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Sonbhadra: प्रधानमंत्री आवास आवंटन में गड़बडी की डीएम कराएंगे जांच, कोर्ट का निर्देश
Sonbhadra: प्रधानमंत्री आवास आवंटन में बरती जा रही गड़बड़ी को लेकर जिलाधिकारी को मामले की जांच कराने और संबंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति के साथ आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं।
प्रधानमंत्री आवास आवंटन में गड़बडी। (Social media)
Sonbhadra: प्रधानमंत्री आवास (Prime Minister Housing) आवंटन में बरती जा रही गड़बड़ी को लेकर जिलाधिकारी को मामले की जांच कराने और संबंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति के साथ आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। पात्र होने के बावजूद आवास न मिलने और सूची से नाम काट देने को लेकर दिए गए प्रार्थना पत्र पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा (Chief Judicial Magistrate Suraj Mishra) की अदालत ने यह आदेश पारित किया है। डीएम को 15 जुलाई तक मामले की जांच कराकर, दस्तावेजों सहित आख्या प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है।
यह है मामला, जिस पर कोर्ट हुई सख्त
राबर्ट्सगंज विकास खंड (Robertsganj Development Block) के कुरथा गांव निवासी चिंतामणि ने 156 (3) सीआरपीसी के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अधिवक्ता के जरिए प्रार्थनापत्र दाखिल किया। आरोप लगाया कि उसकी पत्नी प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए तैयार लाभार्थियों की सूची में उसकी पत्नी इंद्रावती का नाम क्रमांक 16 पर अंकित था लेकिन जिला स्तरीय टीम द्वारा उसका नाम, गलत ढंग से साजिश करके काट दिया गया। इसको लेकर अधिकारियों के यहां कई बार गुहार लगाई गई। पीएम और सीएम के यहां भी आनलाइन पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज कराई गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पहले बताया अपात्र, फिर पात्र बता करते रहे टालमटोल
कोर्ट ने पाया कि आवेदक की तरफ से प्रार्थनापत्र के साथ खंड विकास अधिकारी के जो पत्र न्यायालय में दाखिल किए गए हैं उसमें चिंतामणि का पता कुरथा अंकित है लेकिन दूसरे पत्र में पता मिश्रौलिया दर्ज कर दिया गया है। पुनः इसके बाद के पत्र में पता कुरथा लिखा गया है। इसी तरह एक पत्र में यह कहा गया है कि आवेदक की पत्नी का नाम इस आधार पर सूची से हटाया गया है कि उसके पास दो से अधिक कमरे थे और वह पात्र नहीं थी। दूसरे पत्र में खंड विकास अधिकारी द्वारा आख्या दी गई है कि वह आवास के लिए पात्र है। उसके पास केवल झोपड़ीनुमा घर और डेढ़ विश्वा जमीन है। कोर्ट ने माना है कि खंड विकास अधिकारी के पत्रों से यह दर्शित है कि बार-बार विभागीय निरीक्षण में दी गई आख्या परिवर्तित की गई है लेकिन यह प्रकरण शासन का नीतिगत विषय से संबंधित है इसलि इस पर उचित निर्णय लेने का अधिकार संबंधित प्राधिकारियों को ही प्राप्त है कि कोई व्यक्ति शासन की किसी योजना के तहत पात्र है या नहीं।
मामले के निस्तारण के लिए डीएम से 15 जुलाई तक मांगी जांच आख्या
पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए अदालत की तरफ से डीएम को निर्देशित किया गया है कि वह प्रकरण की जांच अपने स्तर से कराकर विस्तृत आख्या मय संबंधित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति, न्यायालय के समक्ष 15 जुलाई तक प्रस्तुत करें ताकि आवेदक के प्रार्थनापत्र का विधिनुसार निस्तारण किया जा सके।
पात्रता के शर्तों की अनदेखी का भी किया जा रहा दावा
मामले में आवेदनकर्ता चिंतामणि का दावा है कि बीडीओ राबटर्सगंज की तरफ से 18 मई 2021 को उपलब्ध कराई गई सूचना में अवगत कराया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को आवास प्राप्त है तो उसकी पत्नी को पुनः आवास नहीं दिया जा सकता एवं जिनके पास चार बीघा से अधिक तीन फसली कृषि भूमि है, वे अपात्र की श्रेणी में आएंगे। वहीं जब, उनसे इस मानक के आधार पर अपात्रों को आवास दिए जाने की शिकायत की तो 21 अक्टूबर 2021 को उसकी शिकायत में किए गए निस्तारण में, जिनको पहले से आवास दिए गए थे, उनकी पत्नी को दिए गए आवास को सही ठहराते हुए, संबंधित लाभार्थियों को पात्र होने की अख्या प्रेषित कर दी गई।
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