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Sonbhadra News: जिला पंचायत में टेंडर को लेकर रार, गड़बड़ी का आरोप, मंत्री के सामने गूंजा मुद्दा
Sonbhadra News Today: फाइनेंसियल बीड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टेंडर निरस्त करने को लेकर बोली लगाने वाले ठेकेदार की तरफ से नियमों की अनदेखी कर मनमानी का आरोप लगाया गया है।
(फोटो- न्यूजट्रैक)
Sonbhadra News Today: सोनभद्र में जिला पंचायत (Zila Panchayat) की तरफ से वाहनों से शुल्क वसूली को लेकर ठेके के लिए होने वाले टेंडर को लेकर रार की स्थिति बन गई है। फाइनेंसियल बीड की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अचानक से टेंडर निरस्त करने को लेकर जहां सबसे अधिक बोली लगाने वाले ठेकेदार की तरफ से नियमों की अनदेखी कर मनमानी का आरोप लगाया गया है। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताते हुए पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
उधर, भाजपा कार्यालय पर हुए कार्यक्रम के दौरान भी यह मसला मंत्री के सामने गूंजता रहा। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी की तरफ से टेंडर निस्तीकरण की अपनाई गई प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया।
खनिज परिवहन शुल्क वसूली के लिए निकाली गई थी निविदा
बताते चलें कि जिला पंचायत की तरफ से मौजूदा वित्तीय वर्ष में खनिज परिवहन शुल्क वसूली के लिए निविदा निकाली गई थी। इसके क्रम में गीतांजलि इंटरप्राइजेज की तरफ से 14,61,11,111, पिछले वर्ष के ठेकेदार मेसर्स शैलेंद्र कुमार चबे ने 11,00,11,111, श्यामसुंदर मिश्रा की तरफ से 11,67,67,797, मेसर्स सुरेशचंद्र की तरफ से 12,51,00,000 और मेसर्स न्यू मिथिलेश सिंह की तरफ से 11,01,11,000 रुपये की बोली लगाते हुए निविदा डाली गई थी। इसके आधार पर गीतांजलि इंटरप्राइजेज को सर्वोच्च बोलीदाता और मेसर्स सुरेशचंद्र को दूसरे नंबर का बोलीदाता घोषित किया गया था। शिकायती पत्र में कहा गया है कि निविदा डालने के बाद एडीएम के सामने टेक्निकल बिड खोली गई जो जांचोपरांत सही पाई गई। इसके बाद फाइनेंसियल बीड खोला गया जिसमें गीतांजलि सर्वोच्च बोलीदाता रहीं।
इसके बाद जिला पंचायत की तरफ से बिड में अपलोड किए गए अभिलेखों की मूलप्रति, छायाप्रति पांच कई की दोपहर तक जमा करने का निर्देश दिया गया। इसके क्रम में उनकी तरफ से जरूरी अभिलेख जमा कर दिए गए। शर्तनामे के मुताबिक पांच मई को सर्वोच्च बोलीदाता को धनराशि भी जमा करनी थी लेकिन इसके लिए धनराशि जमा करने की कोई नोटिस दी गई। इसी बीच सूचना मिली कि टेंडर निरस्त करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। इस पर पांच मई की सुबह डीएम को जाकर स्थिति से अवगत कराया गया। वहां से भी कहा गया कि प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोई निविदा निरस्त नहीं की जा सकती। इसके बाद जाकर अपर मुख्य अधिकारी से जानकारी चाही गई तो पता चला कि निविदा निरस्त कर दी गई है।
आरोप लगाया गया है कि तीन ठीकेदारों का सिंडीकेट बनाकर टेंडर डलवाया गया था। सेटिंग नहीं बैठी तो निविदा ही निरस्त कर दी गई। नियमों की अनदेखी कर आचार संहिता की आड़ में पूर्व के ठेके के समय में वृद्धि करने का भी आरोप लगाया गया है। इसमें जिला पंचायत अध्यक्ष और जिला पंचायत के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए पंचायती राज मंत्री से न्यायोचित निर्णय की गुहार लगाई गई है। उधर, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी ने भी नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए, हस्तक्षेप की मांग की है।
इस मसले पर उठाए जा रहे सवाल
कहा जा रहा है कि जब टेक्निकल और फाइनेंसियल बीड दोनों की प्रक्रिया पूरी हो गई तो फिर आगे की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी। निविदा निरस्त करने के पीछे पांच में तीन का कागजात पूर्ण न होने और इसके चलते तीन का कोरम न पूरा होने का कारण बताया जा रहा है। इस पर सवाल उठा रहे पक्ष का कहना है कि जिस तीन के कागजात पूर्ण न होने की बात कही जा रही है। उसमें एक पिछले साल के ठेकेदार हैं और अभी भी उनसे वसूली कराई जा रही है। उनसे जुड़े सभी कागजात पहले से जिला पंचायत कार्यालय में जमा हैं। ऐसे में फर्म का कागजात पूर्ण न होने को कैसे आधार बनाया जा सकता है?
कमेटी ने लिया निविदा निरस्त करने का निर्णय
अपर मुख्य अधिकारी प्रदीप सिंह का सेलफोन पर कहना था कि निविदा डालने वाली पांच फर्म में से तीन के कागजात पूर्ण नहीं थे। इससे तीन का कोरम पूरा नहीं हो रहा था। इसलिए निविदा निरस्त की गई। कागजात अपूर्ण वाली तीन फर्म में एक के पास पहले से ठेका होने और जिला पंचायत के सारे कागजात जमा होने के सवाल पर कहा कि यह उनका नहीं कमेटी का निर्णय है। समयवृद्धि के मसले पर कहा कि शासनादेश में दो माह तक अवधि बढ़ाने का नियम है।
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