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उफनाती गंगा की लहरों में तैरकर कानपुर से फतेहपुर पहुंची नन्ही जलपरी श्रद्धा
11 साल की क्लास 9 में पढ़ने वाली नन्ही तैराक श्रद्धा शुक्ला ने कानपुर से वाराणसी तक उफनाती गंगा को तैरकर पार करने का जज्बा पाल रखा है। श्रद्धा देश के लिए ओलंपिक में तैराकी का गोल्ड मेडेल जीतना चाहती है। श्रद्धा 70 घंटे में 570 किमी. की दूरी तय करेंगी। रविवार से कानपुर से गंगा नदी तैरकर वाराणसी तक का सफर तय करने के रास्ते में श्रधा सोमवार को फतेहपुर के भिटौरा घाट पहुंची। श्रद्धा सिर्फ 6 जगहों पर रुकेगी। सोमवार को श्रधा फतेहपुर के भिटौरा घाट पर आने के बाद कुछ देर यहां रुकी और फिर अपने सफर में गंगा की लहरों को चीरती हुई आगे बढ़ गईं। श्रद्धा साक्षी मलिक और पीवी सिंधु की तर्ज पर विश्व में अपने बुलंद हौसले के दम पर देश का नाम रोशन करना चाहती है।
कानपुर: 11 साल की क्लास 9 में पढ़ने वाली नन्ही तैराक श्रद्धा शुक्ला ने कानपुर से वाराणसी तक उफनाती गंगा को तैरकर पार करने का जज्बा पाल रखा है। श्रद्धा देश के लिए ओलंपिक में तैराकी का गोल्ड मेडल जीतना चाहती है। श्रद्धा कानपुर से वाराणसी तक 70 घंटे में 570 किमी. की दूरी तय करेंगी। रविवार से कानपुर से उफनाती गंगा नदी की लहरों में तैरकर वाराणसी तक का सफर तय करने के रास्ते में श्रद्धा सोमवार को फतेहपुर के भिटौरा घाट पहुंची। श्रद्धा सिर्फ 6 जगहों पर रुकेगी। सोमवार को फतेहपुर के भिटौरा घाट पर आने के बाद श्रद्धा कुछ देर यहां रुकी और फिर अपने सफर में गंगा की लहरों को चीरती हुई आगे बढ़ गईं। श्रद्धा ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और पीवी सिंधु की तर्ज पर विश्व में अपने बुलंद हौसले के दम पर देश का नाम रोशन करना चाहती है।
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चार साल की उम्र से कर रही हैं तैराकी
श्रद्धा चार साल की उम्र से गंगा में तैराकी कर रही हैं। इस दौरान उसने कई कीर्तिमान बनाए हैं। श्रद्धा हर साल अपनी क्षमता के आकलन और सरकारी व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए गंगा की उफनाती लहरों में छलांग लगाती हैं। श्रद्धा के पिता और बाबा गोताखोर रहे हैं लेकिन उनकी आंखो में श्रद्धा के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतते देखने का सपना है।
क्या कहते हैं पिता ललित?
श्रद्धा के पिता ललित शुक्ला का कहना है भारत को आज तक स्विमिंग में एक भी मेडल नहीं हैं। पिता ललित का कहना है कि हम अपनी बेटी श्रद्धा के अंदर एक ऐसा टैलेंट पैदा करना चाहते हैं कि वह भारत को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जिताए।
उन्होंने कहा कि श्रद्धा का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जा चुका है, जो अभी संशोधन में हैं। श्रद्धा के पिता का कहना है कि जो भी बच्चे हों अगर उनके अंदर थोड़ा भी टैलेंट हो तो वो खतरों से लड़ने की कोशिश करें, श्रद्धा भी वही कर रही है। इनमें बच्चों के अभिभावकों को पूरा साथ देना चाहिए।
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