्ता फेल होने को लेकर भाजपा पर करारा व्यंग्य किया है. उन्होंने भाजपा पर मनमानी का आरोप लगाया है और कहा कि किसानों के साथ वार्ता भाजपा का नया जुमला है.
अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधा
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के साथ आठवें दौर की वार्ता बेनतीजा निकलने पर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने भाजपा पर व्यंग्य करते हुए कहा कि जब उसे अपने मन की ही करनी है. किसानों की बात नहीं माननी है तो उन्हें बार-बार क्यों बुलाया जा रहा है. शुक्रवार की शाम अपने बयान में उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार अब तक आठ दौर में किसानों से बातचीत कर चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. किसानों को केंद्र सरकार की ओर से बार-बार बातचीत करने के लिए बुलाया जाता है लेकिन उनकी बात सुनकर समस्या का समाधान करने के बजाय सरकार उन्हें टका सा जवाब देकर वापस लौटा देती है.
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बीजेपी और केंद्र पर लगाया आरोप
भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि जब भाजपा और केंद्र सरकार को अपनी मनमानी ही करनी है तो वह किसानों को बार-बार क्यों बुलाते हैं. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भारतीय जनता पार्टी के सरकार देश के बड़े उद्योगपतियों के हाथों में खेल रही है भाजपा सरकार कारपोरेट घरानों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करा रही है उनके लिए लाल कालीन बिछाया जा रहा है कारपोरेट घरानों के सभी बाधाओं को दूर किया जा रहा है लेकिन किसानों की सुध नहीं ली जा रही है उन्होंने कहा कि जब तक भाजपा की सरकार कारपोरेट के लिए कारपेट बिछाती रहेगी तब तक सड़कों पर बैठे किसानों के हित में कोई फैसला नहीं आ सकता.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार का वार्ता का वादा उसी तरह है जैसे कभी भारतीय जनता पार्टी ने अच्छे दिन आने का वादा किया था और बाद में अच्छे दिन को जुमला बताकर खारिज कर दिया था. किसानों के साथ वार्ता भी भाजपा कहा उसी तर्ज पर नया जुमला है. जो कभी पूरा नहीं होने वाला है किसानों के साथ इसी तरह से बेईमानी होती रहेगी उन्हें बार बार वार्ता के लिए बुला कर ठगा जाएगा लेकिन वार्ता का कभी कोई हल नहीं निकलेगा.
अखिलेश तिवारी
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