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पूर्व मंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी, लोकायुक्त जांच में करप्शन खुला
लखनऊ: गवर्नर राम नाईक ने विजिलेंस की सिफारिश के बाद चौधरी मो बशीर, पूर्व विधायक/पूर्व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के खिलाफ अभियोजना की मंजूरी दे दी है। लोकायुक्त जांच में यह भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे।
चौधरी मो बशीर पर वर्ष 2002-03 से 2006-07 की अवधि में आगरा में विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रबंधकों और अधिकारियों की मिलीभगत से बिना विद्यालय निर्माण कराने के नाम पर विधायक निधि से करोड़ो रूपये अवमुक्त कराने के आरोप थे। इसमें गबन उजागर हुआ है। इसकी शिकायत लोकायुक्त से की गई थी। लोकायुक्त ने उनको को दोषी पाते हुये 26 सितम्बर, 2007 को प्रदेश शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत की।
शासन ने 30 जनवरी, 2008 को एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये। चौधरी मो बशीर एवं अन्य 4 के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी एवं धारा 13(1)डी सपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत थाना ताजगंज, आगरा में एफआईआर दर्ज की गई।
सर्तकता अधिष्ठान आगरा ने बशीर एवं अन्य 4 के विरूद्ध की गई जांच में आरोपों को सही पाते हुये अपनी रिपोर्ट 9 मई, 2014 शासन को भेजी थी। इन पर विधायक निधि से 1,42,29,600 रूपये के गबन के संबंध में राज्यपाल से भारतीय दण्ड संहिता धारा 409, 420, 467, 468, 471, 120बी एवं धारा 13(1)डी सपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अपराध में अभियोजन स्वीकृति का अनुरोध किया गया था।
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