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Sonbhadra news: राख के सुरक्षित निस्तारण में सोनभद्र के निजी बिजलीघर अव्वल, पब्लिक सेक्टर और साझीदारी वाली परियोजनाएं फिसड्डी
Sonbhadra news लैंको का राख का सुरक्षित निस्तारण परियोजना के ग्राफ में लगातार हो रही गिरावट। 2019-20 में 22.71 प्रतिशत राख का सुरक्षित निस्तारण किया था। वही 2021-22 में यह आंकड़ा 12.70 प्रतिशत ही पहुंच पाया।
राख का सुरक्षित निस्तारण
सोनभद्र। बिजली एवं अन्य परियोजनाओं से निकलने वाली कोयले के राख का शत-प्रतिशत निस्तारण एनजीटी की सख्ती और ओवरसाइट कमेटी के लगातार प्रयासों के बाद भी संभव नहीं हो पा रहा है। तीन साल के आंकड़ों में निजी घराने (हिण्डाल्को की रेणुकूट और रेणुसागर इंडस्ट्रीज) को छोड़कर शेष सभी परियोजनाओं की हालत फिसड्डी वाली साबित हुई है। इसको लेकर पिछले सप्ताह ओवरसाइट कमेटी की तरफ से एनजीटी को एक रिपोर्ट भी सौंपी गई है, जिसमें कार्रवाई एवं निर्देश के लिए कई संस्तुतियां की गई हैं।
लैंको का राख निस्तारण 20 फीसद से भी नीचे
रिपोर्ट में वर्ष 2019-20 से लेकर सितंबर 2021 (वर्ष 2021-22) तक दिखाए गए आंकड़े बताते हैं कि राज्य सेक्टर की अनपरा परियोजना से हुए एग्रीमेंट के जरिए अनपरा परियोजना के ही ऐशडैम में राख का निस्तारण करने वाली लैंको परियोजना ने जहां साल 2019-20 में 22.71 प्रतिशत राख का सुरक्षित निस्तारण किया था। वहीं अगले साल यह घटकर 16.88 प्रतिशत पर आ गया। 2021-22 में भी बीते सितंबर माह तक यह आंकड़ा 12.70 प्रतिशत ही पहुंच पाया।
राज्य सेक्टर में राख का 10% भी नहीं मिला सुरक्षित निस्तारण
राज्य सेक्टर की हालत और भी ज्यादा खराब है। ओबरा में जहां राख का सुरक्षित निस्तारण 10 प्रतिशत भी सुनिश्चित नहीं हो पाया हैं। वही अनपरा परियोजना में पिछले वित्तीय वर्ष में राख के सुरक्षित निस्तारण का आंकड़ा 27.34 प्रतिशत था। वहीं मौजूदा वित्तीय वर्ष में सितंबर माह तक महज 3.97 प्रतिशत राख का ही सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित हो पाया है।
केंद्रीय सेक्टर की स्थिति औरों से बेहतर
इस मामले में केंद्रीय सेक्टर के रिहंद और शक्तिनगर स्थित एनटीपीसी के परियोजनाओं की हालत राज्य सेक्टर की परियोजनाओं से बेहतर दर्ज हुई है। यहां मौजूदा वित्तीय वर्ष में सितंबर तक सुरक्षित निस्तारण का आंकड़ा क्रमशः 46.21 और 22.55 प्रतिशत दर्ज किया गया है।
हिंडाल्को के परियोजनाओं की स्थिति मिली सबसे अच्छी
राख निस्तारण रिपोर्ट में हिंडाल्को की स्थिति सबसे अच्छी मिली है। हिंडालको रेणुकूट में जहां 90% से अधिक राख का सुरक्षित निस्तारण मिला है। वहींं रेणुसागर ने शत-प्रतिशत राख का निस्तारण करने का रिकॉर्ड बनाया है।
बार-बार अनुस्मारक के बाद भी कमेटी को नहीं मिल पा रही प्रासंगिक जानकारी
