Shamli News: भागो आया काल! कैराना की अनोखी परंपरा है यह जुलूस, बनता है हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की मिसाल

Shamli News: शामली के कैराना में रामलीला से पहले निकलता है काल का जुलूस, जिसमें हिंदू-मुस्लिम मिलकर सदियों पुरानी परंपरा को जीवित रखते हैं।

Pankaj Prajapati
Published on: 18 Sept 2025 5:28 PM IST (Updated on: 18 Sept 2025 5:31 PM IST)
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Shamli News: कैराना में जब काले रंग का आदमी तोड़ता है तो बाजार में उसे वक्त पीछे हजारों की भीड़ दौड़ती है और काल से मार भी खाती है। लोग उसे कॉल कहते हैं। चरण में रामलीला के 1 दिन पूर्व निकाला जाता है काल का जुलूस। सदियों पुरानी इस परंपरा को जीवित रखने के लिए हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय भी पूरी जिम्मेदारी से साथ निभा रहे हैं। और काल की जब मार पड़ती है तो लोग उसे प्रसाद समझकर काल की मार खाते हैं। वह काले कपड़े पहनने से लोग पैसे देते हैं। कॉल जुलूस हिंदू मुस्लिम समुदाय के सौहार्द व भाईचारे की प्रेम मिसाल कायम कर रहा है।

दरअसल, आपको बता दें जनपद शामली के कैराना में रामलीला के एक दिन पूर्व कैराना का काल निकाला जाता है। महाभारत काल में पानीपत की लड़ाई में जाते वक्त जिस स्थान पर विश्राम किया था, उसका नामकरण नगरी पर गया था, अब नाम बदलकर कैराना हो गया। सालों से चल रही यह परंपरा देखनी हो तो कभी कैराना जाएं। जनपद शामली के मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैराना की इस नगरी को दोनों संप्रदाय के लोगों ने देशभर में अनोखी मिसाल कायम की है।

कैसे निकलता है काल का जुलूस

कैराना करना सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पूरे देश में देखने लायक है। हिंदू परंपरा के अनुसार श्री रामलीला महोत्सव शहर में शुरू हो चुका है, लेकिन इसके बीच निकाले जाने वाले काल के जुलूस की परंपरा कहीं और देखने को नहीं मिलती। कैराना देश में मात्र एक ऐसा शहर है जहां आज भी यह परंपरा जारी है। खास बात यह है कि काल के इस जुलूस में मुस्लिम बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं और जुलूस भी निकालते हैं। यही नहीं, जहां तक हो सकता है वहां सहयोग भी प्रदान करते हैं।


कैराना में रामलीला मंच का आयोजन कई सालों से किया जा रहा है। एक व्यक्ति को काले रंग का रंगाकर कॉल बनाया जाता है। उसके हाथों में एक लकड़ी की तलवार बनाई जाती है। जब उसे श्रृंगार कर दिया जाता है तो वह व्यक्ति काली माता के मंदिर जाता है और काली माता की पूजा करने के बाद कॉल नगर में निकल पड़ता है। भगत दौड़ता रहता है और लोग लकड़ी की तलवार से मार भी खाते हैं। कॉल जिस भी व्यक्ति को पकड़ लेता है, उसके काले कपड़े भी पहनवा देता है। इस प्रथा को लोग भगवान का प्रसाद मानते हैं। काले कपड़े करवाने के बाद लोग काल को पैसे भी देते हैं।

धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि रामायण काल में लंका के राजा रावण ने अपनी शक्ति के बल पर कॉल को बंदी बना लिया था क्योंकि रावण को घमंड था कि जब वह कॉल को बंदी बना लेगा तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इस परंपरा के आधार पर रामलीला के शुरू में ही काल को निकाला जाता है, जिसके बाद काल को रावण द्वारा बंदी बना लिया जाता है। जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करते हैं और रावण से युद्ध करते हैं, तब रावण के विनाश के लिए काल को मुक्त भी कराया गया था।

शामली के चरण में जहां 95% मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, वहां एक अनोखी रामलीला होती है। करीब 92 वर्षों से रामलीला चल रही है। पहले मुख्य भारतीय रामलीला होती थी, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

Shashi kant gautam

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