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डॉक्टर भी रह गए दंग, जब छः साल के बच्चे के पेट से निकला अविकसित भ्रूण
वाराणसी: काशी में एक अनोखा मामला सामने आया है। छः साल के एक बच्चे के पेट से अविकसित भ्रूण निकला है। ये मामला शुक्रवार को ककरमत्ता स्थित एक निजी अस्पताल में तब सामने आया जब एक बच्चे को पेट दर्द की शिकायत के बाद इलाज के लिए लाया गया था।
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के पेट दर्द की शिकायत के बाद एक ऑपरेशन कर गांठ को निकाला। जिसे देखने के बाद वहां मौजूद डॉक्टर आश्चर्यचकित रह गए। डॉक्टरों की टीम का दावा है कि ये गांठ नहीं बल्कि अविकसित भ्रूण है।
पांच लाख में एक मामला
अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एके कौशिक ने बताया कि इस तरह के मामले पांच लाख में एक पाया जाता है। यह अनोखा मामला है। उनका कहना है कि ये भ्रूण बच्चे के जन्म के साथ ही उसके पेट में था जो धीरे-धीरे विकसित हो रहा था। बच्चे का नाम मास्टर रितेश है।
ऐसे बनती है गांठ
डॉ. कौशिक के मुताबिक ऐसे केस की दो थ्योरी होती है। पहली थ्योरी के मुताबिक इसे 'फिटस इन फीटो' या टेराटोमा बोलते हैं। उनके मुताबिक यह अविकसित गर्भ कि एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें गर्भ की अबनार्मल ग्रोथ इंटरनल टीसू के कारण होती है। दूसरी थ्योरी के मुताबिक टेराटोमा जो कि एक प्रकार की गांठ होती है जिसमें कई तरह कि कोशिकाएं आपस में एकत्रित होकर इसका निर्माण करती है।
ऐसे होता रहा भ्रूण का विकास
डॉक्टर का दावा है कि इस बच्चे के पेट में लगातार भ्रूण का विकास होता जा रहा था। डॉक्टर के अनुसार, मां के गर्भ में कभी-कभी दो बच्चों का भ्रूण होता है। ऐसे में हो सकता है कि एक भ्रूण का विकास तो हो जाता है लेकिन दूसरे भ्रूण का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता है। ऐसे में विकसित भ्रूण के शरीर में दूसरे अविकसित भ्रूण का ट्रांसफर हो जाता है। धीरे-धीरे बच्चे के साथ भ्रूण का भी विकास होता जाता है।
अब तक ऐसे दस मामले सामने आए
डॉक्टर ने दावा किया है कि बच्चे के पेट से निकले भ्रूण में अविकसित सिर, हाथ और रीढ़ मौजूद है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह का केस दुनियाभर में अब तक करीब सौ सामने आए हैं। भारत में भी ऐसे दस केस सामने आ चुके हैं।
पटना से बीएचयू तक लगाया चक्कर
बच्चे के पिता विरेन्द्र ने बताया कि छः महीने पहले उनके बेटे के पेट में अचानक दर्द शुरू हुआ। बताया कि पटना से बीएचयू तक वह कई डॉक्टरों से दिखा चुके हैं। बीएचयू में ऑपरेशन की लंबी डेट मिली थी। अंत में थक-हारकर वे उसे निजी अस्पताल ले गए। इस वक्त बच्चा आईसीयू में है। रितेश के पिता विरेन्द्र झारखंड में मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करते हैं।
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