NGT द्वारा गठित ओवरसाइट कमेटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसवीएस राठौर और कमेटी के सदस्य अनंत कुमार सिंह ने NGT में दाखिल रिपोर्ट में जरुरी कदम उठाने की संस्तुति के साथ ही हालात पर चिंता भी जताई है। कहा है कि सोनभद्र में स्थित अधिकांश ताप विद्युत संयंत्र (टीपीपी)/उद्योग सीपीसीबी के दिशानिर्देशों के अनुसार 100% फ्लाई ऐश का उपयोग/निपटान नहीं कर रहे हैं। उसकी प्रगति रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि इन ताप विद्युत संयंत्रों उद्योगों ने कुछ निश्चित कर लिया है। बार-बार अनुस्मारक के बावजूद इन तापीय विद्युत संयंत्रों और उद्योगों से प्रासंगिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राख निस्तारण के शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से जिले में स्थित ज्यादातर बिजली परियोजनाओं पर पेनाल्टी भी लगाई गई है लेकिन कोई खास फर्क नहीं पड़ा है।
राख निस्तारण में फिसड्डी परियोजनाएं कार्ययोजना बनाकर करें दाखिल
राख का ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित निस्तारण हो इसके लिए कई वैकल्पिक उपाय सुझाए गए हैं और एनजीटी से राख निस्तारण में फिसड्डी साबित हो रही परियोजनाओं से कार्ययोजना बनाकर दाखिल करने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इस कार्ययोजना पर कड़ाई से अमल कराने की संस्तुति भी की गई है। राख निस्तारण को बढ़ावा देने के लिए गहरी और निष्प्रयोज्य पड़ी खदानों में राख भराव की अनुमति देने वाली प्रक्रिया को जहां सरल बनाने की जरूरत जताई गई है। वहीं ताप विद्युत संयंत्रों और उद्योगों को पर्यावरण की रक्षा के लिए अपनी कार्य योजना साझा करने के लिए निर्देश दिए जाने की भी संस्तुति की गई है।
रिहंद जलाशय के हाइड्रोग्राफिक/क्षमता सर्वेक्षण और स्थिरता अध्ययन की जताई गई जरूरत
NGT को सौंपी गई रिपोर्ट में रिहंद जलाशय के हाइड्रोग्राफिक/क्षमता सर्वेक्षण और स्थिरता अध्ययन के लिए कहा गया है। यूपी सरकार को नियमित एजेंडा बनाकर अध्ययन में तेजी लाने का निर्देश दिए जाने की जरूरत जताई गई है। पर्यावरण के मुद्दों से संबंधित मासिक बैठक में भी इन बिंदुओं को चर्चा के विषय में रखा जाएगा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केसदस्य सचिव के जरिए यह रिपोर्ट भारत के महापंजीयक को भेजने के साथी दिए गए सुझाव के दृष्टिगत जरूरी कदम उठाने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को भी पत्र निर्गत किए गए हैं। उत्तर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह ने कहा कि रिपोर्ट के क्रम में एनजीटी का जो भी दिशा-निर्देश मिलेगा, उसका सख्ती से पालन कराया जाएगा।
राख के असुरक्षित निस्तारण से सोनभद्र के पर्यावरण को लगातार नुकसान
राख के शत- प्रतिशत सुरक्षित निस्तारण न होने से सोनभद्र के पर्यावरण को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। अत्यधिक भराव के कारण जहां राख बांधों पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। वहीं एनजीटी द्वारा गठित कोर कमेटी द्वारा वर्ष 2015 में ही, हालात में संतोषजनक सुधार ना होने पर, किसी भी दिन विस्फोटक स्थिति पैदा होने की चेतावनी दी जा चुकी है। बताते ठीक सोनभद्र और सोनभद्र से सटे सिंगरौली स्थित बिजली परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन के लिए रोजाना लगभग तीन टन कोयला जलाया जाता है, जिससे प्रतिदिन लगभग सवा लाख टन राख निकलती है। राख निस्तारण की स्थिति बताती है कि अधिकांश राख यहीं के पर्यावरण में घुल रही है। रिहंद जलाशय में गाद भराव की स्थिति और जलीय पर्यावरण की स्थिति लगातार बिगड़ रही है सो अलग।
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