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Sonbhadra: लाखों मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण का एनजीटी ने लिया संज्ञान, एक माह में दाखिल कर रिपोर्ट देने के निर्देश
Sonbhadra: मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रेषित करने के लिए गत नवंबर माह में गठित की गई मुख्य वन संरक्षक यूपी, सदस्य सचिव यूपीपीसीबी और डीएम सोनभद्र को हर हाल में एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
Sonbhadra NGT
Sonbhadra: शक्तिनगर थाना क्षेत्र के कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के पास छह माह पूर्व पकडे गए कोयले के लाखों टन अवैध भंडारण और इससे पर्यावरण को लेकर पहुंची क्षति मामले की सुनवाई के लिए एनजीटी ने स्वतः संज्ञान लेने का फैसला लिया है। मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रेषित करने के लिए गत नवंबर माह में गठित की गई मुख्य वन संरक्षक यूपी, सदस्य सचिव यूपीपीसीबी और डीएम सोनभद्र को हर हाल में एक माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही पूर्व में दिए गए आदेश पर अब तक रिपोर्ट न प्रस्तुत करने पर जवाब भी मांगा गया है। ऐसा न करने की दशा में सुनवाई के लिए नियत अगली तिथि 29 मार्च को कमेटी के सभी सदस्यों को न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
35 बीघे में 10 मिलियन टन कोयले का अवैध भंडारण
बताते चलें कि गत जुलाई माह में एडीएम और तत्कालीन क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण की मौजूदगी वाली टीम ने कृष्णशीला रेलवे साइडिंग के पास 35 बीघे एरिया में एनसीएल की जमीन पर लगीग 10 मिलियन टन कोयले का अवैध भंडारण पकड़ा था। इस दौरान झारखंड से रिजेक्टेड कोयला यहां लाकर उसकी कोयले में मिलावट करने और उसके जरिए देश की अर्थव्यवस्था को करोड़ों का चूना लगाने का भी मामला सामने आया था।
इसके तार यूपी, मध्यप्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल से लेकर उड़ीसा तक जुड़े होने के दावे भी सामने आए थे। संबंधित एरिया केे प्रधान की तरफ से अवैध डंपिंग से जुड़े 11 ट्रांसपोर्ट कंपनियो/फर्मों के नामों का खुलासा भी किया था। बावजूद जहां प्रशासन द्वारा सीज किया कोयला रिलीज किए जाने से पहले ही, एक बड़े हिस्से का उठान किए जाने का मामला सामने आने के बाद हड़कंप की स्थिति सामने आ गई थी। वहीं बाद में इसके कुछ दावेदार भी सामने आ गए और अवैध डंपिंग के लिए कोयला कहां से आया, किसने अनुमति दी, इससे पर्यावरण को पहुंची क्षति के लिए जिम्मेदार कौन है, इन सारी चीजों का जवाब सार्वजनिक हुए बगैर ही, काफी हद तक कोयले की यहां से उठान भी हो गई।
एनसीएल ने कहा डंप किए गए कोयले से कोई लेना-देना
जबकि एनसीएल का स्पष्ट कहना था कि न तो कोयले का उसका कोई लेना-देना है न ही उसने कोई अनुमति दी है, न ही यह कोयला यहां कैसे पहुंचा, इसकी उसके पास कोई जानकारी है। मामले में गत नवंबर माह में एक याचिका एनजीटी के पास पहुंची तो मुख्य वन संरक्षक यूपी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और डीएम सोनभद्र की टीम गठित कर दो माह के भीतर तथ्यात्मक और इस पर लिए गए एक्शन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए।
यूपीपीसीबी को बतौर नोडल एजेंसी जिम्मेदारी दी गई। सोमवार को एनजीटी में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई की तो पाया कि अब तक रिपोर्ट दाखिल नहीं हुई है। वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से खुद को केस से अलग/विथड्राल करने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया। इस पर कोर्ट ने जहां मामले का स्वतः संज्ञान लेने का निर्णय ले लिया। वहीं पूर्व में आदेश पर अब तक रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर सख्ती बरतते हुए एक माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। देरी पर स्पष्टीकरण भी तलब किया गया।
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